Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Webqoof Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019कोरोना को लेकर झूठे दावे करता वीडियो, WHO की प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं

कोरोना को लेकर झूठे दावे करता वीडियो, WHO की प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं

2020 में भी इस वीडियो को WHO की प्रेस कॉन्फ्रेंस का बताकर सोशल मीडिया पर शेयर किया गया था 

Siddharth Sarathe
वेबकूफ
Updated:
वीडियो 2020 से ही सोशल मीडिया पर वायरल है 
i
वीडियो 2020 से ही सोशल मीडिया पर वायरल है 
फोटो : Altered by Quint

advertisement

सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर दावा किया जा रहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वायरस को लेकर अब यूटर्न ले लिया है. दावा है कि WHO के अधिकारियों ने कहा है कि अब कोरोना से बचाव के लिए न तो सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत है न ही मास्क पहनने की.साल 2020 में भी इस वीडियो को WHO के अधिकारियों का बताकर शेयर किया गया था.

लेकिन, असल में वीडियो में कोरोना के अस्तित्व को नकारते दिख रहे डॉक्टर WHO के सदस्य नहीं हैं. 4 मिनट के इस वीडियो में कोरोना को लेकर भ्रामक दावे करते दिख रहे डॉक्टर World health Alliance नाम के एक संगठन के सदस्य हैं, जो लगातार कोविड संक्रमण को लेकर दुनिया भर के देशों में लगाई गई बंदिशों का विरोध करता रहा है. हमने वायरल वीडियो में किए गए सभी दावों की एक-एक कर पड़ताल की. पड़ताल में सभी दावे झूठे निकले.

दावा

सोशल मीडिया पर पर शेयर हो रहे इस वीडियो में दिख रहे डॉक्टर मास्क को गैरजरूरी बता रहे हैं साथ ही कोरोनावायरस को महामारी मानने से इंकार कर रहे हैं. वीडियो शेयर कर दावा किया जा रहा है कि ये WHO की प्रेस कॉन्फ्रेंस है. वीडियो के अलग-अलग हिस्से सोशल मीडिया पर वायरल हैं, किसी ने 2 मिनट का वीडियो शेयर किया है तो किसी ने 45 सेकंड का.

पोस्ट का अर्काइव यहां देखेंसोर्स : स्क्रीनशॉट/ट्विटर

यही वीडियो 2020 में भी इसी दावे के साथ शेयर किया जा चुका है.

पोस्ट का अर्काइव यहां देखेंसोर्स : स्क्रीनशॉट/फेसबुक

वीडियो में दिख रहे डॉक्टर क्या कह रहे हैं?

वायरल वीडियो में दिख रहे डॉक्टर ये दावा कर रह हैं कि कोरोनावायरस सिर्फ एक फ्लू है. और वैक्सीन की कोई जरूरत नहीं है. वीडियो में दिख रही Dr Elke De Klerk कहती हैं कि महामारी जैसा कुछ नहीं है. Elke ने आगे कहा कि संगठन ऐसे 87000 हेल्थवर्कर्स के साथ मुकदमा दायर करने की तैयारी में है, जो कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाना चाहते.

De Klerk आगे सवाल उठाते हुए कहती हैं कि जब महामारी है ही नहीं, तो फिर बच्चों को स्कूलों में मास्क लगाने के लिए फोर्स क्यों किया जा रहा है. वीडियो में ग्रुप के कुछ सदस्य ये भी कहते दिख रहे हैं कि वायरस को लेकर झूठा डर पीसीआर टेस्ट की झूठी पॉजिटिव रिपोर्ट के जरिए पैदा किया गया है. वीडियो में एक स्पीकर ने ये भी दावा किया कि आयरलैंड में अप्रैल 2020 से लेकर अब तक केवल 98 लोगों की ही मौत हुई है. वे आगे कहती हैं कि आयरलैंड में हर साल 30,000 लोगों की मौत वैसे भी होती ही है. इनमें से 10,000 मौतें ह्रदय संबंधी बीमारियों से होती हैं और 10,000 कैंसर से.

वीडियो में आगे बोलने वाले स्पीकर्स ने लॉकडाउन को गैरजरूरी बताते हुए कहा कि लॉकडाउन से किसी तरह की मदद नहीं मिली है.

पड़ताल में हमने क्या पाया

हमने वायरल वीडियो में किए जा रहे दावों की एक-एक कर पड़ताल की. साथ ही वीडियो में दिख रहे डॉक्टर्स की भी पहचान के बारे में पता लगाया.

वीडियो में सबसे पहले अपनी बात रखने वाली महिला ने खुद का नाम Elke De Klerk बताया है. गूगल पर ये नाम सर्च करने पर हमें पता चला कि वे हेल्थ प्रोफेशनल्स के एक संगठन World Doctors Alliance की सदस्य हैं. इस संगठन की वेबसाइट चेक करने पर हमें उन बाकी पैनलिस्ट की भी प्रोफाइल मिल गई जो वीडियो में दिख रहे हैं.

वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक ये एक नॉन प्रॉफिट अलायंस है. ये अलायंस दुनिया भर के उन हेल्थवर्कर्स ने बनाया है जो कोरोनावायरस के बीच लगाए गए लॉकडाउन के विरोध में साथ आए हैं.

अब जानिए वीडियो में किए गए एक-एक दावे का सच

दावा : कोरोनावायरस कोई महामारी नहीं है

WHO के मुताबिक जब बीमारी देश की सीमाओं को लांघकर दुनिया के बड़े हिस्से में फैल जाए तो वह ‘महामारी’ कहलाती है. WHO के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस अधानोम ने 11 मार्च 2020 को जब कोविड 19 को महामारी घोषित किया, तब 114 देशों में कोरोना संक्रमण फैल चुका था और संक्रमण के 1,18,000 मामले सामने आ चुके थे. दुनिया भर में कोरोना संक्रमण से 4000 लोगों की मौत भी हो चुकी थी.

वर्तमान स्थिति की बात करें तो WHO के आंकड़ों के मुताबिक 4 जून, 2021 तक दुनिया भर में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 17 करोड़ के पार (171,782,908) पहुंच चुकी है. वहीं कोरोना संक्रमण से अब तक 36 लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं.

दावा : आयरलैंड में कोरोना वायरस से सिर्फ 98 मौतें हुईं

ये आंकड़ा गलत है. 26 अक्टूबर, 2020 में जब क्विंट ने इसी दावे की पड़ताल की थी तब, आयरलैंड में कोरोना संक्रमितों की संख्या 57,128 थी. वहीं आयरलैंड में संक्रमण से हुई मौतों की संख्या 1800 थी.

आयरलैंड में कोरोना संक्रमण की वर्तमान स्थित की बात करें तो worldometer के मुताबिक, 5 जून 2021 तक  2,63,720 कोरोना संक्रमित केस आए हैं. इनमें से 4,941 की मौत हो चुकी है और 246,146 रीकवर हो गए हैं.

दावा : कोरोनावायरस सिर्फ एक फ्लू है

वीडियो में खुद को नीदरलैंड्स का जनरल प्रैक्टिशनर बता रहे Dr Klerke दावा कर रहे हैं कि नोवल कोरोनावायरस किसी सामान्य फ्लू या इंफ्लुएंजा से बिल्कुल अलग नहीं है. इसलिए पैनिक होने की कोई जरूरत नहीं है. ये दावा झूठा है.

कोविड19 और इंफ्लुएंजा के लक्षण एक जैसे हैं, दोनों में फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है और दोनों ही संक्रामक बीमारियां हैं. लेकिन, दोनों में कई अंतर भी पाए गए हैं.

WHO के डेटा के मुताबिक, इंफ्लुएंजा के फैलने की रफ्तार कोविड19 से तेज है. लेकिन पहले संक्रमित व्यक्ति से दूसरे संक्रमित व्यक्ति तक संक्रमण फैलने की रफ्तार कोविड19 की इंफ्लुएंजा से कहीं ज्यादा है.फ्लू जैसे लक्षणों के अलावा कोरोनावायरस में खून के थक्के जमने जैसे खतरनाक लक्षण भी होते हैं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

दावा : नेगेटिव मरीज को कोरोना पॉजिटिव बता रही RT-PCR टेस्ट रिपोर्ट्स

वीडियो में Dr Elke De Klerke कहती हैं कि 89 से 94% पीसीआर रिपोर्ट के रिजल्ट झूठे हैं और डॉक्टरों ने अब कोरोना वायरस की टेस्टिंग के लिए पीसीआर टेस्ट करना बंद कर दिया है. ये दावा भी भ्रामक है. पीसीआर टेस्ट के फायदे और नुकसान दोनों पर ही दुनिया भर के एक्सपर्ट्स ने रिसर्च की है.

Dr Elke De Klerke का ये दावा भ्रामक है कि 89% से 94% पीसीआर टेस्ट फर्जी पॉजिटिव हैं. ये दावा भी भ्रामक है कि डॉक्टरों ने इस वजह से कोरोनावायरस का टेस्ट पीसीआर टेस्टिंग किट से करना बंद कर दिया है.

द हिंदू की साल 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक पीसीआर टेस्ट काफी सटीकता से शरीर में वायरस की मौजूदगी को ट्रेस कर पाता है. लेकिन कई बार इसकी रिपोर्ट में खामियां आई हैं, पॉजिटिव केस को ये नेगेटिव बताता है और नेगेटिव टेस्ट को पॉजिटिव.  यानी ये कहना गलत है कि पीसीआर टेस्मट में मरीज को गलत तरीके से पॉजिटिव बताया जा रहा है. कई मामलों में पॉजिटिव मरीज की रिपोर्ट भी नेगेटिव आई है.

भारत, अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में सरकार की अनुमति से ही RTPCR टेस्ट किए जा रहे हैं. अमेरिका में दवाइयों और टेस्टिंग आदि को मान्यता देने वाली संस्था फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) की तरफ से भी RT-PCR टेस्ट के इमरजेंसी यूज की अनुमति दी गई है.

सोर्स : स्क्रीनशॉट/वेबसाइट

भारत की शीर्ष रिसर्च संस्था इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने 6 अप्रैल,2021 को दिए अपडेट में बताया की संस्था ने 346 RT-PCR किट्स का परीक्षण किया था, जिनमें से 146 किट्स के परिणाम संतोषजनक पाए गए. ICMR की वेबसाइट पर उन 146 टेस्ट किट्स की लिस्ट भी है, जिनसे RT-PCR टेस्ट किया जा सकता है.

सोर्स : स्क्रीनशॉट/वेबसाइट
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की वेबसाइट पर छपे ब्लॉग में बताया गया है कि पीसीआर टेस्ट में स्वैब को नाक में डाला जाता है. टेस्ट करने का यही सबसे सही तरीका है क्योंकि इससे गलत रिपोर्ट आने की संभावना काफी कम रहती है. वहीं गले में स्वैब डालने या सलायवा लेकर टेस्ट करने वाले तरीके इतने ज्यादा कारगर नहीं हैं.

दावा : संक्रमण रोकने में कारगर नहीं है मास्क, वैक्सीन की भी जरूरत नहीं

वीडियो में किए गए ये दावे भी किसी कॉन्सपिरेसी थ्योरी से कम नहीं कि मास्क से कोरोना संक्रमण को नहीं रोक सकते और वैक्सीन की कोई जरूरत नहीं है. कुछ दिनों पहले वकील प्रशांत भूषण ने ये दावा करता ट्वीट किया था मास्क से कोरोना संक्रमण नहीं रुकता. क्विंट की वेबकूफ टीम ने इस दावे की पड़ताल की थी और पड़ताल में ये दावा फेक निकला था.

The Lancet जर्नल में जनवरी, 2021 में छपी स्टडी में ये सामने आया कि उन समूहों के संक्रमण से सुरक्षित रहने की संभावना ज्यादा है, जो मास्क पहनते हैं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हैं.

The Lancet जर्नल में 20 अप्रैल, 2021 को छपी रिपोर्ट में बताया गया है कि आमतौर पर वैक्सीन के कारगर होने का पैमाना ये होता है कि वह संक्रमण के खतरे को कितना कम कर सकती है. रिपोर्ट में आगे ये भी बताया गया है कि कोविड-19 के संक्रमण में कौनसी वैक्सीन कितनी कारगर है.

दावा : WHO ने यूटर्न ले लिया, कहा अब मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत नहीं

पड़ताल में पहले ही सामने आ चुका है कि वीडियो WHO की प्रेस कॉन्फ्रेंस का नहीं है. वीडियो साल 2020 का है और इसमें कोरोना को लेकर भ्रामक दावे कर रहे वो डॉक्टर हैं, जो शुरुआत से ही कोरोना को लेकर लगाई गई बंदिशों के खिलाफ हैं.

WHO की वेबसाइट पर हमें हाल का ऐसा कोई अपडेट नहीं मिला, जिसमें कहा गया हो कि अब सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क की जरूरत नहीं है. सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावों से उलट WHO लगातार कोरोना संक्रमण पर काबू पाने के लिए अनिवार्य रूप से मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की हिदायत दे रहा है.

WHO की वेबसाइट पर सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर अपडेट की गई इस चेतावनी को देखिए.

सोर्स : स्क्रीनशॉट/वेबसाइट

मतलब साफ है कि WHO की प्रेस कॉन्फ्रेंस का बताकर शेयर किया जा रहा वीडियो साल 2020 का है. वीडियो में कोरोना को लेकर भ्रामक दावे कर रहा कोई भी शख्स WHO का सदस्य नहीं है. WHO ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा है कि कोरोना से बचने के लिए अब सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत नहीं है.
वायरल वीडियो में किए जा रहे सभी दावे झूठे हैं. क्विंट की वेबकूफ टीम 2020 में भी इन दावों की पड़ताल कर चुकी है

(येे स्टोरी द क्विंट के कोविड-19 वैक्सीन से जुड़े प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जो खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के लिए शुरू किया गया है.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 07 Jun 2021,02:13 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT