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दौलत कमाने का जुनून होता है, लालच होता है, जिद या हवस भी हो सकती है. लेकिन क्या पैसे कमाना एक कला भी है? जैसे एक पेंटर के लिए उसकी पेंटिंग या संगीतकार के लिए उसकी संगीत साधना? जहां पैसे कमाने का मकसद सिर्फ ऐशो-आराम और शान-ओ- शौकत की जिंदगी बिताना या अपनी अगली पीढ़ियों के लिए दौलत का अंबार खड़ा करना न हो?
क्या दौलत कुछ वैसे अंदाज में भी कमाई जा सकती है, जैसे रहमान ने कोई नई धुन रची हो या कोहली ने एक नया शतक जड़ा हो? दुनिया ने अगर वॉरेन बफेट को न देखा होता, तो धन कमाने के बारे में ऐसी दार्शनिक बातें किसी मायावी बाबा के दिखावटी प्रवचन जैसी लगतीं. लेकिन वॉरेन बफेट इस बात का सबूत हैं कोई शख्स पैसे सिर्फ इसलिए भी कमा सकता है, क्योंकि उसे पैसे कमाने में मजा आता है.
कमाई गई दौलत से उसे मोह कितना है, ये इससे जाहिर है कि अपनी 99 फीसदी कमाई वो दान कर चुके हैं. वो भी अपने नाम को अमर करने वाले किसी वॉरेन बफेट फाउंडेशन के नाम पर नहीं. अपनी दौलत का अधिकांश हिस्सा उन्होंने बिल और मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन को दान किया है. वो मानते हैं कि उनकी कमाई बेशुमार पूंजी पर उनके बच्चों और आने वाली पीढ़ियों का नहीं, सारी दुनिया के जरूरतमंदों का हक है.
एक ऐसा शख्स जो दशकों से दिन-रात पैसे कमाने में लगा है, फिर भी दौलत के मोह से मुक्त है! अगर ये वो एहसास नहीं, जिसे कबीर ‘ज्यों की त्यों धर दीनी’ कहते हैं, तो फिर और क्या है?
वॉरेन बफेट और उनके परिवार ने इस फिल्म के लिए अपने प्राइवेट फोटो एलबम से लेकर वीडियो तक, कई अनछुए पन्ने दुनिया के लिए पहली बार खोले हैं.
90 मिनट की इस डॉक्यूमेंट्री का जो ट्रेलर अब तक जारी हुआ है, उसका पहला ही दृश्य बताता है कि एक आम इंसान की तरह तरह जिंदगी बिताने का बफेट का अंदाज उन्हें क्यों सबसे खास बना देता है.
करीब 74 अरब डॉलर की संपत्ति के मालिक वॉरेन बफेट 86 साल के हो चुके हैं, लेकिन आज भी वो हर सुबह खुद अपनी कार ड्राइव करके दफ्तर जाते हैं. रास्ते में मैकडॉनल्ड्स के ‘ड्राइव-थ्रू’ काउंटर पर खुले पैसे देकर बर्गर, मफिन्स, चीज बिस्किट या ऐसा ही कोई ब्रेकफास्ट खरीदते हैं और फिर अपने ऑफिस में बैठकर उसे मजे लेकर खाते हैं. दरअसल ये पूरा सीक्वेंस ‘बिकमिंग वॉरेन बफेट’ के शुरुआती दृश्यों में शामिल है. इन दृश्यों में आपको बफेट के चेहरे पर जो चमक और ऊर्जा दिखाई देगी, उसमें 86 साल के बुजुर्ग और चालाक बिजनेसमैन से ज्यादा जिंदगी से भरपूर एक युवा की झलक मिलेगी. बेहद खास होते हुए भी आम बने रहने की ये सहजता और जिंदगी की मामूली बातों में मजा लेने की ये जिंदादिली ही उन्हें सबसे अलग बनाती है. दुनिया सबसे चालाक निवेशकों में गिने जाने के बावजूद किसी रॉकस्टार की तरह पॉपुलर बनाती है.
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30 जनवरी को रिलीज हो रही ‘बिकमिंग वॉरेन बफेट’ पर अमेरिकी अखबारों में काफी कुछ लिखा जा रहा है. इससे पता चलता है कि डायरेक्टर पीटर कुनहर्ट की बनाई इस डॉक्यूमेंट्री का बड़ा हिस्सा वॉरेन बफेट की पहली पत्नी सूजन बफेट पर केंद्रित है. वॉरेन बफेट खुद भी कहते रहे हैं कि उनकी जिंदगी, शख्सियत और सामाजिक-राजनीतिक विचारों को संवारने में सबसे बड़ा हाथ उनकी पहली पत्नी सूजन का रहा है. यहां तक कि बफेट की दूसरी पत्नी, जिनसे उन्होंने सूजन के निधन के दो साल बाद 2006 में शादी की, वो भी सूजन के जरिये और उनकी वजह से ही बफेट की जिंदगी में दाखिल हुईं. ये बेहद दिलचस्प और अचरज में डालने वाला किस्सा भी इस डॉक्यूमेंट्री का अहम हिस्सा है.
डॉक्यूमेंट्री में बफेट की मौजूदा पत्नी एस्ट्रिड मेंक्स का कोई इंटरव्यू शामिल नहीं है, क्योंकि वो इसके लिए तैयार नहीं थीं. लेकिन बफेट की जिंदगी में वो कितनी बारीकी से शामिल हैं, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि हर सुबह मैकडॉनल्ड्स के काउंटर से वो ब्रेकफास्ट के लिए क्या खरीदेंगे, इसका फैसला एस्ट्रिड ही करती हैं. उनकी कार के डैशबोर्ड में वही खुले पैसे रखती हैं. अगर वहां 2.95 डॉलर रखे हैं, तो फोर्ब्स की 2016 की लिस्ट में शामिल दुनिया के दूसरे सबसे अमीर आदमी का ब्रेकफास्ट होगा ‘सॉसेज मैक-मफिन विद एग ऐंड चीज’ और अगर पत्नी ने 3.17 डॉलर रखे, तो वो खाएंगे ‘बेकन, एग और चीज बिस्किट’.
लेकिन ‘बिकमिंग वॉरेन बफेट’ हमारा परिचय इस बेहद कामयाब बिजनेसमैन के भीतर छिपे उस इंसान से कराती है, जो अपने पिता हॉवर्ड बफेट के शब्दों में अंधेरे में भी देख सकता है. ये डॉक्यूमेंट्री शेयर बाजार के नीरस आंकड़ों में डूबे किसी बिजनेसमैन के दिमाग की नहीं, मानवीय मूल्यों और नैतिक आदर्शों पर भरोसा करने वाले एक ग्लोबल सिटिजन के दिल की कहानी है.
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