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China Vs Taiwan: ताइवान से क्या चाहता चीन, दोनों देशों के बीच अमेरिका क्यों आया?

Nancy Pelosi के Taiwan जाने से चीन क्यों नाराज हुआ?

महरोज जहां
दुनिया
Updated:
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China Vs Taiwan: ताइवान से क्या चाहता चीन, दोनों देशों के बीच अमेरिका क्यों आया?

फोटो- क्विंट हिंदी

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अमेरिका ने 1970 से 'वन चाइना' नीति के तहत ताइवान को चीन के हिस्से के रूप में मान्यता दे रखी है, लेकिन ताइवान के साथ भी इसके अनौपचारिक संबंध हैं. बीजिंग ताइवान को चीन का हिस्सा मानता है और उसे बार-बार धमकाता है.

चीन द्वारा किए गए सैन्य अभ्यास के क्या मायने हैं?

नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के एक दिन बाद गुरुवार, 4 अगस्त को चीन ने ताइवान के पास अपना लाइव-फायर अभ्यास शुरू किया, जिसमें कम से कम 11 बैलिस्टिक मिसाइलों को लॉन्च किया गया.

ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार, 5 अगस्त को ऐलान किया कि कई चीनी जहाजों और विमानों ने एक बार फिर ताइवान जलडमरूमध्य की मध्य रेखा को पार कर लिया है, जो दोनों देशों को अलग करती है. सैन्य अभ्यास को अत्यधिक उत्तेजक कहते हुए, रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उसने स्थिति के जवाब में विमान और जहाजों को भेजा और भूमि आधारित मिसाइल सिस्टम तैनात किया है.

ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि वह चीनी सैन्य अभ्यास पर ताइवान करीब से नजर रख रहा है. अभ्यास के दौरान चीन ने 'मल्टीपल' बैलिस्टिक मिसाइल दागी है.

लाइव-फायर सैन्य अभ्यास मुख्य रूप से सैन्य कर्मियों द्वारा किए जाने वाले अभ्यास हैं, जिसमें लाइव गोला बारूद का उपयोग किया जाता है. इस दौरान, सैनिकों को नकली युद्ध स्थितियों में रखा जाता है और उन्हें अपने हथियारों और उपकरणों (जैसे जहाज, विमान, टैंक और ड्रोन) का उपयोग करने का मौका दिया जाता है. इस तरह के अभ्यास सैनिकों की युद्ध की तैयारी, यूनिट की एकजुटता और अपने हथियारों और उपकरणों का सही ढंग से इस्तेमाल करने की क्षमता बढ़ाने में मदद करता है.

चीन और ताइवान के बीच पिछले कई दिनों से तनातनी बनी हुई है. अमेरिकी हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान दौरे के बाद ये खबरें आईं कि चीन इस यात्रा से नाराज होकर ताइवान के आसपास के स्व-घोषित क्षेत्रों में लाइव-फायर सैन्य अभ्यास कर रहा है, जिसे बीजिंग अपना इलाका बताता है. पेलोसी की ताइवान यात्रा काफी दिनों के बाद किसी अमेरिकी अधिकारी द्वारा हाई-लेवल यात्रा है.

अमेरिका ने 1970 से 'वन चाइना' नीति के तहत ताइवान को चीन के हिस्से के रूप में मान्यता दे रखी है, लेकिन ताइवान के साथ भी इसके अनौपचारिक संबंध हैं. बीजिंग ताइवान को चीन का हिस्सा मानता है और उसे बार-बार धमकाता है.

चीन द्वारा किए गए सैन्य अभ्यास के क्या मायने हैं?

नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के एक दिन बाद गुरुवार, 4 अगस्त को चीन ने ताइवान के पास अपना लाइव-फायर अभ्यास शुरू किया, जिसमें कम से कम 11 बैलिस्टिक मिसाइलों को लॉन्च किया गया.

ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार, 5 अगस्त को ऐलान किया कि कई चीनी जहाजों और विमानों ने एक बार फिर ताइवान जलडमरूमध्य की मध्य रेखा को पार कर लिया है, जो दोनों देशों को अलग करती है. सैन्य अभ्यास को अत्यधिक उत्तेजक कहते हुए, रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उसने स्थिति के जवाब में विमान और जहाजों को भेजा और भूमि आधारित मिसाइल सिस्टम तैनात किया है.

ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि वह चीनी सैन्य अभ्यास पर ताइवान करीब से नजर रख रहा है. अभ्यास के दौरान चीन ने 'मल्टीपल' बैलिस्टिक मिसाइल दागी है.

लाइव-फायर सैन्य अभ्यास मुख्य रूप से सैन्य कर्मियों द्वारा किए जाने वाले अभ्यास हैं, जिसमें लाइव गोला बारूद का उपयोग किया जाता है. इस दौरान, सैनिकों को नकली युद्ध स्थितियों में रखा जाता है और उन्हें अपने हथियारों और उपकरणों (जैसे जहाज, विमान, टैंक और ड्रोन) का उपयोग करने का मौका दिया जाता है. इस तरह के अभ्यास सैनिकों की युद्ध की तैयारी, यूनिट की एकजुटता और अपने हथियारों और उपकरणों का सही ढंग से इस्तेमाल करने की क्षमता बढ़ाने में मदद करता है.

इस दौरान वाहनों, हथियार प्लेटफार्मों और बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल, विमान-रोधी हथियार की प्रभावशीलता का परीक्षण भी किया जाता है, ताकि हथियारों के पूरी तरह से चलने से पहले किसी भी डिजाइन की खामियों को दूर किया जा सके.

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पेलोसी के ताइवान जाने से चीन क्यों नाराज हुआ?

चीन का मानना है कि ताइवान में एक सीनियर अमेरिकी व्यक्ति की उपस्थिति ताइवान की स्वतंत्रता के लिए अमेरिका के समर्थन का संकेत है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआंग ने कहा था कि अगर किसी भी तरह की यात्रा होती है तो चीन सख्त कदम उठाएगा.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि...

पेलोसी का ताइवान जाना चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को गंभीर रूप से कमजोर करेगा, चीन-अमेरिका संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा और ताइवान की स्वतंत्रता को गंभीर रूप से गलत संकेत भेजेगा.

चीन-ताइवान के बीच तनाव कोई नई बात नहीं

ताइवान दक्षिण-पूर्वी चीन के तट से लगभग 160 किमी दूर एक द्वीप है, जो फूजौ (Fuzhou), क्वानझोउ (Quanzhou) और जियामेन (Xiamen) के चीनी शहरों के सामने है. यहां शाही राजवंश का प्रशासन था, लेकिन इसका नियंत्रण 1895 में जापानियों के पास चला गया. द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की हार के बाद यह द्वीप फिर से चीन के हाथों में आ गया.

माओत्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों द्वारा चीन में गृह युद्ध जीत जाने के बाद, राष्ट्रवादी कुओमिन्तांग पार्टी के नेता च्यांग काई-शेक 1949 में ताइवान भाग गए. च्यांग काई-शेक ने ताइवान में चीन गणराज्य (Republic of China) की सरकार की स्थापना की और 1975 तक राष्ट्रपति बने रहे.

बीजिंग ने कभी भी ताइवान को एक स्वतंत्र राजनीतिक इकाई के रूप में मान्यता नहीं दी है. चीन का हमेशा यही तर्क रहा है कि यह हमेशा एक चीनी प्रांत था. ताइवान का कहना है कि आधुनिक चीनी राज्य 1911 की क्रांति के बाद ही बना था, और यह उस राज्य या चीन के जनवादी गणराज्य का हिस्सा नहीं था जो कम्युनिस्ट क्रांति के बाद स्थापित हुआ था.

तमाम तरह राजनीतिक तनाव के बीच चीन और ताइवान के बीच आर्थिक संबंध रहे हैं. ताइवान के कई प्रवासी चीन में काम करते हैं और चीन ने ताइवान में निवेश भी कर रखा है.

चीन ने इससे पहले 1995-1996 में तीसरे ताइवान जलडमरूमध्य संकट के दौरान इसी तरह का प्रदर्शन किया था और ताइवान के पास पानी में मिसाइल दागी गई थी. चीन ने ऐसा तब किया था जब उसके कड़े विरोध के बावजूद ताइवान की पूर्व राष्ट्रपति ली टेंग-हुई ने अमेरिका का दौरा किया था.

ताइवान को अमेरिका किस तरह से देखता है?

यूएसए, ताइवान को एक अलग देश के रूप में मान्यता नहीं देता है. जून में राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि अगर ताइवान पर हमला किया गया तो अमेरिका उसकी रक्षा करेगा, लेकिन इसके तुरंत बाद यह स्पष्ट कर दिया गया कि अमेरिका ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करता है.

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक साल 1997 में, रिपब्लिकन पार्टी के तत्कालीन हाउस स्पीकर न्यूट गिंगरिच ने ताइवान का दौरा किया था और चीन को तेज कार्रवाई के प्रति आगाह किया. चीन के नेताओं के साथ अपनी बैठकों का जिक्र करते हुए गिंगरिच ने कहा था कि हम चाहते हैं कि आप समझें, हम ताइवान की रक्षा करेंगे.

लेकिन तब से स्थिति बदल गई है, चीन आज विश्व राजनीति में एक मजबूत ताकत है. चीनी सरकार ने 2005 में एक कानून पारित किया, जिसमें बीजिंग को सैन्य कार्रवाई के लिए कानूनी आधार दिया गया था, अगर ताइवान को अलग करने कोशिश की जाती है.

हाल के वर्षों में, ताइवान की सरकार ने कहा है कि देश के केवल 2.3 करोड़ लोगों को अपना मुस्तकबिल तय करने का अधिकार है और हमला होने पर वह अपनी हिफाजत करेंगे. 2016 से, ताइवान ने एक ऐसी पार्टी को चुना है जो स्वतंत्रता की ओर झुकती है.

चीन क्या चाहता है?

चीन ने ऐलान किया है कि यदि जरूरत पड़ी तो ताइवान को बल प्रयोग करते नियंत्रण में लाए जाने के बारे में सोचा जाएगा.

नैंसी पेलोसी की यात्रा विशेष रूप से एक ऐसे संवेदनशील वक्त हुई, जब चीनी राष्ट्रपति और सशस्त्र बलों के प्रमुख शी जिनपिंग सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के नेता के रूप में तीसरे कार्यकाल की तलाश कर रहे हैं.

शी जिनपिंग ने कहा है कि...

ताइवान का भाग्य अनिश्चित काल तक अस्थिर नहीं रह सकता है. इसके अलावा अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने कहा है कि चीन अगले कुछ सालों में सैन्य समाधान तलाश सकता है.

चीन के संविधान के मुताबिक ताइवान चीन का एक राष्ट्रीय क्षेत्र है. चीन जोर देकर कहता है कि ताइवान उसके इस तर्क को स्वीकार करता है कि यह द्वीप चीन का हिस्सा है, जिसकी एकमात्र वैध सरकार बीजिंग में है. चीन के सैन्य खतरों और ताइवान को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने के अथक अभियान के बाद ताइवान के नागरिक आजादी का समर्थन करते हैं. चीन आने वाले वक्त में ताइवान को अपने शासन के लिए एक मॉडल के रूप में बताता है.

मौजूदा स्थिति पर ताइवान और अमेरिका की क्या प्रतिक्रिया है?

रिपोर्ट के मुताबिक ताइवान ने अपनी सेना को अलर्ट पर रखा है और नागरिक सुरक्षा अभ्यास किया है. इसकी वायु सेना, नौसेना और 165, 000 सदस्यीय सशस्त्र बलों का उद्देश्य चीनी हमले का मुकाबला करन है.

हालांकि अगर ताइवान और चीन के सैन्य बल को देखा जाए तो चीन की 20 लाख की ताकत वाली दुनिया की सबसे बड़ी सेना है और इसकी नौसेना के पास अमेरिका से ज्यादा जहाज हैं. ताइवान के सशस्त्र बल चीन की संख्या में तुलना नहीं की जा सकती है, लेकिन इसने स्वशासी द्वीप लोकतंत्र पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के शासन को लागू करने के लिए जबरदस्ती के उपायों का विरोध करने की कसम खाई है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के राजनीतिक वैज्ञानिक खारिस टेम्पलमैन ने कहा कि दोनों देशों के बीच फिर से संतुलन स्थापित करने के लिए कुछ कठिन कूटनीति की जरूरत होगी.

रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा वक्त में कई अमेरिकी नौसैनिक ताइवान के करीब के क्षेत्रों में तैनात हैं, जिसमें विमानवाहक पोत यूएसएस रोनाल्ड रीगन और उसके युद्ध समूह शामिल हैं.

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Published: 07 Aug 2022,06:26 PM IST

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