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"युद्ध के प्रभाव दूर-दूर तक फैलेंगे, जिससे कीमतों में बढ़ोतरी होगी और महत्वपूर्ण नीतिगत चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा" ये बात इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) ने अपने एक ब्लॉग में लिखी है. इसका साफ मतलब है कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग का असर दुनिया के हर कोने में देखने को मिलेगा यानी दुनिया की अर्थव्यवस्था को झटका लगेगा.
कीमतों में उछाल आएगा, ब्याज दरें बढ़ेंगी और सामाजिक अशांति फैलेगी. IMF ने रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग पर चिंता जताते हुए दुनिया की अनुमानित वृद्धि दर को घटा दिया है और बताया कि वैश्विव वृद्धि दर 3.6 फीसदी रहेगी.
रूस-यूक्रेन के बीच का संकट ऐसे समय आया है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था महामारी से पूरी तरह से उबर नहीं पाई है. युद्ध से पहले भी, कई देशों में महंगाई महामारी के दौरान सप्लाय-डीमांड में असंतुलन होने के कारण बढ़ रही थी, जिससे मॉनिटरी पॉलिसी को और सख्त किया गया था. चीन में हाल ही में लगा लॉकडाउन ग्लोबल सप्लाई चेन में नई समस्याएं पैदा कर सकता है.
बढ़ती कीमतों की वजह से यूरोप, काकेशस और मध्य एशिया, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका और उप-सहारा अफ्रीका सबसे अधिक प्रभावित हैं. लेकिन ईंधन और खाने की बढ़ती कीमतों से अमेरिका और कुछ एशियाई देश सहित विश्व स्तर पर निम्न-आय वाले परिवारों को नुकसान होगा.
आईएमएफ ने भारत की अनुमानित विकास दर को घटा कर 8.2 प्रतिशत कर दिया है और 2023 के लिए इसे 6.9 किया है. वहीं चीन के लिए इसे 4.4 प्रतिशत कर दिया है.
आईएमएफ ने साल 2022 के लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था के अपने वृद्धि के अनुमान को 4.4% से घटा कर 3.6 फीसदी कर दिया है, उसका मानना है कि अगले साल भी वैश्विक वृद्धि 3.6 फीसदी पर ही रहेगी. 2021 में वैश्विक दर महामारी के प्रभाव के बावजूद 6.1 फीसदी थी.
अमेरिका को लेकर आईएमएफ ने अनुमान लगाया कि उसकी वृद्धि दर 3.7 फीसदी रहेगी.जनवरी में लगाए गए अनुमान से यह चार फीसदी कम है. साल 2021 में यह 5.7 फासदी थी. वहीं दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन की वृद्धि इस साल घटकर 4.4% पर आ जाएगी जबकि साल 2021 में यह 8.1% पर थी.
इसके अलावा जर्मनी को लेकर अनुमान लगाया है कि इसकी वृद्धि दर
इसमें कोई दो राय नहीं है कि जंग की वजह से लोगों की जानें जाती है लेकिन युद्ध के गंभीर आर्थिक असर की बात करें तो इससे देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचता है, कामकाजी आबादी में गिरावट आती है, महंगाई बढ़ती है, कर्ज में वृद्धि और सामान्य आर्थिक गतिविधियों में समस्याएं आती है.
विश्व बैंक ने भारत की अनुमानित विकास दर को 8.7 प्रतिशत से घटाकर 8 प्रतिशत कर दिया है.
विश्व बैंक समूह के प्रेसिडेंट ने बताया कि, लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसने गरीबों पर भारी बोझ डाला है.
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