ADVERTISEMENTREMOVE AD

IMF ने घटाया भारत का जीडीपी ग्रोथ अनुमान, 2022-23 के लिए विकास दर 8.2 प्रतिशत

पूर्वानुमान में 7.1 प्रतिशत की तुलना में 2023-24 के लिए भारत के विकास के अनुमान को घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया.

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने मंगलवार, 19 अप्रैल को, 2022-23 के लिए भारत की विकास दर को घटाकर 8.2 प्रतिशत कर दिया, जबकि जनवरी के पूर्वानुमान में यह 9 प्रतिशत था. इसके अलावा रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष का हलावा देते हुए आईएमएफ ने 2022 के लिए वैश्विक आर्थिक विकास के अपने पूर्वानुमान को भी घटाकर 3.6 प्रतिशत कर दिया है, जो कि इसके पहले के पूर्वानुमान की तुलना में 0.8 प्रतिशत की कमी है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

IMF ने अपनी जनवरी की रिपोर्ट में 7.1 प्रतिशत की तुलना में 2023-24 के लिए भारत के विकास के अनुमान को घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया. 2023 के लिए वैश्विक विकास पूर्वानुमान को पहले के अनुमानित 3.8 प्रतिशत से घटाकर 3.6 प्रतिशत कर दिया गया.

आईएमएफ के "वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक" में कहा गया है कि रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध की वजह से कम विकास होने और मुद्रास्फीति में और बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. इससे सामाजिक अशांति के जोखिम पैदा हो सकते हैं.

IMF ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध लंबा होना, रूसी ऊर्जा आपूर्ति पर लगाए गए प्रतिबंध, चीन की अर्थव्यवस्था की मंदी और ग्लोबल स्तर पर कोरोना मामलों में हो रही बढ़ोतरी ग्लोबल ग्रोथ को धीमा कर रही थी.

युद्ध का सप्लाई पर पड़ेगा असर: IMF

मीडियम टर्म में ग्रोबल ग्रोथ रेट भी 3.3 प्रतिशत तक घटने की उम्मीद है, जबकि 2004-13 तक यह 4.1 प्रतिशत और पिछले साल 6.1 प्रतिशत थी.

पहले से ही इसकी उम्मीद जताई गई थी कि रूस और यूक्रेन की अर्थव्यवस्थाओं में तेजी से गिरावट आएगी, यूरोपीय यूनियन (EU) के देशों की 2022 की विकास दर में 1.1 प्रतिशत की गिरावट देखने की उम्मीद है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक आईएमएफ के चीफ इकोनॉमिस्ट पियरे-ओलिवियर गौरींचस ने कहा कि युद्ध ने हाल के वर्षों में ग्लोबल इकोनॉमी को प्रभावित करने वाले आपूर्ति झटकों की सीरीज जोड़ा है. भूकंपीय तरंगों की तरह इसके प्रभाव कमोडिटी बाजारों, व्यापार और वित्तीय संबंधों के माध्यम से दूर-दूर तक फैलेंगे.

एडवांस और विकासशील देशों के बीच बने रहने के लिए इकोनॉमिक गल्फ'

आईएमएफ ने यह भी कहा कि उन्नत अर्थव्यवस्थाओं को अपने उत्पादन में कोरोना महामारी से पहले वाले स्तर तक पहुंचने में अधिक वक्त लगेगा. उन्नत और विकासशील देशों के विकास स्तरों के बीच की खाई बनी रहेगी.

फाइनेंसियल बॉडी ने उन्नत देशों में 5.7 प्रतिशत और विकासशील देशों में 8.7 प्रतिशत की मुद्रास्फीति का अनुमान लगाया.

गौरींचस ने कहा कि

मौजूदा वक्त में मंहगाई कई देशों के लिए एक स्पष्ट खतरा बन गई है. संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) फेडरल रिजर्व और अन्य केंद्रीय बैंकों ने इस संबंध में मौद्रिक नीति सुधार लाया था.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन के युद्ध की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था को अलग-अलग ब्लॉकों में टेक्नोलॉजी, पेमेंट मकेनिज्म और मुद्रा भंडार के अलग-अलग मानकों के साथ स्थायी रूप से खंडित करने के जोखिम को बढ़ा दिया था.

गौरींचस ने कहा कि इस तरह के बदलाव से लंबे वक्त तक कार्यक्षमता में कमी आएगी, अस्थिरता बढ़ेगी और पिछले 75 वर्षों से अंतरराष्ट्रीय और आर्थिक संबंधों को नियंत्रित करने वाले नियमित ढांचे के लिए एक बड़ी चुनौती होगी.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×