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Iran Presidential Election Process: ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी (Ebrahim Raisi) की एक हेलिकॉप्टर क्रैश में मौत हुई. इस हेलिकॉप्टर क्रैश में ईरानी विदेश मंत्री होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन की भी मौत हुई. मिडिल ईस्ट की राजनीति में एक बड़े प्लेयर होने की वजह से अमेरिका से लेकर भारत तक की नजर ईरान पर है.
वैसे तो राष्ट्रपति की मौत की खबर की पुष्टि होने के साथ ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने वहां के उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर को अंतरिम राष्ट्रपति बना दिया है, लेकिन सवाल अगले स्थाई राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर है. 28 जून को राष्ट्रपति के चुनाव की तारीख तय की गई है.
सवाल है कि ईरान में राष्ट्रपति चुनाव कैसे होता है? चुनाव में सुप्रीम लीडर का क्या रोल है? गार्डियन काउंसिल क्या है, कौन चुनाव लड़ सकता है? जब ईरान में एक सर्वोच्च नेता है तो फिर राष्ट्रपति की क्या जरूरत है?
सबसे पहले आपको बताते हैं कि ईरान में सत्ता की संरचना क्या है और शक्ति किसके हाथों में रहती है.
अयातुल्ला अली खामेनेई 1989 में ईरान के सुप्रीम लीडर बने. उन्होंने अयातुल्ला रुहोल्लाह खुमैनी की जगह ली थी और इसके पहले वे ईरान के राष्ट्रपति थे.
ईरान के राष्ट्र प्रमुख की हैसियत से उनका रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स पर कंट्रोल है. इसे लंबे समय से उनकी शक्ति का प्रमुख आधार माना जाता है.
ईरान में पावर की बात करें तो सुप्रीम लीडर के बाद आता है राष्ट्रपति. दरअसल राष्ट्रपति ईरान में सबसे बड़ा चुना हुआ अधिकारी होता है और सरकार के दैनिक कामकाज के लिए जिम्मेदार होता है. घरेलू नीति और विदेशी मामलों पर भी उसका प्रभाव होता है.
राष्ट्रपति के अंदर आने वाला आंतरिक मंत्रालय यहां के राष्ट्रीय पुलिस बल को चलाता है, लेकिन इसके कमांडर को खुद सुप्रीम लीडर नियुक्त करता है और वह उसी के प्रति जवाबदेह होता है.
इसके अलावा सुप्रीम लीडर के अंदर ही गार्जियन काउंसिल आती है जो नए कानूनों को मंजूरी देती है और उन पर वीटो कर सकती है.
भले ही पहली नजर में ईरान में होने वाला राष्ट्रपति चुनाव लोकतांत्रिक दिखे लेकिन ऐसा है नहीं. यहां के राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया को समझने के लिए आपको गार्जियन काउंसिल की शक्ति को जानना होगा.
गार्जियन काउंसिल ईरान में सबसे प्रभावशाली बॉडी है. वर्तमान में इसपर रूढ़िवादियों का नियंत्रण है. इसमें कुल 12 मेंबर होते हैं. इनमें से 6 धर्म को जानने वाले होते हैं जिन्हें सुप्रीम लीडर नियुक्त करता है. जबकि अन्य 6 न्यायविद होते हैं जिन्हें न्यायपालिका नॉमिनेट करती है और संसद मंजूरी देती है.
यहां हर वोट देने के पात्र नागरिक को एक वोट देने का अधिकार होता है. लेकिन गार्जियन काउंसिल पहले ही ऐसे उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित कर देती है जो सत्ता से सवाल करते हैं. ऐसे में जनता चाह के भी ऐसे उम्मीदवारों को वोट नहीं दे सकती. इसी वजह से ईरान में वोटर टर्नआउट कम देखने को मिलता है.
ईरान के संविधान के अनुच्छेद 131 के अनुसार, यदि राष्ट्रपति किसी वजह से (मौत भी) अपने कर्तव्यों को पूरा नहीं कर पाता है तो प्रथम उपराष्ट्रपति कार्यभार संभालता है और उसे 50 दिनों के भीतर एक नया राष्ट्रपति चुनाव आयोजित करना होता है.
राष्ट्रपति चुनाव के लिए 28 जून की तारीख तय की गई है.
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