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इजरायल में राजनीतिक अस्थिरता कायम है और वहां एक बार फिर नई सरकार और प्रधानमंत्री चुने जाने के लिए मंगलवार, 1 नवंबर को वोट (Israel election) डाले जा रहे हैं. साल 2019 के बाद से पांचवीं बार, इजरायल की जनता आम चुनावों में वोट डाल रही है- इस उम्मीद में कि पिछले साढ़े तीन सालों से देश को पंगु बनाने वाले राजनीतिक गतिरोध को तोड़ा जा सके. सवाल है कि क्या बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) इस बार वापसी करेंगे या फिर स्पष्ट बहुमत और आम सहमति के अभाव में मौजूदा राजनीतिक अस्थिरता बनी रहेगी.
बेंजामिन नेतन्याहू को साल 2021 के बीच उस समय पीएम पद से हटने के लिए मजबूर किया गया था, जब यायर लैपिड (Yair Lapid ) ने लिबरल, दक्षिणपंथी और अरब पार्टियों के साथ एकजुट होकर एक बेमेल गठबंधन बनाकर सरकार बनाई थी.
हालांकि Yair Lapid की सरकार के पतन और जून 2022 में इजरायल की संसद के विघटन के बाद फिर से चुनाव की स्थित बन गयी है. लैपिड अब कार्यवाहक प्रधान मंत्री हैं और मौजूदा चुनाव में वे नेतन्याहू के मुख्य प्रतिद्वंद्वी हैं.
भले ही इजरायल की जनता नए चुनावों से स्थिरता की उम्मीद कर रही है, लेकिन इसकी संभावना कम है कि कोई भी दल 120 सीटों वाली संसद में भारी बहुमत हासिल करने में सक्षम होगा. चुनाव पूर्व किये गए सर्वे में कड़े मुकाबले की भविष्यवाणी की गई है.
पिछले सप्ताह के आखिर में जारी किए गए इजरायल के मुख्य टीवी चैनलों के कई सर्वे ने संकेत दिया कि नेतन्याहू का गठबंधन - जिसमें अति-रूढ़िवादी यहूदी दल Shas और United Torah Judaism भी शामिल हैं - 120 सीटों में से 60 सीटें जीतेंगे.
सर्वे में नेतन्याहू विरोधी गठबंधन को 56 सीटें मिलने और अरब पार्टियों के नेतृत्व वाले हदाश-ताल गठबंधन (Hadash-Taal alliance) के चार सीट जीतने की भविष्यवाणी की गयी, जिसने गठबंधन में शामिल होने से इंकार कर दिया है.
पिछले चार अनिर्णायक चुनावों की तरह ही, यह चुनाव भी इजरायल के सुरक्षा-कूटनीति के मुद्दों और फिलिस्तीनियों के साथ संघर्ष पर वोट के बजाय नेतन्याहू कमबैक करेंगे या नहीं - इस मुद्दे पर जनमत संग्रह जैसा दिख रहा है.
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