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इजरायल का आयरन डोम: हवा में रॉकेट का सफाया, 70 KM रेंज, 3 'दीवार' कैसे पार कर गया हमास?

Israel Hamas War: आयरन डोम क्या है? यह करता क्या है? | Explained

दिव्या उप्पल
दुनिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>इजरायल का आयरन डोम कैसे काम करता है?</p></div>
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इजरायल का आयरन डोम कैसे काम करता है?

(फोटो- अल्टर्ड बाई क्विंट हिंदी)

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Israel-Hamas War: तारीख थी 7 अक्टूबर 2023 की. दिन था शनिवार. इजरायल में सुबह आम होनी थी लेकिन कुछ ही देर में चीजें बदल गईं. अचानक रॉकेटों के हमले से आसमान भर गया.

फिलिस्तीनी उग्रवादी समूह हमास ने सिर्फ 20 मिनट के अंदर 5,000 से अधिक रॉकेट दागकर इजरायल को हिलाकर रख दिया. यह पिछले कई सालों में इजरायल पर सबसे घातक हमला था. इस हमले ने इजरायल को अपनी आयरन डोम रक्षा प्रणाली (Iron Dome defence system) को सक्रिय करने के लिए मजबूर किया.

तो आपके जेहन में यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर आयरन डोम क्या है? यह करता क्या है? और इसे इजरायल की सबसे उन्नत रक्षा प्रणाली क्यों माना जाता है? चलिए हम समझाते हैं.

Iron Dome क्या है?

"आयरन डोम" एक जमीन से हवा में मार करने वाली रक्षा प्रणाली यानी डिफेंस सिस्टम है. इसे इजरायल ने गाजा और लेबनान जैसे शत्रुतापूर्ण क्षेत्रों से आने वाली मिसाइलों, रॉकेटों और यहां तक ​​कि मानव रहित हवाई वाहनों (UAV) को रोकने और नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है. यह रक्षा तंत्र 70 किलोमीटर तक के रेंज को कवर करता है.

इसे इजरायल ने 2011 में तैनात किया था. आयरन डोम पूरे इजरायल में एक सुरक्षा कवच के रूप में काम करता है. दरअसल 2006 में लेबनान से हिजबुल्लाह ने हजारों रॉकेट दागे थे. इस हमले ने इजरायल को अपनी वायु रक्षा प्रणाली विकसित करने के लिए प्रेरित किया गया.
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Iron Dome कैसे काम करता है?

इजरायल के अधिकारियों का कहना है कि आयरन डोम लगभग 90% कम दूरी के रॉकेटों को निष्क्रिय कर सकता है. ऐसे रॉकेट अक्सर पड़ोसी लेबनान और गाजा से हिजबुल्लाह, हमास और इस्लामिक जिहाद जैसे समूह दागते हैं. आयरन डोम रक्षा प्रणाली की यह काबिलियत, उसके तीन प्राथमिक कॉम्पोनेन्ट से आती है:

  • आने वाले रॉकेटों का पता लगाने वाला एक रडार सिस्टम

  • एक कंट्रोल सिस्टम जो आने वाले रॉकेट की इम्पैक्ट प्वॉइंट यानी वह कहां गिरेगा, इसको कैलकुलेट करता है और उन रॉकेटों को टारगेट करता है जो शहरी क्षेत्रों और बुनियादी ढांचे के लिए बड़ा खतरा पैदा करते हैं. दूसरी तरफ यह गैर-आबादी वाले क्षेत्रों या समुद्र की ओर जाने वाले रॉकेटों को इग्नोर कर देता है.

  • तीसरा दुश्मन के रॉकेटों को नष्ट करने के लिए मिसाइलें दागने वाला एक लॉन्चर

डिटेक्शन एवं ट्रैकिंग रडार कमांड यूनिट

(फोटो: द क्विंट)

वेपन कंट्रोल सिस्टम

(फोटो: द क्विंट)

मिसाइल लॉन्च यूनिट

(फोटो: द क्विंट)

सिस्टम के भीतर का भाग/कॉम्पोनेन्ट यह निर्धारित करता है कि इजरायली लोगों को आने वाली मिसाइल से खतरा है या नहीं. यह ऐसे रॉकेटों को लैंड करने देता है जिससे कोई खतरा नहीं होता.

आयरन डोम को लगभग 70 किलोमीटर की सीमा के भीतर मिसाइलों को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है.

इसके अतिरिक्त, इसे जहाजों या जमीन पर भी लगाया जा सकता है और डिफेंस की अलग-अलग जरूरतों के अनुकूल बनाया जा सकता है. हालांकि, दुश्मनों के रॉकेटों को लगातार नष्ट करने के लिए आयरन डोम को रीलोड करना आवश्यक हो जाता है.

इस बार हमास ने Iron Dome को कैसे भेदा?

हमास के साथ 2012 के संघर्ष के दौरान, इजरायल ने गाजा पट्टी से दागे गए 400 रॉकेटों में से 85 प्रतिशत को रोकने का दावा किया था.

2014 के संघर्ष में, हमास ने 4,500 से अधिक रॉकेट दागे थे. इजरायल के आयरन डोम ने इनमें से 90 प्रतिशत को हवा में ही नष्ट कर दिया था.

हालिया हमले में, हमास ने उस पैमाने पर हमला किया को पहले कभी नहीं किया. उसने महज 20 मिनट की अवधि के भीतर 5,000 से अधिक रॉकेट दागे. एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, इस जबरदस्त हमले के बावजूद, आयरन डोम 90 प्रतिशत रॉकेटों का मुकाबला करने में कामयाब रहा.

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