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इजरायल (Israel) पर फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास (Hamas) के हमले को एक सप्ताह से ज्यादा का समय हो चुका है. शनिवार, 7 अक्टूबर को हमास ने गाजा से इजरायल पर रॉकेट बरसाए थे. इसके साथ ही उसके लड़ाके इजरायली सीमा में भी घुस गए थे. जिसके बाद इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने युद्ध का ऐलान कर दिया था. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक इस हमले में 1,400 से अधिक इजरायलियों की मौत हो चुकी है. वहीं फिलिस्तीन अथॉरिटी के मुताबिक, गाजा पट्टी में 2,750 लोग मारे गए हैं.
इजरायल ने गाजा पर जमीनी हमले की पूरी तैयारी कर ली है. इसी बीच 10 लाख फिलस्तीनी लोगों से उत्तरी इलाके को छोड़कर दक्षिणी गाजा की तरफ जाने के लिए कहा गया है. इसके साथ इजरायल ने इन लोगों को अगले आदेश तक वापस नहीं आने के लिए भी कहा है.
हमास के हमले के बाद पश्चिमी देशों ने इजरायल का समर्थन किया है. वहीं सऊदी अरब, ईरान सहित कई मुस्लिम देशों ने फिलिस्तीन का समर्थन किया है. लेकिन यहां एक बड़ा सवाल है कि क्या ये युद्ध इजरायल और फिलिस्तीन के बीच है या फिर इजरायल और हमास के बीच? क्या फिलिस्तीन का समर्थन हमास का समर्थन है? फिलिस्तीन का पावर डायनामिक्स क्या है? इसमें हमास कहां आता है?
इन सवालों के जवाब तलाशने से पहले हमें गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक के पवार डायनामिक्स (Power Dynamics) को समझना जरूरी है.
गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक को आम तौर पर फिलिस्तीन कहा जाता है. दोनों जगहों रहने वाले लोग फिलिस्तीनी कहलाते हैं. हालांकि, ये दोनों जगह एक दूसरे से काफी दूर हैं. इन दोनों जगहों का नियंत्रण भी अलग-अलग संगठनों के हाथों में है. गाजा पट्टी पर हमास का नियंत्रण है. 2006 में फिलिस्तीनी विधान परिषद (PLC) के लोकतांत्रिक चुनावों में फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह हमास की जीत हुई. इसके एक साल बाद हमास ने फिलिस्तीनी प्राधिकरण (PA) के सुरक्षा बलों को हटाकर गाजा पर पूर्ण नियंत्रण कर लिया. तब से गाजा पर हमासा का नियंत्रण है.
वहीं वेस्ट बैंक- जिसे आमतौर पर फिलिस्तीन का दूसरा हिस्सा कहते हैं यहां फतह की अगुवाई वाले फिलिस्तीन अथॉरिटी (PA) की सरकार है. फिलिस्तीनी अथॉरिटी (PA) एक शासी निकाय है जो 1990 के मध्य से वेस्ट बैंक के कुछ हिस्सों पर शासन कर रहा है. महमूद अब्बास यहां के वर्तमान राष्ट्रपति हैं. फिलिस्तीन अथॉरिटी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिलिस्तीनियों का प्रतिनिधित्व करता है और इसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता भी प्राप्त है.
इजरायल पर हमला गाजा पट्टी से आतंकी संगठन हमास ने किया है. वेस्ट बैंक पर शासन चलाने वाली फतह पार्टी या फिलिस्तीनी अथॉरिटी का सीधे तौर पर इस हमले से कोई लेना देना नहीं है.
7 अक्टूबर को अपने संबोधन में इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने युद्ध का ऐलान करते हुए हमास का नाम लिया था. उन्होंने अपने संबोधन में कहीं भी फिलिस्तीन या फिलिस्तीन अथॉरिटी का नाम नहीं लिया.
15 अक्टूबर को कैबिनेट की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा "हमास ने सोचा था कि हम अलग हो जाएंगे, लेकिन हम हमास को खत्म कर देंगे."
इससे साफ है कि इजरायल का युद्ध हमास के खिलाफ है.
हमास के हमले के बाद फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने 7 अक्टूबर को कहा था कि फिलिस्तीनी लोगों को "आबादकारों और कब्जा करने वाले सैनिकों के आतंक" से अपनी रक्षा करने का अधिकार है.
वहीं फिलिस्तीन के प्रधानमंत्री डॉ. मोहम्मद शतायेह ने 13 अक्टूबर को इजरायल पर आरोप लगाते हुए कहा कि, "इजरायल गाजा में युद्ध अपराध कर रहा है. पानी और बिजली की आपूर्ति पूरी तरह से बंद है. फिलिस्तीनी जीवन, निजी इमारतों, सार्वजनिक भवनों और बुनियादी ढांचों का पूर्व विनाश हो रहा है."
इसके साथ ही उन्होंने कहा, "इजरायल के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन इजरायल के लिए हमारे लोगों के खिलाफ और अधिक अपराध करने के लाइसेंस से ज्यादा कुछ नहीं है."
वहीं हमास के खिलाफ इजरायली सेना के अभियान के शुरू होने के बाद सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान ने फिलिस्तीनी राष्ट्रपति से बात की है और उनसे कहा, "सऊदी अरब फिलिस्तीनियों के अधिकार, उनकी उम्मीदों, महत्वाकांक्षाओं और शांति के लिए साथ खड़ा है."
एक तरफ अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और भारत ने हमास के हमले की निंदा की है. वहीं ईरान ने इसे सही ठहराया. चीन और रूस, दोनों ने तुरंत युद्ध रोकने की वकालत की है.
व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शनिवार को इजरायल और फिलिस्तीनी प्राधिकरण के नेताओं के साथ बातचीत में इजरायल के लिए अमेरिकी समर्थन जारी रखने के साथ-साथ फिलिस्तीनी नागरिकों के लिए मानवीय सहायता की आवश्यकता पर जोर दिया है.
57 इस्लामिक देशों के संगठन OIC ने बुधवार को इजरायल और हमास के संघर्ष और गाजा के आम नागरिकों की स्थिति पर चर्चा के लिए संगठन में शामिल देशों के विदेश मंत्रियों की आपात बैठक बुलाई है. OIC ने कहा, "संगठन अपील करता है कि फिलिस्तीनी लोगों के प्रति इजरायल के इस आक्रामक व्यवहार को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय जल्द कारगर कदम उठाए, नहीं तो इसकी वजह से अभूतपूर्व मानवीय त्रासदी पैदा हो सकती है."
हमास के हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे "आतंकवादी हमला" करार दिया था और कहा था कि, "हम इस कठिन समय में इजरायल के साथ एकजुटता से खड़े हैं."
वहीं ईरान ने हमास का समर्थन किया है. रविवार को हमास के नेता इस्माइल हानिया ने कतर में ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन से मुलाकात की है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स में छपे हमास के एक बयान के मुताबिक, अमीर-अब्दुल्लाहियन ने अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हमास के साथ सहयोग जारी रखने पर सहमति जताई है.
फतह - शब्द का अर्थ है जीतना. 1948 के इजरायली-अरब युद्ध के दौरान 70,000 से अधिक फिलिस्तीनी अरबों के विस्थापन और बेदखली के बाद 1950 के दशक के अंत में इसकी कुवैत में स्थापना हुई थी. इस धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रवादी संगठन की स्थापना कई लोगों द्वारा की गई थी, लेकिन प्रमुख संस्थापक यासिर अराफात (वह आगे चलकर फिलिस्तीनी प्राधिकरण के अध्यक्ष बने) और उनके साथी कार्यकर्ता थे, जिनमें महमूद अब्बास (फिलिस्तीनी प्राधिकरण के वर्तमान अध्यक्ष) भी शामिल थे.
1970 के दशक में जॉर्डन और लेबनान ने अपनी सैन्य शाखा वापस बुला ली, जिसके बाद फतह का सशस्त्र संघर्ष जल्द ही खत्म हो गया. अल जजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसके बाद संगठन में कुछ बदलाव हुए और फिर इजरायल से भी बातचीत शुरू हुई.
1990 के दशक में फतह के नेतृत्व वाले PLO ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की कि वो अपना सशस्त्र प्रतिरोध त्याग देगा. इसके बाद ओस्लो समझौते के तहत फिलिस्तीनी राष्ट्रीय प्राधिकरण (PNA) या फिलिस्तीनी प्राधिकरण (PA) की स्थापना हुई, जो एक अंतरिम स्वशासी निकाय है, जिसका उद्देश्य एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य का नेतृत्व करना था.
हमास फिलिस्तीन में एक और प्रमुख राजनीतिक दल है. लेकिन यह इजरायल के खिलाफ चल रहे सशस्त्र संघर्ष के लिए जाना जाता है. समूह की स्थापना 1980 के दशक के अंत में, वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी पर इजरायल के कब्जे के खिलाफ पहले फिलिस्तीनी इंतिफादा या विद्रोह की शुरुआत के बाद हुई थी. बता दें यहूदी राज्य ने 1967 के इजरायल-अरब युद्ध में जीत के बाद फिलिस्तीनी क्षेत्रों (वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी) पर कब्जा कर लिया था.
जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, आतंकवादी संगठन 2006 से गाजा पट्टी पर शासन कर रहा है, जिसमें 20 लाख से अधिक लोग रहते हैं.
हमास ने हमला क्यों किया, अब आगे क्या होगा- ये जानने के लिए यहां क्लिक करें.
PIJ फिलिस्तीन का दूसरा सबसे बड़ा आतंकवादी समूह है जिसका उद्देश्य बल और सैन्य साधनों का उपयोग करके इजरायल को नष्ट करना और उसके स्थान पर पूर्ण इस्लामी फिलिस्तीनी राज्य स्थापित करना है. इसकी स्थापना 1981 में मिस्र के मुस्लिम ब्रदरहुड के सदस्यों द्वारा की गई थी. अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि समूह को ईरान द्वारा आर्थिक रूप से समर्थन प्राप्त है. कहा जाता है कि PIJ ने 1979 की इस्लामी क्रांति से प्रेरणा ली है.
PLO की कल्पना 1964 में मिस्र के काहिरा में अरब लीग शिखर सम्मेलन में की गई थी, जिसका एकमात्र उद्देश्य अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सशस्त्र संघर्ष की मदद से फिलिस्तीन को मुक्त कराना था. संगठन मूल रूप से छोटे अरब समूहों (हमास और इस्लामिक जिहाद को छोड़कर) का गठबंधन है, फतह इसका प्रमुख बना हुआ है - फतह के संस्थापक यासिर अराफात 1969 में PLO के अध्यक्ष बने और 2004 में अपनी मृत्यु तक इस पद पर बने रहे. अराफात की मौत के बाद महमूद अब्बास ने उनकी जगह ली, जो अभी भी संगठन के प्रमुख हैं.
15 नवंबर, 1988 को, PLO ने अल्जीयर्स में अपने बेस से फिलिस्तीनी स्वतंत्रता की घोषणा की और अगले महीने, अपनी 1967 की सीमाओं में इजरायल के अस्तित्व को भी मान्यता दी और हिंसा के तरीके को त्याग दिया.
PA की स्थापना जुलाई 1994 में ओस्लो समझौते के तहत की गई थी. इसकी स्थापना इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के समाधान तक गाजा और वेस्ट बैंक (पूर्वी यरूशलम को छोड़कर) कुछ हिस्सों पर शासन के लिए एक अंतरिम निकाय के रूप में की गई थी. अल जजीरा कि रिपोर्ट के मुताबिक, इसके निर्माण से एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य का मार्ग प्रशस्त होना था, लेकिन आज माना जाता है कि इसकी वास्तविक शक्ति बहुत कम है और यह इजरायली सेना के नियंत्रण में काम कर रहा है.
2006 में हमास ने PLC चुनाव जीतने के बाद PA को गाजा पट्टी से बाहर कर दिया गया था और तब से आतंकवादी समूह का इस क्षेत्र पर नियंत्रण है. वर्तमान में, PA वेस्ट बैंक के कुछ हिस्सों को नियंत्रित करता है और इसका नेतृत्व महमूद अब्बास करते हैं, जो PLO और फतह के प्रमुख भी हैं.
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