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Israel Palestine War: हमास ने हमला क्यों किया, टाइमिंग क्या बता रही? आगे क्या होगा?

Explained | इजरायल पर इस समय हमास के हमले शुरू करने के कई उद्देश्य हैं - और उन सभी का एक संभावित पैटर्न भी है

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Israel Hamas War: अगर पीछे मुड़कर देखें तो ऐसा लगता है कि 7 अक्टूबर को सुनियोजित तरीके से हमास (Hamas) ने जो खतरनाक हमला इजरायल पर किया है, उसकी परिस्थितियां तैयार हो रही थीं.

यह ऑपरेशन 2005 से गाजा में इजरायल और हमास आतंकवादियों के बीच चार युद्धों और नियमित हिंसा के पैटर्न को दर्शाता है. 2005 में ही इजराइल ने गाजा से अपनी सैन्य चौकियां हटा लीं थी और और 9,000 इजरायली निवासियों को जबरन क्षेत्र से हटा दिया था.

वहीं जब भी हमास ने इजरायल पर रॉकेट दागे हैं तो उसे भी गाजा पट्टी पर बड़े बम विस्फोटों के रूप में इजरायल से भारी जवाबी कार्रवाई का सामना करना पड़ा है. हालांकि ऐसा लगता है कि हमास इसे कीमत मान स्वीकार कर चुका है.

Israel Palestine War: हमास ने हमला क्यों किया, टाइमिंग क्या बता रही? आगे क्या होगा?

  1. 1. हमास इस हमले से क्या हासिल करना चाहता है?

    हमास को इस हमले के लिए सबसे ज्यादा प्रेरित करने वाला फैक्टर ये है कि हमला कर हमास खुद की महत्ता बताना चाहता है. हमास ये दिखाना चाहता है कि गाजा की ओर से इजरायल के खिलाफ जारी लड़ाई का लीडर हमास ही है. इसकी वजह है कि हमास के अलावा और भी छोटे-मोटे लड़ाकू समूह है जो गाजा में मजबूत हो रहे हैं- जैसे कि फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद.

    इन समूहों ने, कभी-कभी, स्वतंत्र रूप से इजराइल पर रॉकेट से हमले किए हैं. और जब इजरायल जवाबी हमला करता है तो प्रभाव पूरे गाजा पर होता है.

    इसके अलावा, पिछले दिसंबर में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू द्वारा बनाई गई इजरायली सरकार इजरायल के इतिहास में सबसे ज्यादा दक्षिणपंथी सरकार है. इस सरकार की वेस्ट बैंक (फिलिस्तीन का हिस्सा) पर कब्जा करने की इच्छा अब कोई छिपी बात नहीं रही. यह सरकार चाहती है फिलिस्तीन के क्षेत्रों में यहूदी लोगों की बस्तियां हो, जो अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अवैध है.

    इससे इजरायल की ओर से बसने वालों और वेस्ट बैंक के युवा फिलिस्तीनियों के बीच संघर्ष शुरू हो गया है, जिन्होंने पिछले साल एक समूह बनाया जिसे "लायंस डेन" के नाम से जाना जाता है.

    इस समूह का कोई केंद्रीय नियंत्रण नहीं है और इसमें जो उग्रवादी शामिल हैं वे स्वतंत्र हैं, और इनका वेस्ट बैंक पर शासन करने वाली फिलिस्तीनी सरकार के प्रति बहुत कम सम्मान है. वेस्ट बैंक पर शासन करने वाली सरकार का नेतृत्व अस्सी वर्षीय महमूद अब्बास करते हैं. फिलिस्तीनी सरकार के पास क्षेत्र में वास्तविक प्रशासनिक, सुरक्षा या नैतिक अधिकार बहुत कम है.

    गाजा और वेस्ट बैंक, दोनों में फिलीस्तीनी युवाओं के बीच प्रभाव जमाने के लिए "लायंस डेन" गाजा आतंकवादी समूहों के साथ भी प्रतिस्पर्धा करता है.

    इसके अलावा, नेतन्याहू के गठबंधन में एक मंत्री इतामार बेन-गविर ने टेंपल माउंट का दौरा किया है, जो अल-अक्सा मस्जिद का स्थल है, जो इस्लाम के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है. इसे वेस्ट बैंक और गाजा के लोगों ने माना कि ऐसा कर उन्हें उकसाया गया है. फिलिस्तीनियों को और अधिक नाराज करते हुए, हाल ही में सुक्कोट हॉलिडे (यहूदियों से संबंधित) के दौरान इजरायली पर्यटकों ने भी इस स्थल की यात्रा की.

    साल 2000 में इजराइल सरकार में विपक्ष के नेता एरियल शेरोन ने टेम्पल माउंट की यात्रा की, जिसे आम तौर पर उस चिंगारी के रूप में माना जाता है जिसने 2000-2005 तक दूसरे इंतिफादा (विद्रोह) को शुरू कर दिया था.

    इजराइल की स्थापना से पहले के एक समझौते के तहत, जॉर्डन के पास अल-अक्सा धार्मिक परिसर का संरक्षण था. इजरायल ने 1994 में इजरायली-जॉर्डन शांति संधि पर हस्ताक्षर करते समय जॉर्डन की भूमिका का सम्मान करने का लक्ष्य रखा था.

    लेकिन इजरायली मंत्रियों और गैर-मुस्लिम पर्यटकों की यात्राओं को फिलिस्तीनी स्थल की पवित्रता के प्रति अनादर और इसे प्रतिशोध के रूप में देखते हैं.

    हमास ने यह भी दावा किया है कि इन यात्राओं के कारण अल-अक्सा स्थल को अपवित्र किया गया है, इस तर्क का उद्देश्य स्पष्ट रूप से पूरे अरब और व्यापक इस्लामी दुनिया में मुसलमानों से समर्थन हासिल करना है.

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  2. 2. हमास ने इजरायल पर अभी हमला क्यों किया होगा?

    हमास ने अपनी कार्रवाई (हमले) का नाम "ऑपरेशन अल-अक्सा फ्लड" रखा है. इस नाम से पता किया जा सकता है कि हमला इस समय क्यों हुआ. ये नाम इस बात पर जोर देता है कि हमास एक पवित्र इस्लामी स्थल को अपवित्र करने के इजरायली कामों को कैसे देखता है. हमास ये दिखाना चाहता है कि उसका इजरायल के इस कदम पर क्या नजरिया है.

    हमास हमले के लिए जो प्रेरित हुआ है उसके पीछे फैक्टर संभवत इजरायल के साथ शांति समझौते करने के लिए अरब देशों की बढ़ती प्रवृत्ति हो सकती है, जैसा कि संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, सूडान और मोरक्को को शामिल करते हुए 2020 अब्राहम समझौते से पता चलता है.

    हाल ही में ऐसी अटकलें जोरों पर हैं कि सऊदी अरब इजराइल के साथ अपना समझौता करने वाला है.

    यह केवल वेस्ट बैंक के लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि सभी फिलिस्तीनियों के लिए बहुत चिंता का विषय है, क्योंकि इससे इजरायल पर उनके साथ समझौता करने का दबाव कम हो जाता है. नेतन्याहू ने अपने सार्वजनिक बयानों में स्पष्ट कर दिया है कि वह फिलिस्तीनियों के साथ शांति समझौता करने की तुलना में अरब देशों के साथ शांति को प्राथमिकता देते हैं.

    हमास इजरायल को मान्यता नहीं देता है, लेकिन उसने कहा है कि अगर इजरायल अपनी 1967 की सीमाओं से पीछे हट गया तो वह युद्धविराम कर लेगा. इस बात की संभावना नहीं है कि इजरायल इस पर हमास की बात मानेगा और मांग के अनुसार पीछे हट जाएगा. लेकिन अगर सऊदी अरब इजरायल के साथ अपना समझौता कर ले तो उस स्थिति के साकार होने की संभावना और भी कम होगी.

    हमास ने इसी समय हमला क्यों किया- इसको लेकर एक और पहलू ये है कि यह अक्टूबर 1973 में योम किप्पुर या रमजान युद्ध की शुरुआत की 50वीं वर्षगांठ के साथ लगभग मेल खाता है. 1973 में मिस्र और सीरिया ने एक साथ इजरायल पर हमला किया था. इसका बड़ा प्रभाव होगा और बहुत महत्वपूर्ण होगा.

    इस घटनाक्रम के बाद हमास को अरब जगत से बहुत सहानुभूति मिलने की संभावना है, लेकिन भौतिक रूप से (जैसे हथियार) सहायता कम ही मिलेगी. हमास के सैन्य अभियान के कारण सऊदी अरब को फिलहाल इजराइल के साथ संबंध सामान्य करने से पीछे हटना पड़ सकता है. हालांकि इसकी संभावना नहीं है कि अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले अरब देशों में से कोई भी गाजा के खिलाफ इजरायली प्रतिशोध के विरोध में अब पीछे हट जाएगा.

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  3. 3. इजरायल और हमास संघर्ष: अब आगे क्या होगा?

    यह स्पष्ट नहीं है कि संघर्ष किस ओर जा रहा है. लेबनान में हिजबुल्लाह आतंकवादी समूह पहले ही इजरायल के उत्तर में ठिकानों पर गोलीबारी कर चुका है. लेकिन यह किस हद तक गंभीरता से शामिल होगा यह इसके स्पॉन्सर ईरान पर निर्भर करेगा.

    आमतौर पर देखा गया है कि तेहरान ईरानी परमाणु सुविधाओं पर इजरायली हमले की स्थिति में हिजबुल्लाह की काफी रॉकेट और मिसाइल ताकत को रिजर्व में रखना चाहता है.

    यह भी सवाल है कि क्या वेस्ट बैंक का "लायंस डेन" आतंकवादी समूह खुद भी इजरायल पर हमला करेगा या नहीं और क्या वो प्रभावी रूप से इजरायल के खिलाफ फिलिस्तीन की ओर से तीसरा मोर्चा बन पाएगा?

    अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पहले ही इजरायल के लिए समर्थन का वादा कर चुके हैं, इसलिए इसमें कोई संदेह नहीं है कि इजरायल ही आखिरी में इन चुनौतियों पर काबू पा लेगा. नेतन्याहू ने एक लंबे युद्ध की चेतावनी दी है, लेकिन अगर इजरायल अपनी प्रतिशोध में पूरी ताकत लगाता है तो यह काफी छोटा साबित हो सकता है.

    गाजा के खिलाफ इजरायली कार्रवाई में मुख्य बाधा यह तथ्य होगी कि अज्ञात संख्या में इजरायली नागरिकों का हमास आतंकवादियों द्वारा अपहरण कर लिया गया है और उन्हें गाजा ले जाया गया है. अंधाधुंध इजरायली बमबारी निश्चित रूप से उन लोगों की जान जोखिम में डाल देगी.

    भारी नुकसान के जोखिम के कारण इजराइल भी गाजा में अपने रक्षा बलों को तैनात करने में अनिच्छुक होगा. हालांकि, अगर इजरायल को खूफिया सूत्रों से अपहरण हुए नागरिकों के ठिकाने की जानकारी मिलती है तो वह विशेष बल भेज सकता है.

    इजरायल के प्रतिशोध में एक और जोखिम यह है कि गाजा पर बहुत क्रूर हमला पश्चिमी देशों को उसके खिलाफ कर सकता है. हालांकि, अब तक, पश्चिमी देशों की सरकारें इजरायल का दृढ़ता से समर्थन कर रही हैं और हमास के प्रति असहानुभूति रखती हैं.

    कुल मिलाकर इजरायल को अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में रहने वाले फिलिस्तीनियों के प्रबंधन के लिए एक नीति विकसित करनी होगी.

    इजरायल ने कट्टरपंथियों को गाजा में समेट रखा है, जबकि इजरायली सेनाएं इजरायल और वेस्ट बैंक में रहने वाले फिलिस्तीनियों की गतिविधियों पर अंकुश लगा रही हैं. इजरायल दो-राज्य समाधान (टू स्टेट सॉल्यूशन) पर बातचीत करने या एक-राज्य समाधान पर सहमत होने के लिए अरब और अंतर्राष्ट्रीय दबाव को नजरअंदाज करने में सक्षम है.

    हमास के ऑपरेशन का वास्तविक महत्व यह है कि ऐसी गैर-नीति अब जारी नहीं रह सकती.

    (क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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हमास इस हमले से क्या हासिल करना चाहता है?

हमास को इस हमले के लिए सबसे ज्यादा प्रेरित करने वाला फैक्टर ये है कि हमला कर हमास खुद की महत्ता बताना चाहता है. हमास ये दिखाना चाहता है कि गाजा की ओर से इजरायल के खिलाफ जारी लड़ाई का लीडर हमास ही है. इसकी वजह है कि हमास के अलावा और भी छोटे-मोटे लड़ाकू समूह है जो गाजा में मजबूत हो रहे हैं- जैसे कि फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद.

इन समूहों ने, कभी-कभी, स्वतंत्र रूप से इजराइल पर रॉकेट से हमले किए हैं. और जब इजरायल जवाबी हमला करता है तो प्रभाव पूरे गाजा पर होता है.

इसके अलावा, पिछले दिसंबर में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू द्वारा बनाई गई इजरायली सरकार इजरायल के इतिहास में सबसे ज्यादा दक्षिणपंथी सरकार है. इस सरकार की वेस्ट बैंक (फिलिस्तीन का हिस्सा) पर कब्जा करने की इच्छा अब कोई छिपी बात नहीं रही. यह सरकार चाहती है फिलिस्तीन के क्षेत्रों में यहूदी लोगों की बस्तियां हो, जो अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अवैध है.

इससे इजरायल की ओर से बसने वालों और वेस्ट बैंक के युवा फिलिस्तीनियों के बीच संघर्ष शुरू हो गया है, जिन्होंने पिछले साल एक समूह बनाया जिसे "लायंस डेन" के नाम से जाना जाता है.

इस समूह का कोई केंद्रीय नियंत्रण नहीं है और इसमें जो उग्रवादी शामिल हैं वे स्वतंत्र हैं, और इनका वेस्ट बैंक पर शासन करने वाली फिलिस्तीनी सरकार के प्रति बहुत कम सम्मान है. वेस्ट बैंक पर शासन करने वाली सरकार का नेतृत्व अस्सी वर्षीय महमूद अब्बास करते हैं. फिलिस्तीनी सरकार के पास क्षेत्र में वास्तविक प्रशासनिक, सुरक्षा या नैतिक अधिकार बहुत कम है.

गाजा और वेस्ट बैंक, दोनों में फिलीस्तीनी युवाओं के बीच प्रभाव जमाने के लिए "लायंस डेन" गाजा आतंकवादी समूहों के साथ भी प्रतिस्पर्धा करता है.

इसके अलावा, नेतन्याहू के गठबंधन में एक मंत्री इतामार बेन-गविर ने टेंपल माउंट का दौरा किया है, जो अल-अक्सा मस्जिद का स्थल है, जो इस्लाम के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है. इसे वेस्ट बैंक और गाजा के लोगों ने माना कि ऐसा कर उन्हें उकसाया गया है. फिलिस्तीनियों को और अधिक नाराज करते हुए, हाल ही में सुक्कोट हॉलिडे (यहूदियों से संबंधित) के दौरान इजरायली पर्यटकों ने भी इस स्थल की यात्रा की.

साल 2000 में इजराइल सरकार में विपक्ष के नेता एरियल शेरोन ने टेम्पल माउंट की यात्रा की, जिसे आम तौर पर उस चिंगारी के रूप में माना जाता है जिसने 2000-2005 तक दूसरे इंतिफादा (विद्रोह) को शुरू कर दिया था.

इजराइल की स्थापना से पहले के एक समझौते के तहत, जॉर्डन के पास अल-अक्सा धार्मिक परिसर का संरक्षण था. इजरायल ने 1994 में इजरायली-जॉर्डन शांति संधि पर हस्ताक्षर करते समय जॉर्डन की भूमिका का सम्मान करने का लक्ष्य रखा था.

लेकिन इजरायली मंत्रियों और गैर-मुस्लिम पर्यटकों की यात्राओं को फिलिस्तीनी स्थल की पवित्रता के प्रति अनादर और इसे प्रतिशोध के रूप में देखते हैं.

हमास ने यह भी दावा किया है कि इन यात्राओं के कारण अल-अक्सा स्थल को अपवित्र किया गया है, इस तर्क का उद्देश्य स्पष्ट रूप से पूरे अरब और व्यापक इस्लामी दुनिया में मुसलमानों से समर्थन हासिल करना है.

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हमास ने इजरायल पर अभी हमला क्यों किया होगा?

हमास ने अपनी कार्रवाई (हमले) का नाम "ऑपरेशन अल-अक्सा फ्लड" रखा है. इस नाम से पता किया जा सकता है कि हमला इस समय क्यों हुआ. ये नाम इस बात पर जोर देता है कि हमास एक पवित्र इस्लामी स्थल को अपवित्र करने के इजरायली कामों को कैसे देखता है. हमास ये दिखाना चाहता है कि उसका इजरायल के इस कदम पर क्या नजरिया है.

हमास हमले के लिए जो प्रेरित हुआ है उसके पीछे फैक्टर संभवत इजरायल के साथ शांति समझौते करने के लिए अरब देशों की बढ़ती प्रवृत्ति हो सकती है, जैसा कि संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, सूडान और मोरक्को को शामिल करते हुए 2020 अब्राहम समझौते से पता चलता है.

हाल ही में ऐसी अटकलें जोरों पर हैं कि सऊदी अरब इजराइल के साथ अपना समझौता करने वाला है.

यह केवल वेस्ट बैंक के लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि सभी फिलिस्तीनियों के लिए बहुत चिंता का विषय है, क्योंकि इससे इजरायल पर उनके साथ समझौता करने का दबाव कम हो जाता है. नेतन्याहू ने अपने सार्वजनिक बयानों में स्पष्ट कर दिया है कि वह फिलिस्तीनियों के साथ शांति समझौता करने की तुलना में अरब देशों के साथ शांति को प्राथमिकता देते हैं.

हमास इजरायल को मान्यता नहीं देता है, लेकिन उसने कहा है कि अगर इजरायल अपनी 1967 की सीमाओं से पीछे हट गया तो वह युद्धविराम कर लेगा. इस बात की संभावना नहीं है कि इजरायल इस पर हमास की बात मानेगा और मांग के अनुसार पीछे हट जाएगा. लेकिन अगर सऊदी अरब इजरायल के साथ अपना समझौता कर ले तो उस स्थिति के साकार होने की संभावना और भी कम होगी.

हमास ने इसी समय हमला क्यों किया- इसको लेकर एक और पहलू ये है कि यह अक्टूबर 1973 में योम किप्पुर या रमजान युद्ध की शुरुआत की 50वीं वर्षगांठ के साथ लगभग मेल खाता है. 1973 में मिस्र और सीरिया ने एक साथ इजरायल पर हमला किया था. इसका बड़ा प्रभाव होगा और बहुत महत्वपूर्ण होगा.

इस घटनाक्रम के बाद हमास को अरब जगत से बहुत सहानुभूति मिलने की संभावना है, लेकिन भौतिक रूप से (जैसे हथियार) सहायता कम ही मिलेगी. हमास के सैन्य अभियान के कारण सऊदी अरब को फिलहाल इजराइल के साथ संबंध सामान्य करने से पीछे हटना पड़ सकता है. हालांकि इसकी संभावना नहीं है कि अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले अरब देशों में से कोई भी गाजा के खिलाफ इजरायली प्रतिशोध के विरोध में अब पीछे हट जाएगा.

इजरायल और हमास संघर्ष: अब आगे क्या होगा?

यह स्पष्ट नहीं है कि संघर्ष किस ओर जा रहा है. लेबनान में हिजबुल्लाह आतंकवादी समूह पहले ही इजरायल के उत्तर में ठिकानों पर गोलीबारी कर चुका है. लेकिन यह किस हद तक गंभीरता से शामिल होगा यह इसके स्पॉन्सर ईरान पर निर्भर करेगा.

आमतौर पर देखा गया है कि तेहरान ईरानी परमाणु सुविधाओं पर इजरायली हमले की स्थिति में हिजबुल्लाह की काफी रॉकेट और मिसाइल ताकत को रिजर्व में रखना चाहता है.

यह भी सवाल है कि क्या वेस्ट बैंक का "लायंस डेन" आतंकवादी समूह खुद भी इजरायल पर हमला करेगा या नहीं और क्या वो प्रभावी रूप से इजरायल के खिलाफ फिलिस्तीन की ओर से तीसरा मोर्चा बन पाएगा?

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पहले ही इजरायल के लिए समर्थन का वादा कर चुके हैं, इसलिए इसमें कोई संदेह नहीं है कि इजरायल ही आखिरी में इन चुनौतियों पर काबू पा लेगा. नेतन्याहू ने एक लंबे युद्ध की चेतावनी दी है, लेकिन अगर इजरायल अपनी प्रतिशोध में पूरी ताकत लगाता है तो यह काफी छोटा साबित हो सकता है.

गाजा के खिलाफ इजरायली कार्रवाई में मुख्य बाधा यह तथ्य होगी कि अज्ञात संख्या में इजरायली नागरिकों का हमास आतंकवादियों द्वारा अपहरण कर लिया गया है और उन्हें गाजा ले जाया गया है. अंधाधुंध इजरायली बमबारी निश्चित रूप से उन लोगों की जान जोखिम में डाल देगी.

भारी नुकसान के जोखिम के कारण इजराइल भी गाजा में अपने रक्षा बलों को तैनात करने में अनिच्छुक होगा. हालांकि, अगर इजरायल को खूफिया सूत्रों से अपहरण हुए नागरिकों के ठिकाने की जानकारी मिलती है तो वह विशेष बल भेज सकता है.

इजरायल के प्रतिशोध में एक और जोखिम यह है कि गाजा पर बहुत क्रूर हमला पश्चिमी देशों को उसके खिलाफ कर सकता है. हालांकि, अब तक, पश्चिमी देशों की सरकारें इजरायल का दृढ़ता से समर्थन कर रही हैं और हमास के प्रति असहानुभूति रखती हैं.

कुल मिलाकर इजरायल को अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में रहने वाले फिलिस्तीनियों के प्रबंधन के लिए एक नीति विकसित करनी होगी.

इजरायल ने कट्टरपंथियों को गाजा में समेट रखा है, जबकि इजरायली सेनाएं इजरायल और वेस्ट बैंक में रहने वाले फिलिस्तीनियों की गतिविधियों पर अंकुश लगा रही हैं. इजरायल दो-राज्य समाधान (टू स्टेट सॉल्यूशन) पर बातचीत करने या एक-राज्य समाधान पर सहमत होने के लिए अरब और अंतर्राष्ट्रीय दबाव को नजरअंदाज करने में सक्षम है.

हमास के ऑपरेशन का वास्तविक महत्व यह है कि ऐसी गैर-नीति अब जारी नहीं रह सकती.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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