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जनवरी 2021 में कोरोना वायरस (COVID-19) की खतरनाक लहर देखने के बाद, अमेरिका (United States) में मामले एक बार फिर बढ़ने लगे हैं. अमेरिका में पिछले तीन हफ्तों से कोरोना के मामले डबल हो रहे हैं. मामलों में तेजी का प्रमुख कारण डेल्टा वेरिएंट और लोगों का वैक्सीन नहीं लेना है.
एसोसिएटेड प्रेस की एक रिपोर्ट में, जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के डेटा के हवाले से बताया गया है कि 23 जून को अमेरिका में 11,300 मामले रिकॉर्ड किए गए थे, जो 12 जुलाई को बढ़कर 23,600 हो गए. कहा जा रहा है कि डेल्टा वेरिएंट और धीमे वैक्सीनेशन के अलावा 4 जुलाई को अलग-अलग समारोह भी मामले बढ़ने का प्रमुख कारण है.
अमेरिका में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों और इसी बीच धीमे वैक्सीनेशन को लेकर हेल्थ एक्सपर्ट्स ने चिंता जाहिर की है. अमेरिका की सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (CDC) की डायरेक्टर, रोशेल वेलेन्सकी ने 16 जुलाई को एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, "ये अनवैक्सीनेटेड (जिन्होंने वैक्सीन नहीं ली है) की महामारी बनती जा रही है." वेलेन्सकी ने कहा कि देश के कुछ हिस्सों में ऐसे मामलों का प्रकोप देख रहे हैं, जहां वैक्सीनेशन का कवरेज कम है, क्योंकि जिन्होंने वैक्सीन नहीं ली है, वो जोखिम में है, और जिन्हें वैक्सीन लग गई है वो बेहतर स्थिति में हैं.
वेलेन्सकी ने बताया कि अस्पताल में भर्ती होने वाले 97% लोग वो हैं, जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है, और लगभग सभी मौतें भी बिना वैक्सीन वालों में ही है.
ourworldindata.org के डेटा के मुताबिक, अमेरिका में 15 जुलाई तक, कम से कम 55% आबादी को वैक्सीन का एक डोज लग चुका है. कनाडा, इजरायल और यूनाइटेड किंगडम जैसे देश अमेरिका से काफी आगे हैं, जहां- कनाडा (69%), यूनाइडेट किंगडम (68%), इजरायल (66%), इटली (59%) और जर्मनी (59%) आबादी को कम से कम एक डोज दे चुका है.
अमेरिका में बड़े पैमाने पर 'वैक्सीन हेजीटेंसी' देखी जा रही है, यानी कि लोग वैक्सीन लगवाने से कतरा रहे हैं. इसमें सबड़े बड़ा ग्रुप युवा लोगों का है, जिनमें वैक्सीनेशन रेट कम है. ABC न्यूज ने एक रिपोर्ट के हवाले से बताया कि अमेरिका में वैक्सीन न लेने वाले 29% लोग 18 से 29 साल के बीच हैं. युवा लोगों में वैक्सीनेशन रेट सबसे कम है.
इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने वैक्सीन को लेकर गलत जानकारी फैलाने के लिए फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की आलोचना की है. बाइडेन ने कड़े शब्दों में कहा कि कोविड वैक्सीन पर गलत जानकारी को रिपोर्ट न कर के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स लोगों को मार रहे हैं.
इससे एक दिन पहले, अमेरिका के सर्जन जनरल, विवेक मूर्ति ने भी गलत जानकारी (misinformation) को पब्लिक हेल्थ के लिए एक बड़ा खतरा बताया था. मूर्ति ने कहा था कि "हमारे पास एकमात्र महामारी बिना वैक्सीन वाले लोगों में है."
राष्ट्रपति बाइडेन के आरोपों पर फेसबुक ने जवाब दिया है. फेसबुक के प्रवक्ता ने NBC न्यूज से कहा, "फैक्ट ये है कि 2 अरब से ज्यादा लोगों ने फेसबुक पर कोविड और वैक्सीम के बारे में आधिकारिक जानकारी देखी है, जो इंटरनेट पर किसी भी दूसरी जगह से ज्यादा है. 33 लाख से ज्यादा अमेरिकियों ने भी हमारे वैक्सीन फाइंडर टूल का उपयोग ये पता लगाने के लिए किया है कि वैक्सीन कहां और कैसे प्राप्त करें. फैक्ट बताते हैं कि फेसबुक लोगों की जान बचाने में मदद कर रहा है."
अमेरिका, जहां 50 फीसदी आबादी को वैक्सीन लग चुकी है, वहां हेल्थ एक्सपर्ट धीमे वैक्सीनेशन रेट को लेकर चिंता जता रहा हैं. वहीं, इसके मुकाबले हम भारत की स्थिति देखें, तो हालात और चिंताजनक हैं. भारत में अब तक केवल 22% लोगों को वैक्सीन लगी है. अमेरिकी जितने डेली नए केस से परेशान हैं उससे ज्यादा हमारे यहां महीनों से आ रहे हैं. लेकिन यहां वो चिंता नजर नहीं आती.
वैक्सीन की कमी के बीच इतनी बड़ी आबादी को जल्द से जल्द वैक्सीनेट करना सरकार के सामने बड़ी चुनौती है. कई राज्यों में आए दिन वैक्सीन की कमी की खबरें आती रहती हैं. देश में इस समय प्रमुखता से दो वैक्सीन दी जा रही हैं- कोविशील्ड और कोवैक्सीन. रूस की स्पुतनिक वी को अनुमति मिल चुकी है, लेकिन इसके कितने डोज अब तक दिए गए हैं, इसे लेकर जानकारी नहीं है. वहीं, सरकार ने वैक्सीनेशन तेज करने के लिए जून में अमेरिका की मॉडर्ना वैक्सीन को भी इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति दी, लेकिन वैक्सीन अब तक भारत नहीं आई है.
कई हेल्थ एक्सपर्ट्स चिंता जाहिर कर चुके हैं कि अगर तेजी से सभी वर्गों का वैक्सीनेशन नहीं किया गया, तो कोरोना की तीसरी लहर को रोकना नामुमकिन होगा.
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