ADVERTISEMENTREMOVE AD

मिशन इम्पॉसिबल: क्या साल के आखिर तक सभी वयस्कों को वैक्सीन दे पाएगी सरकार?

कुछ कंपनियों के पास वैक्सीन बनाने की पूरी क्षमता नहीं तो कुछ अभी सरकारी मंजूरी के इंतजार में

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

छह महीने पहले भारत ने ‘विश्व का सबसे बड़ा कोविड-19 वैक्सीनेशन अभियान’ शुरू किया था, लेकिन इसकी रफ्तार सुस्त ही बनी रही. इसके बावजूद सरकार का दावा है कि 2021 के आखिर तक देश के हर वयस्क को कोविड (Covid-19) का टीका लगा दिया जाएगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
हां, निशाना लगातार चूक रहा है और सरकार ने खुद अपना लक्ष्य बदल लिया है कि हर महीने कितनी वैक्सीन उपलब्ध होंगी.पहले मनमौजी तरीके से यह दावा किया गया कि इस साल के आखिर तक करीब 2 अरब वैक्सीन उपलब्ध होंगी, और फिर 26 जून को सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दायर करके सरकार इस आंकड़े को कम करके 1.3 अरब डोज़ पर ले आई.

15 जुलाई तक भारत में 39.5 करोड़ वैक्सीन लगाई जा चुकी थीं.अगर हमें अपने देश के 94 करोड़ वयस्कों को वैक्सीन लगाना है तो इसके लिए वैक्सीन की कुल 1.8 अरब डोज़ की जरूरत होगी.यह काम पहाड़ तोड़ने की कोशिश से कम नहीं है.

0

वैक्सीन- सही हालात क्या हैं

भले सरकार ने अपना लक्ष्य बदल लिया है, फिर भी वह फिलहाल अपनी दो मौजूदा वैक्सीन्स के ही भरोसे है- जोकि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन है. इन्हीं के जरिए सरकार मंजिल तक पहुंचना चाहती है.

लेकिन क्या दोनों कंपनियां पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन दे पाएंगी?

कुछ कंपनियों के पास वैक्सीन बनाने की पूरी क्षमता नहीं तो कुछ अभी सरकारी मंजूरी के इंतजार में

कोविशील्ड

26 जून को सुप्रीम कोर्ट को सौंपे एफिडेविट में सरकार ने यह उम्मीद जताई है कि उसे अगस्त और दिसंबर के बीच सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से 50 करोड़ वैक्सीन मिलेंगी, जिसका मतलब है कि हर महीने लगभग 10 करोड़ वैक्सीन मिलेंगी.

दूसरी तरफ सीरम कह चुकी है कि अगर उसके उत्पादन की गति ऐसी ही रही तभी वह अगस्त से हर महीने 10 करोड़ वैक्सीन देने की हालत में होगी. भारत में वैक्सीन बनाने वालों में इस समय सीरम सबसे अच्छी स्थिति में है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कोवैक्सीन

इस एफिडेविट में सरकार यह भी कहा है कि भारत बायोटेक से अगले पांच महीने में कोवैक्सीन की 40 करोड़ वैक्सीन डोज़ मिलेंगी. इसके हिसाब से हर महीने करीब 8 करोड़ वैक्सीन होती हैं.

यहां स्थिति थोड़ी उलझी हुई है. सरकार की इस लाडली कंपनी ने पिछले कई महीनों में कुछ अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है. भारत बायोटेक ने अभी तो अप्रैल और मई के ऑर्डर भी पूरे नहीं किए हैं.सरकार लाख दावा करे, लेकिन कंपनी के एक अधिकारी ने 23 जून को कहा था कि वह अगस्त-सितंबर तक हर महीने कोवैक्सीन की 2.5 करोड़ डोज़ बनाती रहेगी. हां, साल के आखिर तक यह उम्मीद की जा सकती है कि हर महीने 6 से 7 करोड़ डोज़ बनाई जाएं.

तो, साल के अंत तक 40 करोड़ डोज़ का लक्ष्य शायद ही पूरा हो.वैक्सीन बनाने के काम में तेजी आए, यह इस बात पर निर्भर करता है कि कंपनी के अंकलेश्वर (गुजरात) और बेंगलुरू (कर्नाटक) प्लांट्स में उत्पादन शुरू हो.

इसके अलावा भारत बायोटेक की तीन फार्मा पीएसयू से साझेदारी साल के आखिर से पहले होनी मुश्किल है. ये पीएसयूज़ हैं- हैफकिन बायोफार्मास्यूटिकल कोरपोरेशन लिमिटेड, इंडियन इम्यूनोलॉजिकल लिमिटेड और भारत इम्यूनोलॉजिकल्स एंड बायोलॉजिकल्स लिमिटेड.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

स्पूतनिक V 

एफिडेविट के मुताबिक, भारत को इस साल के आखिर तक 10 करोड़ स्पूतनिक V वैक्सीन मिलेंगी. इसमें से 3.6 करोड़ डोज़ डॉ. रेड्डीज़ लेबोरेट्रीज़ रूसी डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) से आयात कर रही है. आरडीआईएफ ने भारत की 5 कंपनियों के साथ डील की है.

पिछले ही हफ्ते आरडीआईएफ ने सीरम से भी साझेदारी की घोषणा की है. इसके तहत एक साल में वैक्सीन की 30 करोड़ डोज़ बनाई जाएगी. इसका उत्पादन सितंबर में शुरू हो जाएगा.प्रेस नोट में कहा गया है कि टेक्नोलॉजिकल ट्रांसपर के तौर पर सीरम को सेल और वेक्टर सैंपल मिले हैं.

लेकिन सच्चाई का भी पता लगाना जरूरी है. रॉयटर्स के एक आर्टिकल में बताया गया है कि डॉ. रेड्डी ने आयातित स्पूतनिक वी वैक्सीन के कमर्शियल लॉन्च को टाल दिया है. इसकी वजह यह है कि उसे दूसरी डोज़ पर्याप्त मात्रा में नहीं मिली हैं. स्पूतनिक वैक्सीन इस मामले में अनूठी है कि इसकी दोनों डोज़ के कंपोनेंट्स अलग-अलग हैं. पहले इसके लॉन्च की तारीख जून में थी. अब यह साफ नहीं है कि भारत में बनने वाली कितनी डोज़, भारत के लिए हैं.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

कोरबेवैक्स

भारत सरकार ने बायोलॉजिकल ई को रीकॉम्बिनेंट प्रोटीन सब यूनिट कोविड वैक्सीन कोरबेवैक्स की 30 करोड़ डोज़ का एडवांस ऑर्डर दिया है. कंपनी अगस्त और दिसंबर 2021 के बीच इन्हें बनाएगी और स्टॉक करेगी, इसके बावजूद कि वह अभी दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल से गुजर रही है.

जाइकोव-डी

1 जुलाई को जायडस कैडिला ने प्लासमिड डीएनए वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए आवेदन किया था. ऐसा माना जाता है कि जायडल कैडिला ने इसका ट्रायल पूरा कर लिया है और यह देश की पहली वैक्सीन है जिसका टेस्ट 12-18 साल के बच्चों पर किया गया है. टाइम्स ऑफ इंडिया के एक इंटरव्यू में कंपनी के चेयरपर्सन डॉ. श्राविल पटेल ने कहा था कि जायडस कैडिला के पास हर महीने 1 करोड़ डोज़ बनाने की क्षमता है और इसका उत्पादन जुलाई में शुरू होगा. कंपनी ने छह महीने में 2.5 करोड़ डोज़ बनाने का लक्ष्य रखा है.

कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि उन्हें जल्द ही ईयूए यानी इमरजेंसी यूज़ ऑथराइजेशन मिल जाएगा लेकिन अभी तक ऐसा हुआ नहीं है.

अब वैक्सीन्स को लेकर जैसी अनिश्चितता है, और उसके साथ, जो हालात दिखाई दे रहे है, उससे ऐसा लगता तो नहीं कि 2021 के आखिर तक 135 करोड़ डोज़ का लक्ष्य पूरा हो पाएगा.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें