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मरियम नवाज बनी पंजाब की CM: पाक की पहली महिला मुख्यमंत्री के सामने क्या-क्या चुनौतियां?

Maryam Nawaz Sharif: मरियम नवाज को पंजाब का मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद विपक्षी पार्टी ने इसका बहिष्कार किया है.

चंदन सिंह राजपूत
दुनिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>मरियम नवाज बनी पंजाब की CM: पाक की पहली महिला मुख्यमंत्री के सामने क्या-क्या चुनौतियां?</p></div>
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मरियम नवाज बनी पंजाब की CM: पाक की पहली महिला मुख्यमंत्री के सामने क्या-क्या चुनौतियां?

फोटो- क्विंट हिंदी 

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पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PMLN) की नेता और पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज शरीफ (Maryam Nawaz Sharif ) पाकिस्तान की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी हैं. 220 वोटों के साथ वो पंजाब प्रांत की मुख्यमंत्री चुनी गईं. शपथ ग्रहण समारोह में मरियम नवाज के पिता नवाज शरीफ, चाचा शहबाज शरीफ और बड़ी संख्या में मीडिया प्रतिनिधि, राजनयिक और विधानसभा सदस्य भी शामिल हुए.

मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद मरियम नवाज ने पंजाब के भविष्य को लेकर अपने दृष्टिकोण और प्राथमिकताओं का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि वह शपथ लेने के साथ ही मुख्यमंत्री दफ्तर जाकर कार्यभार संभालेंगी.

पंजाब प्रांत में बदलाव की बयार ला पाएंगी मरियम?

नवनिर्वाचित सीएम मरियम नवाज ने सीएम पद के चुनाव के बाद पंजाब विधानसभा को संबोधित किया. उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि आपके (नेताओं के) नेतृत्व में यह सदन लोकतांत्रिक सिद्धांतों और लोकतंत्र के झंडे को ऊंचा रखेगा.”

हालांकि, मरियम नवाज ने विपक्ष के वॉक आउट कर जाने पर अफसोस जताया. वह बोलीं, "काश वे यहां होते और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा होते क्योंकि हम समझते हैं कि लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा करना कितना महत्वपूर्ण है."

मरियम नवाज कहती हैं, 'हमने भी बहुत मुश्किल वक्त का सामना किया और वो मुश्किल वक्त लंबे समय तक चला जब सब कुछ हमारे खिलाफ थे.'

उन्होंने कहा कि 'उस समय कठिनाइयां थीं, पीड़ाएं थीं और हम क्रूरता और निर्दयता के शिकार थे, लेकिन अल्लाह सर्वशक्तिमान का शुक्र है कि हमारे सभी कार्यकर्ता यहां मौजूद थे और हम एक समूह के रूप में कभी भी मैदान खाली नहीं छोड़ते थे.'

उन्होंने कहा कि 'आज मेरे भाषण के दौरान विपक्ष मौजूद होता और शोर मचाता तो मुझे खुशी होती.'

विदेश मामलों के एक्सपर्ट क़मर आगा कहते हैं, "मैं नहीं समझता की मरियम शरीफ के मुख्यमंत्री बनने के बाद पाकिस्तान की राजनीति में कोई बहुत बदलाव होने जा रहा है. राजनीति में भी मरियम शरीफ की ख्याति बहुत कम है. यहां तक की पंजाब में भी उन्हें जनता का बहुत सपोर्ट नहीं है. इसके अलावा मरियम नवाज को सरकार चलाने का कोई अनुभव नहीं है. "

मरियम के भाषण और उनकी बॉडी लैंग्वेज से तो आत्मविश्वास झलकता है, लेकिन सरकार चलाने के लिहाज से वह कितनी सक्षम हैं?

कमर आगा कहते हैं, "सवाल ये हैं मुल्क की अर्थव्यवस्था लगातार बदतर होती जा रही है. मरियम के लिए इन चुनौतियों से सूबे को निकालना सबसे बड़ी चुनौती है. हालांकि पंजाब कृषि बहुल इलाका है. लेकिन इसमें भी पैदावार और पर्यावरण की कई चुनौतियां है. कभी प्रांत सूखे की मार झेलता तो कभी सैलाब आ जाता है. अगर मरियम अपना कार्यकाल पूरा कर लेती हैं तो भी उनसे किसी करिश्मे की उम्मीद नहीं की जा सकती है. पाकिस्तान में केंद्र की सरकार तो जाहिर तौर पर बहुत ज्यादा नहीं टिकने वाली है."

मरियम नवाज महिलाओं के लिए क्या कर सकती हैं? 

पाकिस्तान में लंबे समय से किसी महिला को राजनीति में शीर्ष पदों पर जगह नहीं मिली. इससे पहले पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की नेता और जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी बेनजीर भुट्टो प्रधानमंत्री बनी थी लेकिन महिलाओं के लिहाज उन्होंने कोई बड़ा ठोस कदम नहीं उठाया था. ऐसे में मरियम नवाज शरीफ के सीएम बनने के एक उम्मीद जताई जा रही है कि वह महिलाओं के लिए ठोस और अभूतपूर्व फैसले ले सकती हैं.

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कमर आगा कहते हैं, "पाकिस्तान में किसी महिला का सीएम बनना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है क्योंकि इससे पहले भी बेनजीर भुट्टो वहां की प्रधानमंत्री बन चुकी हैं. लेकिन उसके बाद पाकिस्तान की कितनी हालत खराब हुई. हालांकि वह एक बड़ी नेता के तौर पर उभरी और यही वजह रही कि उनकी हत्या कर दी गई. दरअसल पाकिस्तान की राजनीति सेना और कट्टरपंथी धार्मिक संस्थाओं के ईर्द-गिर्द घूमती हैं. ये धार्मिक संस्थाएं पहले रूढ़ीवाद को बढ़ावा देती थी फिर पाकिस्तान में चरमपंथ को बढ़ावा मिला और अब जगजाहिर है कि वे आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं."

मरियम नवाज भी एक रूढ़ीवादी परिवार से आती हैं. इनका परिवार तब्लीगी जमात और जमात-ए-इस्लामी से जुड़ा रहा है. इन लोगों ने हमेशा उन मदरसों को फंड किया है. इन्हीं मदरसों से आंतकवाद निकला है.शहबाज शरीफ जब मुख्यमंत्री थे तब कट्टरपंथी संगठनों के साथ उनके काफी गहरे ताल्लुकात थे.
कमर आगा, विदेशी मामलों के जानकार

मुख्यमंत्री चुने जाने पर विपक्ष को ऐतराज

मरियम नवाज को पंजाब का मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद विपक्षी पार्टी ने इसका बहिष्कार कर दिया है. पंजाब सीएम पद रेस के उम्मीदवार तहरीक-ए-इंसाफ नेता राणा आफताब चुनाव प्रकिया पर सवाल खड़े किए है.

उन्होंने पाकिस्तानी मीडिया से कहा, “हम पंजाब के मुख्यमंत्री के इस चुनाव को लोकतांत्रिक और संवैधानिक नहीं मानते हैं.”

राणा आफताब बोले, "मैं स्पीकर से कहना चाहता था कि हमारे सदस्य गिरफ्तारी के डर से छुपे हुए हैं, उन्हें लाया जाना चाहिए."

दरअसल राणा आफताब सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल (पीटीआई गठबंधन) के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार थे. लेकिन पंजाब विधानसभा के स्पीकर ने सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल के बिना वोटिंग शुरू कर दी. इसके बाद विपक्ष ने विधानसभा से वॉकआउट कर दिया.

प्रधानमंत्री पद के लिए मरियम को किया जा रहा तैयार?

आम चुनाव के बाद नवाज शरीफ ने अपने भाई शहबाज शरीफ का नाम प्रधानमंत्री के पद के लिए आगे कर दिया. हालांकि इस ऐलान से पहले तक माना जा रहा था कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज की ओर से नवाज शरीफ प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे.

कमर आगा कहते हैं, "कथित तौर पाकिस्तान के आम चुनाव को धांधली वाला चुनाव बताया जा रहा है. जनता ने इस चुनाव को मानने से इनकार कर दिया है. नवाज शरीफ भी खुद प्रधानमंत्री इसलिए नहीं बने क्योंकि वे जानते हैं कि सरकार बहुत दिन तक चल नहीं पाएगी."

मरियम नवाज को पंजाब प्रांत की सीएम बनने के बाद चर्चा है कि उन्हें आने वाले समय में प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए तैयार किया जा रहा है. लेकिन मरियम नवाज के लिए चुनौतियां क्या हैं?

कमर आगा कहते हैं, "मरियम नवाज की जनता में लोकप्रियता नहीं है. नवाज शरीफ में भी वो करिश्मा नहीं था जो एक नेता में होना चाहिए, लेकिन फिर भी वह चुनाव जीत जाते थे क्योंकि पंजाब में उनकी जबरदस्त सपोर्ट थी. ये सपोर्ट कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी, जमात-ए-उलेमा इस्लाम, फजल ग्रुप में था. ये संगठन बाहर देशों से भी सपोर्ट लेते थे. ये पूरा नेटवर्क उनको सपोर्ट करता था. लेकिन अब ये कट्टरपंथी संगठन खुद ही चुनाव में नहीं जीत पा रहे हैं. जनता का ख्याल इनके लिए बदल गया."

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