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24 फरवरी को यूक्रेन (Ukraine) पर रूस (Russia) द्वारा हमले की घोषणा करने से पहले खार्किव (Kharkiv) नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी के भारतीय (India) छात्रों ने देश छोड़ने की कोशिश की थी, कर्नाटक के मारे गए छात्र नवीन शेखरप्पा ज्ञानगौदर के साथ फंसे तीन छात्रों ने द क्विंट को बताया.
हालांकि, वे ऐसा नहीं कर पाए क्योंकि वे फ्लाइट का खर्च नहीं उठा सकते थे, जो एक लाख रुपये से 1.5 लाख रुपये के बीच था.
नवीन शेखरप्पा की रूसी गोलाबारी में मौत हो गई, जब वह 1 मार्च को किराने का सामान खरीदने के लिए बाहर निकला था.
कुछ छात्रों के माता-पिता ने कहा कि यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने भी अपने बच्चों को आश्वासन दिया था कि युद्ध नहीं होगा.
नाम न छापने की शर्त पर बोलने वाली एक छात्रा ने कहा कि उसे उम्मीद नहीं थी कि कुछ दिनों में स्थिति और खराब हो जाएगी. वो पिछली बार 20 फरवरी को घूमने के लिए अपने हॉस्टल से बाहर निकली थी.
छात्रा ने कहा, "यूक्रेनी अधिकारियों ने हमें आश्वासन दिया कि हम सुरक्षित हैं. जब तक स्थिति नहीं बिगड़ी, हममें से ज्यादातर को यह शांत लग रहा था."
छात्रों ने शिकायत की कि वॉर जोन में छात्रों से यह अपेक्षा की गई कि वे अपने दम पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचें. पोलैंड सहित पड़ोसी देश गैर-यूरोपीय छात्रों को अपने क्षेत्र में प्रवेश करने से रोक रहे हैं.
उन्होंने जोर देकर कहा कि जो जहां फंसा है उसी जगह से इवेक्यूएशन किया जाना चाहिए. कृष्णमूर्ति ने कहा, "क्योंकि बाहर जाना सुरक्षित नहीं है फिर भी वे हमसे बॉर्डर तक पहुंचने के लिए 30 किलोमीटर की यात्रा करने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? जबकि उन्हें निकालने की प्रक्रिया भी अभी तक स्पष्ट नहीं है क्योंकि भारतीय दूतावास के अधिकारी जवाब नहीं दे रहे हैं."
एक अन्य छात्र ने कहा, "हमें दो दिनों की गोलाबारी के बाद ही इवेक्यूएट करने के लिए कहा गया था. तब तक बंकर में ही रहने का निर्देश था."
वहीं अमित ने कहा कि "खार्किव में भारतीय छात्र कई दिनों से बिना खाने के रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि अधिकांश बंकरों तक राशन नहीं पहुंचा है."
घर वापसी के लिए कर्नाटक के कई माता-पिता अपने बच्चों की मदद के लिए भारतीय अधिकारियों से गुहार लगाते रहे हैं.
प्रवीण राज रेड्डी के पिता प्रकाश राज रेड्डी ने बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव सीटी रवि का नाम लेते हुए कहा कि, "मेरा बेटा शिकायत कर रहा था कि उनके पास खाना नहीं है. उनके पास सोने के लिए भी जगह नहीं है. कर्नाटक के नेता छात्रों को बाहर निकालने में मदद करने की कोशिश क्यों नहीं कर रहे हैं?" उन्होंने कहा कि माता-पिता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मदद के लिए पत्र लिखा है.
हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी युद्ध पर भारत के स्टैंड को स्पष्ट किए बिना रूस और यूक्रेन दोनों के साथ बातचीत कर रहे हैं जिसकी वजह से भारतीय जीवन खतरे में आ गया है.
सुमन श्रीधर के पिता कृष्णमूर्ति ने कहा, "हमने तीन दिन पहले (संसदीय मामलों के मंत्री) प्रह्लाद जोशी को एक पत्र लिखा था." इस बीच, उन्होंने कथित तौर पर 1 मार्च को कहा कि, "विदेशों में मेडिकल का अध्ययन करने वाले 90 प्रतिशत छात्र भारत में योग्यता परीक्षा पास करने में असफल होते हैं." माता-पिता का कहना है कि यूक्रेन में फंसे मेडिकल छात्रों को एक तरह से कम करके आंकने वाले मंत्री के बयान की निंदा की जा रही है.
बता दें कि प्रह्लाद जोशी बीजेपी के धारवाड़ के सांसद भी हैं.
अमित के पिता वी वेंकटेश ने कहा, "नवीन मेरे बेटे के साथ पिछले आठ दिनों से था. वह खाना लेने गया था. बेशक, अगर वे भूखे हैं तो वे खाने की तलाश में जाएंगे." उन्होंने यह भी बताया कि उनके द्वारा केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी से मदद की गुहार लगाई है.
बता दें अब तक कर्नाटक से केवल 20 से ज्यादा छात्र भारत के इवेक्यूएशन प्रोसेस का उपयोग करके राज्य में पहुंचे हैं.
कई छात्रों के लिए बंकरों में रहना कठिन रहा. मेडिकल की एक छात्रा ने कहा, "सोने के लिए ठीक से जगह नहीं है क्योंकि हम में से 20 से अधिक लोग एक ही जगह पर हैं. विशेष रूप से छात्राओं के लिए यह मुश्किल है क्योंकि वे उन लड़कों के साथ चिपक कर सो रही है जिन्हें वो जानती तक नहीं हैं. हालांकि, कई देशों के छात्र दयालु और मिलनसार रहे हैं."
छात्रों की मांग है कि इवेक्यूएशन को सुनिश्चित करने के लिए भारतीय अधिकारियों को डिप्लोमेटिक चैनलों के माध्यम से पहुंचना चाहिए.
यूक्रेन भर में कई छात्र भारतीय अधिकारियों के गैर-जिम्मेदार होने की शिकायत कर रहे हैं. कृष्णमूर्ति ने कहा, "हमें उम्मीद है कि हम इससे बच जाएंगे. हमें उम्मीद है कि हमारे दोस्त इससे बच जाएंगे."
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