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दुनिया में 2.64 करोड़ रिफ्यूजी, रूस-यूक्रेन युद्ध से हालात और हुए गंभीर

रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच जानिए किन देशों के लोग सबसे ज्यादा बने शरणार्थी और क्यों?

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यूक्रेन (Ukraine) पर रूस (Russia) के हमले के बाद अबतक करीब दस लाख लोग यूक्रेन छोड़कर पड़ोसी देशों में शरण लेने के लिए मजबूर हुए हैं. यूनाइटेड नेशंस रिफ्यूजी एजेंसी ने गुरुवार को कहा कि रूस के आक्रमण के एक हफ्ते के अंदर एक मिलियन लोग यूक्रेन छोड़कर भाग चुके हैं और शरणार्थी के रूप में पड़ोस के देशों में पनाह ले रहे हैं.

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किन देशों में पनाह ले रहे यूक्रेन के रिफ्यूजी

यूक्रेन छोड़कर सबसे ज्यादा लोग पड़ोसी मुल्क पोलैंड पहुंचे हैं. पोलैंड के अलावा हंगरी, मोल्दोवा, रोमानिया, रूस और स्लोवाकिया जैसे देशों में भी रिफ्यूजी अपनी जान बचाने के लिए पहुंच रहे हैं.

UNHCR के ऑनलाइन डेटा पोर्टल पर मौजूद नए आंकड़ों के मुताबिक यूक्रेन से आधे से अधिक शरणार्थी पड़ोसी पोलैंड गए हैं. पोलैंड में करीब 505,000 से ज्यादा शरणार्थी पहुंचे हैं. वहीं 116,000 से अधिक हंगरी पहुंचे हैं. मोल्दोवा ने 79,000 से अधिक लोगों को शरण दिया है और 71,200 स्लोवाकिया पहुंचे हैं.

बता दें कि हंगरी, पोलैंड, रोमानिया और मोल्दोवा उन देशों में से आते हैं जिन्होंने पिछले कुछ सालों से सीरिया और अफगानिस्तान जैसे देशों से आने वाले शरणार्थियों के प्रति कठोर रुख अपनाया है, लेकिन फिलहाल यूक्रेन के शरणार्थियों के लिए अपने रुख में बदलाव किया है.

ट्विटर पर, संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त फिलिपो ग्रांडी ने लिखा,

"केवल सात दिनों में हमने यूक्रेन से पड़ोसी देशों में दस लाख शरणार्थियों का पलायन देखा है. कई लाखों लोगों के लिए, यूक्रेन के अंदर, बंदूकों के चुप रहने का समय आ गया है, ताकि जीवन रक्षक मानवीय सहायता प्रदान की जा सके."

दुनिया भर में कितने रिफ्यूजी

रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध ने एक बार फिर दुनिया में रह रहे रिफ्यूजी की संख्या बढ़ा दी है और इस समस्या की ओर ध्यान दिलाया है. शरणार्थियों के अधिकारों की रक्षा के लिए काम करने वाली संस्था यूनाइटेड नेशंस हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजी (UNHCR) की रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में उत्पीड़न, संघर्ष, हिंसा, मानवाधिकारों के उल्लंघन या सार्वजनिक व्यवस्था को गंभीर रूप से परेशान करने वाली घटनाओं के परिणामस्वरूप दुनिया भर में 82.4 मिलियन लोगों को जबरन अपने देश से विस्थापित होना पड़ा है. जिसमें से करीब 26.4 मिलियन यानी 2 करोड़ 64 लाख शरणार्थी हैं, इनमें से लगभग आधे 18 वर्ष से कम आयु के हैं.

यूनाइटेड नेशन के 1951 कन्वेंशन का आर्टिकल 1 रिफ्यूजी को परिभाषित करता है. इसके मुताबिक किसी भी ऐसे व्यक्ति को शरणार्थी माना जाएगा, जो अपने देश से बाहर हो और इसलिए वापस लौटने को तैयार न हो कि उसकी नस्ल, धर्म, राष्ट्रीयता, किसी विशेष सामाजिक ग्रुप में सदस्यता या राजनीतिक राय के चलते उसके उत्पीड़न की आशंका हो.

किन देशों के लोग बने शरणार्थी और क्यों?

UNHCR के आंकड़ों के अनुसार, दुनियाभर के सभी शरणार्थियों में से दो तिहाई से ज्यादा या कहें 68% शरणार्थी सिर्फ पांच देशों से आते हैं. ये देश हैं सीरिया, वेनेजुएला, अफगानिस्तान, दक्षिण सूडान और म्यांमार.

1. सीरिया -68 लाख

दुनिया में सबसे ज्यादा शरणार्थी सीरिया से दूसरे देशों में गए हैं. साल 2011 में सीरिया में गृहयुद्ध छिड़ा था, जिसके बाद लगभग 6.8 मिलियन लोग अपना देश छोड़कर भागने को मजबूर हुए थे. सीरिया में विरोधी गुटों ने राष्ट्रपति बशर अल-असद को सत्ता से हटाने की मांग के साथ प्रदर्शन शुरू किया था. जिसके बाद वहां गृह युद्ध शुरू हुआ था.

बता दें कि सीरिया के इस संघर्ष में करीब चार लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. साथ ही सीरिया की आधी आबादी अपने घरों से दूर हो चुकी है.

2. वेनेजुएला -40 लाख

सीरिया के बाद सबसे ज्यादा पलायन करने वालों में वेनेजुएला का नाम आता है. वेनेजुएला में आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरताओं के कारण 2014 के बाद से लाखों लोग देश छोड़कर चले गए. UNHCR के आंकड़ों के मुताबिक वेनेजुएला से करीब 40 लाख से ज्यादा लोग देश छोड़कर जा चुके हैं.

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3. अफगानिस्तान -26 लाख

अफगानिस्तान के लगभग 26 लाख लोग शरणार्थी बनकर दूसरे देशों में रह रहे हैं. 1970 के आखिर में सोवियत संघ की सेना का अफगानिस्तान पर हमला हो या 1980 के दशक में अफगान गृह युद्ध, इस देश को छोड़कर भागने की दर्दनाक कहानी अब भी जारी है.

भले ही 1989 में सोवियत संघ की सेना अफगानिस्तान से वापस चली गई हो, लेकिन देश में गृह युद्ध चलता रहा. जिसके बाद तालिबान को मजबूत होने का मौका मिला. वहीं अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमलों के बाद एक महीने बाद ही अमेरिका ने अल-कायदा के प्रमुख ओसामा बिन लादेन को ढूंढने के लिए अफगानिस्तान में हवाई हमले शुरू किए थे. जिसके बाद करीब एक लाख से ज्यादा लोगों की जान गई. यही नहीं जब 20 साल की लड़ाई के बाद अमेरिका ने साल 2021 में अफगानिस्तान छोड़ने का फैसला किया और तालिबान ने दोबारा कब्जा जमाय, तब एक बार फिर अफगानिस्तान के लाखों लोगों को अपना सब कुछ छोड़कर दूसरे देशों में भागना पड़ा.

4. दक्षिण सूडान -22 लाख

जनवरी 1956 में आजाद हुए सूडान का ज्यादातर वक्त सैन्य शासन और गृह युद्ध में गुजरा. वहीं अफ्रीका के सबसे बड़े देश कहे जाने वाले सूडान में 2011 में विभाजन हुआ और दक्षिण सूडान नामक एक नया देश बन गया. दक्षिण सूडान के करीब 22 लाख लोग विस्थापित हुए हैं. देश में सत्ता परिवर्तन होते रहे लेकिन उत्तर और दक्षिण के बीच गृह युद्ध ज्यों का त्यों चलता रहा. जो लोगों के विस्थापन का एक बड़ा वजह बना.

5. म्यांमार - 11 लाख

बर्मा के नाम से जाना जाने वाले म्यांमार में ज्यादातर वक्त सैन्य शासन ही रहा है. सैन्य शासन के दौरान म्यांमार में सांप्रदायिक तनाव का लंबा इतिहास रहा है. लेकिन साल 2012 में रखाइन के बौद्धों और मुस्लिमों के बीच बड़ी हिंसा हुई. इस हिंसा में करीब 200 रोहिंग्या मुसलमानों की मौत हुई. म्यांमार के रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों की संख्या ज्यादा है. हालांकि बौद्ध राज्य में बहुसंख्यक हैं. इस हिंसा के बाद अलग-अलग इलाकों में रोहिंग्या मुसलमानों को निशाना बनाया गया, जिसके बाद ये लोग म्यांमार छोड़ने को मजबूर हुए. लगभग 11 लाख रोहिंग्या मुसलमानों ने पश्चिमी म्यांमार के रखाइन को छोड़कर बांग्लादेश में शरण के लिए पहुंच गए. साथ ही बहुत से रोहिंग्या पाकिस्तान और भारत में भी रह रहे हैं.

यही नहीं 1 फरवरी 2021 को म्यांमार में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद भी वहां के बहुत से लोग बड़ी संख्या में पड़ोसी देशों (खासकर भारत और थाईलैंड) की तरफ आ गए हैं. ये लोग देश में जारी सुरक्षाबलों की हिंसक कार्रवाइयों (जिनमें एयर स्ट्राइक भी शामिल हैं) से बचकर किसी सुरक्षित जगह पर रहने की कोशिश में थे.
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किन देशों ने सबसे ज्यादा शरणार्थियों को दी पनाह?

किसी भी अन्य देश के मुकाबले सबसे ज़्यादा शरणार्थी तुर्की में रहते हैं. 3.7 मिलियन लोगों के साथ तुर्की शरणार्थियों की सबसे बड़ी संख्या की मेजबानी करता है. इसकी एक वजह उसके पड़ोसी देश सीरिया में 2011 से चल रहा गृह युद्ध है.

कोलंबिया में 1.7 मिलियन से ज्यादा शरणार्थियों के साथ दूसरे स्थान पर है. वहीं युगांडा में सबसे ज्यादा शरणार्थी आंतरिक संघर्ष से जूझ रहे दो पड़ोसी देशों कांगो गणराज्य और दक्षिण सूडान से आए हैं. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के मुताबिक ने पाकिस्तान में करीब 14 लाख शरणार्थी रहते हैं, इनमें से सबसे ज्यादा तादाद अफगानिस्तान से आने वाले रिफ्यूजी की है. वहीं जर्मनी में करीब 12 लाख से ज्यादा शरणार्थी रहते हैं. इनमें आधे से करीब सीरिया से आए हैं.

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