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रूस (Russia) ने पहली बार इस्लामिक बैंकिग (Islamic Banking) की शुरूआत की है. रूस में इस्लामिक बैंकिग को दो साल के पायलट प्रोग्राम के तहत पहले मुस्लिम बाहुल्य राज्यों (Muslim majority republics) में लाया गाया है. योजना कामयाब रही तो पूरे रूस में इस्लामिक बैंकिग शुरू की जाएगी. रूस में मुस्लिम आबादी करीब 12% है पर ऐसा पहली बार है कि कानूनी तौर पर इस्लामिक बैंकिग को मंजूरी दी गई है.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने 5 अगस्त को इसकी शुरूआत के लिए एक कानून पर साइन कर इसको हरी झंडी दी थी. पर अब सवाल उठता है कि रूस को इस्लामिक बैंकिग शुरू करने की क्यों जरूरत पड़ी? इस्लामिक बैंकिग में ऐसा क्या है, जो युद्ध और पश्चिमी देशों के बैन की मार झेल रहे रूस के लिए एक फायदा का कदम साबित होगा.
AL-Jazeera के मुताबिक रूस की सर्बैंक (Sberbank) के उपाध्यक्ष ओलेग गनीव (Oleg Ganeev) ने कहा कि "इस्लामिक बैंकिंग क्षेत्र की सालाना ग्रोथ 40% है और कथित तौर पर इसकी वेल्यू 2025 तक 7.7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है." रूस भी इस्लमिक बैंकिग के जारिए इस ग्रोथ का फायदा लेना चाहता हैं.
हालांकि, इसके पीछे का बस यही एक मात्र कारण नहीं है. जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के वेस्ट एशियन स्टडीज विभाग के प्रोफेसर H.A नजमी कहतें हैं कि...
प्रोफेसर H.A नजमी ने आगे कहा कि, 1991 के USSR विभाजन के बाद बने मुस्लिम बहूल्य CIS देश जैसे कजाखिस्तान, किर्गिस्तान, अजरबैजान आदि इन पर भी रूस इस्लामिक बैंक के जरिए अपना कंट्रोल और इनफ्लुऐंस बढ़ा सकता है.
इस्लामिक बैंकिंग को नॉन-इंट्रेस्ट (जिसमें ब्याज नहीं लगता है) बैंकिंग भी कहा जाता है. ये इस्लामी कानून (शरिया) के हिसाब से काम करता है.
ये बैंक दौ मौलिक सिद्धांतों पर काम करता है.
पहला- प्रॉफिट और लॉस शेयरिंग
दूसरा- बिना ब्याज वाला लोन
सामन्य बैंक से इस्लामी बैंक में मुख्य अंतर यही है कि जहां सामान्य बैंक में रिस्क ट्रांसफर होता है वहीं इस्लामिक बैंक में रिस्क शेयर होता है.
भारत में इस्लामिक बैंकिग लाने की चर्चा 2008 के आखिर में शुरू हुई थी. उस वक्त के RBI गवर्नर रघुराम राजन के अध्यक्षता वाली फाइनेंशियल सेक्टर रिफॉर्म्स कमेटी ने भारत में इंट्रेस्ट फ्री बैंकिग की जरूरत पर सरकार को गौर करने की सलह दी थी. कमेटी ने कहा था कि...
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिव र्सिटी के मैनेजमेंट फैकल्टी के प्रोफेसर और इस्लामिक बैंकिग के जानकार वालीद रहमानी बताते हैं कि "भारत में इस्लामिक बैंकिग तो नहीं है पर मुस्लिम देशों से जो इन्वेस्टमेंट है वो ज्यादातर स्टॉक एक्सचेंज के जरिए आ जाता है और इसमें भारत की पोजीशन काफी अच्छी है."
लेकिन, रघुराम राजन का इंट्रेस्ट फ्री बैंकिग प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया है. 2014 में वित्त मंत्रालय ने RBI को निर्देश दिए थे कि भारत के हर व्यक्ति को बैंक से जोड़ने के लिए एक कमेटी गठन करें.
Times of India की रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में इस्लामिक बैंकिग को लेकर डाली गई एक RTI के जवाब में RBI ने कहा था कि सभी नागरिकों को बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं विस्तृत और समान रूप से उपलब्ध हैं. लिहाजा इस्लामिक बैंक खोलने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है.
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