रूस-यूक्रेन युद्ध के एक साल पूरे हो गए हैं. लंबे समय से चले आ रहे इस संघर्ष ने न केवल इन दोनों देशों को प्रभावित किया है बल्कि इसकी वजह से दुनियाभर में कई तरह के नुकसान देखने को मिले हैं. आइए जानते हैं इस भीषण युद्ध से कहां, किसको, कितना, क्या नुकसान हुआ है?
रूस-यूक्रेन युद्ध की दुनिया ने चुकाई कीमत, ऊर्जा-खाद्य संकट से 90 देश हुए अशांत
1. सैन्य नुकसान
Npr org की रिपोर्ट में बताया गया है कि भले ही किसी देश की तरफ से मौतों का आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया गया है लेकिन विश्लेषकों का अनुमान है कि साल भर से चल रहे इस युद्ध में अब तक लगभग 2 लाख रूसी सैनिक मारे गए या घायल हुए हैं. वहीं यूक्रेन के लगभग एक लाख सैनिक मारे गए या घायल हुए हैं. इसके अलावा यूक्रेन के लगभग 30 हजार आम नागरिकों ने अपनी जान गंवा दी है.
वाॅल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी अधिकारियों का अनुमान है कि रूस द्वारा जब से आक्रमण शुरू किया गया है उसके बाद से 2 लाख से अधिक रूसी सैनिक मारे गए या घायल हुए हैं. अमेरिकी और यूरोपीय अधिकारियों का कहना है कि आने वाले हफ्तों में मरने वालों की संख्या में वृद्धि जारी रहने की आशंका है. वहीं पश्चिमी देशों के अधिकारियों ने यूक्रेनी सैनिकों के बीच लगभग एक लाख हताहतों का अनुमान लगाया है.
कुछ रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के परिणामस्वरूप सेना और सैन्य उपकरणों में जो नुकसान देखने को मिला है वह यूरोप ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अब तक नहीं देखा था.
हाल ही में 21 फरवरी 2023 को ट्विटर पर यूक्रेन के विदेश मंत्रालय के हैंडल से एक इंफोग्राफिक शेयर किया गया था, जिसमें बताया गया था कि 363 दिनों में रूस की सेना को कहां कितना नुकसान हुआ है.
ट्वीट में दी गई जानकारी के अनुसार इस संघर्ष में रूस के 1 लाख 44 हजार 440 सैनिक मारे गए हैं. वहीं 299 एयरक्राफ्ट, 287 हेलिकॉप्टर, 3326 टैंक, 2023 यूएवी, 226 स्पेशल इक्यूपमेंट, 18 बोट/कटर्स, 6562 बख्तरबंद वाहन, 2338 आर्टिलरी सिस्टम, 471 एमएलआरएस, 5210 वाहन और फ्यूल टैंक, 243 एंटी-एयरक्राफ्ट वार फेयर सिस्टम और 873 क्रूज मिसाइलों का नुकसान हुआ है.
युद्ध या संघर्ष खत्म करने को लेकर अभी तक न तो रूस और न ही यूक्रेन की तरफ से कोई संकेत देखने के मिले हैं. इसका मतलब यह है कि इस गोलाबारी और संघर्ष में फंसे नागरिकों तथा सैनिकों के लिए रक्तपात और पीड़ा के अंत का कोई स्पष्ट भविष्य नहीं है.
फाइनेंशियल टाइम्स के अनुसार, यूक्रेन की सेना द्वारा प्रतिदिन 5 हजार आर्टिलरी राउंड फायरिंग के साथ गोला-बारूद की उच्च खपत हुई है, जबकि रूस इसका चार गुना ज्यादा इस्तेमाल कर रहा है.
Npr org के हवाले से रैंड कॉर्प के एक वरिष्ठ राजनीतिक वैज्ञानिक सैमुअल चार्प कहते हैं कि रूस और यूक्रेन के बीच दुश्मनी लंबे समय तक इस संघर्ष को बनाए रख सकती है.
Expand2. आम नागरिकों की मौतें
पिछले साल तीन महीने की भारी बमबारी के बाद मई के अंत में मॉस्को की सेना ने मारियुपोल पर कब्जा कर लिया था. तब यह दक्षिणी बंदरगाह शहर मृत शरीरों से भर गया था. कीव ने कहा था कि कम से कम 20 हजार यूक्रेनी नागरिक मारे गए थे. यूक्रेनी अधिकारियों का कहना है कि कम से कम 400 बच्चे मारे गए. वहीं पश्चिमी एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस संघर्ष में देश भर में कुल 30,000 से 40,000 नागरिक मारे गए हैं. जबकि संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि लड़ाई में 21 हजार नागरिक मारे गए हैं या घायल हुए हैं, हालांकि वास्तविक आंकड़ा बहुत अधिक होने की संभावना है.
Expand3. क्षेत्रों में कब्जा
इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर के आंकड़ों के मुताबिक, मॉस्को के सैनिकों ने यूक्रेन के लगभग पांचवें हिस्से पर कब्जा कर लिया है. जबकि यूक्रेन के सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ वैलेरी जालुजनी ने कहा कि यूक्रेनी सेना पिछले साल आक्रमण के बाद कब्जे वाले लगभग 40 प्रतिशत क्षेत्र को वापस लेने में कामयाब रही है.
Expand4. दोनों देशों को नुकसान
रूस की सेना जब उत्तर में विफल हो गई थी तब वहां से हटकर पूर्वी यूक्रेन की तरफ शिफ्ट हो गई थी. इस क्षेत्र में रूसी सेना ने घरों, व्यवसायों और कारखानों को तबाह कर दिया था. हाल के महीनों में रूस ने बार-बार प्रमुख एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाया, जिससे ब्लैकआउट हो गया था. युद्ध में यूक्रेन की अर्थव्यवस्था पस्त हो रही है, विश्व बैंक ने अक्टूबर में कहा था कि 2022 में देश की अर्थव्यवस्था 35 प्रतिशत तक संकुचित हो सकती है.
कीव स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स ने जनवरी में अनुमान लगाया था कि युद्ध से तबाह हुए सभी बुनियादी ढांचे को रीप्लेस करने में 138 अरब डॉलर खर्च होंगे.
यूक्रेन अपने अनाज और सूरजमुखी के तेल के निर्यात के लिए प्रसिद्ध है. लेकिन नवंबर 2022 में प्राप्त जानकारी के अनुसार युद्ध ने यहां के कृषि क्षेत्र में 34 बिलियन डॉलर से अधिक का आर्थिक नुकसान किया है.
यूक्रेनी सरकार ने कहा है कि इस लड़ाई से लगभग 3 हजार स्कूल प्रभावित हुए हैं.
संयुक्त राष्ट्र कल्चरल फंड के अनुसार यूक्रेन के 239 सांस्कृतिक स्थल प्रभावित हुए है.
सितंबर 2022 में यूक्रेनी सरकार, यूरोपीय आयोग और विश्व बैंक द्वारा संयुक्त रूप से एक मूल्यांकन किया गया था, जिसके अनुसार आक्रमण के बाद यूक्रेन के पुनर्निर्माण पर अनुमानित 349 बिलियन डॉलर खर्च होंगे.
दुनिया का सबसे बड़ा हवाई जहाज एंटोनोव 225 रूसी हमले में बर्बाद हो गया.
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी का कहना है कि इस लड़ाई की वजह से द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यूरोप में सबसे बड़ा शरणार्थी संकट देखने को मिल रहा है. युद्ध छिड़ने के बाद से आठ मिलियन से अधिक यूक्रेनियन यूक्रेन से जाने के लिए मजबूर हो गए हैं. इसके पड़ोसी देश पोलैंड में सबसे ज्यादा शरणार्थी पहुंचे हैं, जिनकी संख्या 1.5 मिलियन से अधिक है. वहीं देश के अंदर पांच मिलियन से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.
रूस के रुख का विरोध लगभग सभी देशों ने किया है. अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक रूस अब दुनिया में सर्वाधिक प्रतिबंधित देश है. रूस की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2022 में 2.2 प्रतिशत सिकुड़ गई है. ब्लूमबर्ग इकनॉमिक्स के अनुसार पुतिन जिसे दुनिया की पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में से एक बनाना चाहते थे, वह 2026 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद में 190 बिलियन डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद को खोने के रास्ते पर है. जोकि मोटे तौर पर हंगरी या कुवैत जैसे देशों की संपूर्ण वार्षिक जीडीपी के बराबर है.
1,200 से अधिक पश्चिमी कंपनियों ने रूस में अपना काम बंद कर दिया है.
रूस लंबे समय से अपने मुख्य उत्पादों, मसलन कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पाद, प्राकृतिक गैस, कोयला और धातु का निर्यात मुख्य रूप से यूरोप को ही करता था, लेकिन अब यहां खटास दिख रही है.
रूस के यूरोपीय संघ से संबंध संकट में हैं. युद्ध से रूस के निर्यात बाजार का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है.
यूरोप को जाने वाली रूसी गैस में कमी की वजह से रूस का गैस बाजार गहरे संकट में आ गया है. हालांकि रूस अपने तेल और कोयले के निर्यात को एशिया की ओर मोड़ सकता है लेकिन दिक्कत यह है कि रूस की सभी गैस पाइपलाइन पश्चिम की ओर जाती हैं और उन्हें एकाएक पूर्व की ओर नहीं मोड़ा जा सकता है.
युद्ध की वजह से रूस का वित्तीय भंडार तेजी से खर्च हो रहा है.
Expand5. वैश्विक नुकसान
24 फरवरी 2022 को जब से रूस ने यूक्रेन के खिलाफ संघर्ष का बिगुल बजाया है तक से दुनिया की काफी चीजें इस युद्ध से प्रभावित हुई हैं. इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी काफी असर पड़ा है. इस युद्ध की वजह से वैश्विक खाद्य संकट मंडराने लगा है. गेहूं और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में इजाफा हुआ है. फाइनेंसियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार रूस-यूक्रेन संकट की वजह से उच्च ऊर्जा और खाद्य कीमतों ने 90 से अधिक देशों में अशांति पैदा कर दी है.
गोल्डमैन सैक्स के अनुसार इस युद्ध ने वैश्विक विकास में कटौती की है. ऊर्जा संकट की वजह से 2023 में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 1.8% तक धीमी हो सकती है.
इस युद्ध की वजह से दुनिया भर की सप्लाई चेन प्रभावित हुई है.
जर्मन इकोनॉमिक इंस्टीट्यूट (आईडब्ल्यू) के एक्सपर्ट का कहना है कि ऊर्जा और कच्चे माल की आपूर्ति की समस्याएं दुनिया भर की कंपनियों पर दबाव डाल रही हैं.
2022 में वैश्विक अर्थव्यवस्था को 1.6 ट्रिलियन डॉलर का झटका
जर्मनी में हुए अध्ययन में पाया गया है कि रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने 2022 में वैश्विक अर्थव्यवस्था को 1.6 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान पहुंचाया है. न्यूज एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, जर्मन इकोनॉमिक इंस्टीट्यूट (आईडब्ल्यू) द्वारा हाल ही में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध से पश्चिमी अर्थव्यवस्थाएं विशेष रूप से प्रभावित हुई हैं, क्योंकि इन्होंने अपने वैश्विक उत्पादन का दो-तिहाई हिस्सा खो दिया है.
इस अध्ययन के अनुसार 2023 में वैश्विक उत्पादन घाटा 1 ट्रिलियन डॉलर या उससे अधिक हो सकता है.
अध्ययन में कहा गया है कि युद्ध के कारण दुनिया भर में आपूर्ति और उत्पादन बाधित हुआ है. इसके अलावा, ऊर्जा की कीमतें आसमान छू रही हैं. इसमें यह भी कहा गया है कि महंगाई हर जगह तेजी से बढ़ी है, जिससे उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति कम हो रही है.
Expand6. एनर्जी संकट
सऊदी अरब के बाद रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक है और प्राकृतिक गैस, गेहूं, नाइट्रोजन उर्वरक और पैलेडियम का दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है. यूरोप एक समय काफी हद तक रूस की गैस पर निर्भर था, लेकिन अब इसने रूसी गैस से दूरी बना ली है. अल-जजीरा की रिपोर्ट में बताया गया है कि पूरे यूरोपीय संघ में मई और अक्टूबर के बीच रूस से गैस का प्रवाह 80 प्रतिशत तक गिर गया. पाइपलाइन में जो बाधाएं आईं उसने एनर्जी-इंटेंसिव उद्योगों को खतरे में डाल दिया. वहीं यूरोपीय देशों ने कारखानों को चालू रखने के लिए तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) का सहारा लिया.
नई एलएनजी आपूर्ति के लिए यूरोप ने तत्काल हाथ बढ़ाया जिससे बाजार में इसकी कीमतों में वृद्धि हुई. इसका ही परिणाम रहा कि एशियाई एलएनजी पिछले साल रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई, इससे इस क्षेत्र के कई विकासशील देश बिजली की कमी से जूझ रहे हैं.
जर्मनी में गैस और बिजली की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जिनका असर उत्पादन के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों पर पड़ रहा है. जर्मनी के उद्योगों में हर साल करोड़ों किलोवॉट बिजली और गैस की खपत होती है, लेकिन इसकी आपूर्ति कम है और कीमतें ऐतिहासिक रूप से रिकॉर्ड स्तर पर हैं. रूस से गैस आपूर्ति बंद होने के बाद से जर्मनी में स्टील मिलों, भारी उद्योगों और मैकेनिकल इंजीनियरिंग क्षेत्र की कंपनियों के सामने बड़ा डर बना हुआ है.
रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के तुरंत बाद, अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतें 2008 के रिकॉर्ड के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं थीं.
एसएंडपी गोल्डमैन सैक्स कमोडिटी इंडेक्स का एनर्जी कंपोनेंट, 2022 साल की शुरुआत के मुकाबले साल के अंत में 10 फीसदी अधिक समाप्त हुआ था.
रूस के आक्रमण ने विकासशील देशों सहित वैश्विक अर्थव्यवस्था को झटका देने का काम किया है. अल-जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार रूस के आक्रमण का ही नतीजा है कि 2022 में दसियों देशों की मुद्राएं अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिर गईं, जिससे आयात की लागत में इजाफा हुआ है.
कई विकासशील देशों ने अपने ईंधन के आयात में कटौती की है क्योंकि यूक्रेन-रूस युद्ध की वजह से तेल की कीमतों में इजाफा हो गया है.
मार्सेलो एस्टेवाओ विश्व बैंक में मैक्रोइकनॉमिक्स, ट्रेड और इंवेस्टमेंट के वैश्विक निदेशक हैं. उनका कहना है कि “पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे एनर्जी आयातक इसलिए समस्या से जूझ रहे हैं क्योंकि वे धनी यूरोपीय देशों जितना भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं.”
Expand7. खाद्य संकट
रूस और यूक्रेन युद्ध से पहले जौ, मक्का और सूरजमुखी के दुनिया के शीर्ष आपूर्तिकर्ताओं में से थे. रूस के आक्रमण से इनकी आपूर्ति गंभीर रूप से प्रभावित हुई. दोनों देशों का 2021 में वैश्विक गेहूं निर्यात में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान था. लेकिन रूस द्वारा यूक्रेन के काला सागर बंदरगाहों की नाकाबंदी कर दी गई, यह अनाज के लिए एक प्रमुख शिपिंग रूट है.
रूस द्वारा की गई नाकाबंदी की वजह से 2022 में गेहूं की कीमतों में पिछले साल की तुलना में 35 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, जो मार्च में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई थी.
ट्यूनीशिया, मोरक्को और मिस्र जैसे देश दुनिया के सबसे बड़े गेहूं आयातकों में से एक हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से यहां की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है.
पिछले साल जून में मिस्र के वित्त मंत्री ने कहा था कि गेहूं की ऊंची कीमतों से 2022-23 में देश के ब्रेड सब्सिडी कार्यक्रम की लागत 1.5 अरब (बिलियन) डॉलर बढ़ जाएगी. महंगे खाद्य कार्यक्रमों के बोझ से कराहती इस सरकार को हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से 3 अरब डॉलर का ऋण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा.
Expand8. महंगा होता कर्ज
रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से जो महंगाई आई, उसने अमेरिका के फेडरल रिजर्व के साथ-साथ अन्य प्रमुख केंद्रीय बैंकों को ब्याज दरों में वृद्धि करने के लिए प्रेरित किया. पिछले ग्यारह महीनों में फेडरल बैंक ने मूल्य वृद्धि को धीमा करने के प्रयास में अपनी बेंचमार्क दर को लगभग 4.5 प्रतिशत अंक बढ़ा दिया. अमेरिका के फेड रिजर्व ने कर्ज महंगा किया तो विदेशी निवेशक इमर्जिंग मार्केट्स से निवेश निकालने लगे. बीते एक वर्ष में सेंट्रल बैंक कई चरणों में अनेकों बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर चुके हैं. दुनियाभर में कर्ज महंगा होता रहा जिससे लोगों की ईएमआई महंगी गई. तो कॉरपोरेट्स के बैलेंसशीट पर भी महंगे कर्ज का असर पड़ा है. महंगे कर्ज से मांग घट रही है. ऐसे में कंपनियां छंटनी कर रही हैं.
Expand9. पर्यावरण को नुकसान
रूस-यूक्रेन की युद्ध की वजह से पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंचा है. गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक यह पहला ऐसा संघर्ष है जिसमें पर्यावरणीय अपराधों की पूरी गणना की जा रही है. रिपोर्ट में बताया गया है जहरीला धुंआ फैला, नदियां दूषित हुईं, मिट्टी पर प्रभाव पड़ा, पेड़-पौधे प्रभावित हुए हैं. यूक्रेनी वैज्ञानिकों, संरक्षणवादियों, नौकरशाहों और वकीलों द्वारा इस संदर्भ में व्यापक जांच की जा रही है. रिपोर्ट के अनुसार हमलावर को इसके मुआवजे के दावे के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है तो वर्तमान में वह रकम 50 बिलियन डॉलर से ज्यादा होगी.
यूक्रेन के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी हालिया रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल को लेकर अनुमान जताया गया है कि :
यूक्रेन को 3 लाख 20 हजार 104 विस्फोटक उपकरणों के प्रभाव को अवशोषित या बेअसर करना पड़ेगा.
देश का लगभग एक तिहाई हिस्सा (1 लाख 74 हजार वर्ग किमी) संभावित रूप से खतरनाक बना हुआ है.
युद्ध के मलबे में 3,000 नष्ट रूसी टैंकों और अन्य सैन्य उपकरणों से 2 लाख 30 हजार टन का मेटल स्क्रैप है.
160 नेचर रिजर्व, 16 आर्द्रभूमि (वेटलैंड) और दो जीवमंडल (biospheres) विनाश के खतरे में हैं.
काले सागर में 'भारी' संख्या में माइनिंग हो रही है जिससे शिपिंग और समुद्री जानवरों को खतरा है.
जानवरों की छह सौ प्रजातियां और पौधों की 880 प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं.
एक तिहाई यूक्रेनी भूमि कृषि के लिए अनुपयुक्त या अनुपलब्ध है.
40% तक खेती योग्य भूमि कृषि के लिए उपलब्ध नहीं है.
Expand10. अन्य नुकसान
यूक्रेन में रूसी आक्रमण से दिसंबर 2022 तक प्रत्यक्ष तौर पर भौतिक इंफ्रास्ट्रक्चर को जो नुकसान पहुंचा है, स्टैटिस्का रिसर्च डिपार्टमेंट द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार उसका क्षेत्र वार (सेक्टर वाइज) अनुमान कुछ इस तरह से है.
रेसिडेंसियल बिल्डिंग-24 बिलियन डॉलर
इंफ्रास्ट्रक्चर -35.6 बिलियन डॉलर
इनवायर्नमेंट -14 बिलियन डॉलर
इंटरप्राइज एंड इंडस्ट्री एसेट्स -13 बिलियन डॉलर
एजुकेशन -8.6 बिलियन डॉलर
एनर्जी -6.8 बिलियन डॉलर
एग्रीकल्चर एंड लैंड रिर्सोसेस -6.6 बिलियन डॉलर
ट्रांसपोर्टेशन -2.9 बिलियन डॉलर
ट्रेड -2.4 बिलियन डॉलर
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
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सैन्य नुकसान
Npr org की रिपोर्ट में बताया गया है कि भले ही किसी देश की तरफ से मौतों का आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया गया है लेकिन विश्लेषकों का अनुमान है कि साल भर से चल रहे इस युद्ध में अब तक लगभग 2 लाख रूसी सैनिक मारे गए या घायल हुए हैं. वहीं यूक्रेन के लगभग एक लाख सैनिक मारे गए या घायल हुए हैं. इसके अलावा यूक्रेन के लगभग 30 हजार आम नागरिकों ने अपनी जान गंवा दी है.
वाॅल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी अधिकारियों का अनुमान है कि रूस द्वारा जब से आक्रमण शुरू किया गया है उसके बाद से 2 लाख से अधिक रूसी सैनिक मारे गए या घायल हुए हैं. अमेरिकी और यूरोपीय अधिकारियों का कहना है कि आने वाले हफ्तों में मरने वालों की संख्या में वृद्धि जारी रहने की आशंका है. वहीं पश्चिमी देशों के अधिकारियों ने यूक्रेनी सैनिकों के बीच लगभग एक लाख हताहतों का अनुमान लगाया है.
कुछ रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के परिणामस्वरूप सेना और सैन्य उपकरणों में जो नुकसान देखने को मिला है वह यूरोप ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अब तक नहीं देखा था.
हाल ही में 21 फरवरी 2023 को ट्विटर पर यूक्रेन के विदेश मंत्रालय के हैंडल से एक इंफोग्राफिक शेयर किया गया था, जिसमें बताया गया था कि 363 दिनों में रूस की सेना को कहां कितना नुकसान हुआ है.
ट्वीट में दी गई जानकारी के अनुसार इस संघर्ष में रूस के 1 लाख 44 हजार 440 सैनिक मारे गए हैं. वहीं 299 एयरक्राफ्ट, 287 हेलिकॉप्टर, 3326 टैंक, 2023 यूएवी, 226 स्पेशल इक्यूपमेंट, 18 बोट/कटर्स, 6562 बख्तरबंद वाहन, 2338 आर्टिलरी सिस्टम, 471 एमएलआरएस, 5210 वाहन और फ्यूल टैंक, 243 एंटी-एयरक्राफ्ट वार फेयर सिस्टम और 873 क्रूज मिसाइलों का नुकसान हुआ है.
युद्ध या संघर्ष खत्म करने को लेकर अभी तक न तो रूस और न ही यूक्रेन की तरफ से कोई संकेत देखने के मिले हैं. इसका मतलब यह है कि इस गोलाबारी और संघर्ष में फंसे नागरिकों तथा सैनिकों के लिए रक्तपात और पीड़ा के अंत का कोई स्पष्ट भविष्य नहीं है.
फाइनेंशियल टाइम्स के अनुसार, यूक्रेन की सेना द्वारा प्रतिदिन 5 हजार आर्टिलरी राउंड फायरिंग के साथ गोला-बारूद की उच्च खपत हुई है, जबकि रूस इसका चार गुना ज्यादा इस्तेमाल कर रहा है.
Npr org के हवाले से रैंड कॉर्प के एक वरिष्ठ राजनीतिक वैज्ञानिक सैमुअल चार्प कहते हैं कि रूस और यूक्रेन के बीच दुश्मनी लंबे समय तक इस संघर्ष को बनाए रख सकती है.
आम नागरिकों की मौतें
पिछले साल तीन महीने की भारी बमबारी के बाद मई के अंत में मॉस्को की सेना ने मारियुपोल पर कब्जा कर लिया था. तब यह दक्षिणी बंदरगाह शहर मृत शरीरों से भर गया था. कीव ने कहा था कि कम से कम 20 हजार यूक्रेनी नागरिक मारे गए थे. यूक्रेनी अधिकारियों का कहना है कि कम से कम 400 बच्चे मारे गए. वहीं पश्चिमी एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस संघर्ष में देश भर में कुल 30,000 से 40,000 नागरिक मारे गए हैं. जबकि संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि लड़ाई में 21 हजार नागरिक मारे गए हैं या घायल हुए हैं, हालांकि वास्तविक आंकड़ा बहुत अधिक होने की संभावना है.
क्षेत्रों में कब्जा
इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर के आंकड़ों के मुताबिक, मॉस्को के सैनिकों ने यूक्रेन के लगभग पांचवें हिस्से पर कब्जा कर लिया है. जबकि यूक्रेन के सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ वैलेरी जालुजनी ने कहा कि यूक्रेनी सेना पिछले साल आक्रमण के बाद कब्जे वाले लगभग 40 प्रतिशत क्षेत्र को वापस लेने में कामयाब रही है.
दोनों देशों को नुकसान
रूस की सेना जब उत्तर में विफल हो गई थी तब वहां से हटकर पूर्वी यूक्रेन की तरफ शिफ्ट हो गई थी. इस क्षेत्र में रूसी सेना ने घरों, व्यवसायों और कारखानों को तबाह कर दिया था. हाल के महीनों में रूस ने बार-बार प्रमुख एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाया, जिससे ब्लैकआउट हो गया था. युद्ध में यूक्रेन की अर्थव्यवस्था पस्त हो रही है, विश्व बैंक ने अक्टूबर में कहा था कि 2022 में देश की अर्थव्यवस्था 35 प्रतिशत तक संकुचित हो सकती है.
कीव स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स ने जनवरी में अनुमान लगाया था कि युद्ध से तबाह हुए सभी बुनियादी ढांचे को रीप्लेस करने में 138 अरब डॉलर खर्च होंगे.
यूक्रेन अपने अनाज और सूरजमुखी के तेल के निर्यात के लिए प्रसिद्ध है. लेकिन नवंबर 2022 में प्राप्त जानकारी के अनुसार युद्ध ने यहां के कृषि क्षेत्र में 34 बिलियन डॉलर से अधिक का आर्थिक नुकसान किया है.
यूक्रेनी सरकार ने कहा है कि इस लड़ाई से लगभग 3 हजार स्कूल प्रभावित हुए हैं.
संयुक्त राष्ट्र कल्चरल फंड के अनुसार यूक्रेन के 239 सांस्कृतिक स्थल प्रभावित हुए है.
सितंबर 2022 में यूक्रेनी सरकार, यूरोपीय आयोग और विश्व बैंक द्वारा संयुक्त रूप से एक मूल्यांकन किया गया था, जिसके अनुसार आक्रमण के बाद यूक्रेन के पुनर्निर्माण पर अनुमानित 349 बिलियन डॉलर खर्च होंगे.
दुनिया का सबसे बड़ा हवाई जहाज एंटोनोव 225 रूसी हमले में बर्बाद हो गया.
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी का कहना है कि इस लड़ाई की वजह से द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यूरोप में सबसे बड़ा शरणार्थी संकट देखने को मिल रहा है. युद्ध छिड़ने के बाद से आठ मिलियन से अधिक यूक्रेनियन यूक्रेन से जाने के लिए मजबूर हो गए हैं. इसके पड़ोसी देश पोलैंड में सबसे ज्यादा शरणार्थी पहुंचे हैं, जिनकी संख्या 1.5 मिलियन से अधिक है. वहीं देश के अंदर पांच मिलियन से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.
रूस के रुख का विरोध लगभग सभी देशों ने किया है. अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक रूस अब दुनिया में सर्वाधिक प्रतिबंधित देश है. रूस की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2022 में 2.2 प्रतिशत सिकुड़ गई है. ब्लूमबर्ग इकनॉमिक्स के अनुसार पुतिन जिसे दुनिया की पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में से एक बनाना चाहते थे, वह 2026 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद में 190 बिलियन डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद को खोने के रास्ते पर है. जोकि मोटे तौर पर हंगरी या कुवैत जैसे देशों की संपूर्ण वार्षिक जीडीपी के बराबर है.
1,200 से अधिक पश्चिमी कंपनियों ने रूस में अपना काम बंद कर दिया है.
रूस लंबे समय से अपने मुख्य उत्पादों, मसलन कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पाद, प्राकृतिक गैस, कोयला और धातु का निर्यात मुख्य रूप से यूरोप को ही करता था, लेकिन अब यहां खटास दिख रही है.
रूस के यूरोपीय संघ से संबंध संकट में हैं. युद्ध से रूस के निर्यात बाजार का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है.
यूरोप को जाने वाली रूसी गैस में कमी की वजह से रूस का गैस बाजार गहरे संकट में आ गया है. हालांकि रूस अपने तेल और कोयले के निर्यात को एशिया की ओर मोड़ सकता है लेकिन दिक्कत यह है कि रूस की सभी गैस पाइपलाइन पश्चिम की ओर जाती हैं और उन्हें एकाएक पूर्व की ओर नहीं मोड़ा जा सकता है.
युद्ध की वजह से रूस का वित्तीय भंडार तेजी से खर्च हो रहा है.
वैश्विक नुकसान
24 फरवरी 2022 को जब से रूस ने यूक्रेन के खिलाफ संघर्ष का बिगुल बजाया है तक से दुनिया की काफी चीजें इस युद्ध से प्रभावित हुई हैं. इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी काफी असर पड़ा है. इस युद्ध की वजह से वैश्विक खाद्य संकट मंडराने लगा है. गेहूं और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में इजाफा हुआ है. फाइनेंसियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार रूस-यूक्रेन संकट की वजह से उच्च ऊर्जा और खाद्य कीमतों ने 90 से अधिक देशों में अशांति पैदा कर दी है.
गोल्डमैन सैक्स के अनुसार इस युद्ध ने वैश्विक विकास में कटौती की है. ऊर्जा संकट की वजह से 2023 में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 1.8% तक धीमी हो सकती है.
इस युद्ध की वजह से दुनिया भर की सप्लाई चेन प्रभावित हुई है.
जर्मन इकोनॉमिक इंस्टीट्यूट (आईडब्ल्यू) के एक्सपर्ट का कहना है कि ऊर्जा और कच्चे माल की आपूर्ति की समस्याएं दुनिया भर की कंपनियों पर दबाव डाल रही हैं.
2022 में वैश्विक अर्थव्यवस्था को 1.6 ट्रिलियन डॉलर का झटका
जर्मनी में हुए अध्ययन में पाया गया है कि रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने 2022 में वैश्विक अर्थव्यवस्था को 1.6 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान पहुंचाया है. न्यूज एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, जर्मन इकोनॉमिक इंस्टीट्यूट (आईडब्ल्यू) द्वारा हाल ही में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध से पश्चिमी अर्थव्यवस्थाएं विशेष रूप से प्रभावित हुई हैं, क्योंकि इन्होंने अपने वैश्विक उत्पादन का दो-तिहाई हिस्सा खो दिया है.
इस अध्ययन के अनुसार 2023 में वैश्विक उत्पादन घाटा 1 ट्रिलियन डॉलर या उससे अधिक हो सकता है.
अध्ययन में कहा गया है कि युद्ध के कारण दुनिया भर में आपूर्ति और उत्पादन बाधित हुआ है. इसके अलावा, ऊर्जा की कीमतें आसमान छू रही हैं. इसमें यह भी कहा गया है कि महंगाई हर जगह तेजी से बढ़ी है, जिससे उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति कम हो रही है.
एनर्जी संकट
सऊदी अरब के बाद रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक है और प्राकृतिक गैस, गेहूं, नाइट्रोजन उर्वरक और पैलेडियम का दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है. यूरोप एक समय काफी हद तक रूस की गैस पर निर्भर था, लेकिन अब इसने रूसी गैस से दूरी बना ली है. अल-जजीरा की रिपोर्ट में बताया गया है कि पूरे यूरोपीय संघ में मई और अक्टूबर के बीच रूस से गैस का प्रवाह 80 प्रतिशत तक गिर गया. पाइपलाइन में जो बाधाएं आईं उसने एनर्जी-इंटेंसिव उद्योगों को खतरे में डाल दिया. वहीं यूरोपीय देशों ने कारखानों को चालू रखने के लिए तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) का सहारा लिया.
नई एलएनजी आपूर्ति के लिए यूरोप ने तत्काल हाथ बढ़ाया जिससे बाजार में इसकी कीमतों में वृद्धि हुई. इसका ही परिणाम रहा कि एशियाई एलएनजी पिछले साल रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई, इससे इस क्षेत्र के कई विकासशील देश बिजली की कमी से जूझ रहे हैं.
जर्मनी में गैस और बिजली की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जिनका असर उत्पादन के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों पर पड़ रहा है. जर्मनी के उद्योगों में हर साल करोड़ों किलोवॉट बिजली और गैस की खपत होती है, लेकिन इसकी आपूर्ति कम है और कीमतें ऐतिहासिक रूप से रिकॉर्ड स्तर पर हैं. रूस से गैस आपूर्ति बंद होने के बाद से जर्मनी में स्टील मिलों, भारी उद्योगों और मैकेनिकल इंजीनियरिंग क्षेत्र की कंपनियों के सामने बड़ा डर बना हुआ है.
रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के तुरंत बाद, अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतें 2008 के रिकॉर्ड के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं थीं.
एसएंडपी गोल्डमैन सैक्स कमोडिटी इंडेक्स का एनर्जी कंपोनेंट, 2022 साल की शुरुआत के मुकाबले साल के अंत में 10 फीसदी अधिक समाप्त हुआ था.
रूस के आक्रमण ने विकासशील देशों सहित वैश्विक अर्थव्यवस्था को झटका देने का काम किया है. अल-जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार रूस के आक्रमण का ही नतीजा है कि 2022 में दसियों देशों की मुद्राएं अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिर गईं, जिससे आयात की लागत में इजाफा हुआ है.
कई विकासशील देशों ने अपने ईंधन के आयात में कटौती की है क्योंकि यूक्रेन-रूस युद्ध की वजह से तेल की कीमतों में इजाफा हो गया है.
मार्सेलो एस्टेवाओ विश्व बैंक में मैक्रोइकनॉमिक्स, ट्रेड और इंवेस्टमेंट के वैश्विक निदेशक हैं. उनका कहना है कि “पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे एनर्जी आयातक इसलिए समस्या से जूझ रहे हैं क्योंकि वे धनी यूरोपीय देशों जितना भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं.”
खाद्य संकट
रूस और यूक्रेन युद्ध से पहले जौ, मक्का और सूरजमुखी के दुनिया के शीर्ष आपूर्तिकर्ताओं में से थे. रूस के आक्रमण से इनकी आपूर्ति गंभीर रूप से प्रभावित हुई. दोनों देशों का 2021 में वैश्विक गेहूं निर्यात में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान था. लेकिन रूस द्वारा यूक्रेन के काला सागर बंदरगाहों की नाकाबंदी कर दी गई, यह अनाज के लिए एक प्रमुख शिपिंग रूट है.
रूस द्वारा की गई नाकाबंदी की वजह से 2022 में गेहूं की कीमतों में पिछले साल की तुलना में 35 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, जो मार्च में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई थी.
ट्यूनीशिया, मोरक्को और मिस्र जैसे देश दुनिया के सबसे बड़े गेहूं आयातकों में से एक हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से यहां की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है.
पिछले साल जून में मिस्र के वित्त मंत्री ने कहा था कि गेहूं की ऊंची कीमतों से 2022-23 में देश के ब्रेड सब्सिडी कार्यक्रम की लागत 1.5 अरब (बिलियन) डॉलर बढ़ जाएगी. महंगे खाद्य कार्यक्रमों के बोझ से कराहती इस सरकार को हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से 3 अरब डॉलर का ऋण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा.
महंगा होता कर्ज
रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से जो महंगाई आई, उसने अमेरिका के फेडरल रिजर्व के साथ-साथ अन्य प्रमुख केंद्रीय बैंकों को ब्याज दरों में वृद्धि करने के लिए प्रेरित किया. पिछले ग्यारह महीनों में फेडरल बैंक ने मूल्य वृद्धि को धीमा करने के प्रयास में अपनी बेंचमार्क दर को लगभग 4.5 प्रतिशत अंक बढ़ा दिया. अमेरिका के फेड रिजर्व ने कर्ज महंगा किया तो विदेशी निवेशक इमर्जिंग मार्केट्स से निवेश निकालने लगे. बीते एक वर्ष में सेंट्रल बैंक कई चरणों में अनेकों बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर चुके हैं. दुनियाभर में कर्ज महंगा होता रहा जिससे लोगों की ईएमआई महंगी गई. तो कॉरपोरेट्स के बैलेंसशीट पर भी महंगे कर्ज का असर पड़ा है. महंगे कर्ज से मांग घट रही है. ऐसे में कंपनियां छंटनी कर रही हैं.
पर्यावरण को नुकसान
रूस-यूक्रेन की युद्ध की वजह से पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंचा है. गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक यह पहला ऐसा संघर्ष है जिसमें पर्यावरणीय अपराधों की पूरी गणना की जा रही है. रिपोर्ट में बताया गया है जहरीला धुंआ फैला, नदियां दूषित हुईं, मिट्टी पर प्रभाव पड़ा, पेड़-पौधे प्रभावित हुए हैं. यूक्रेनी वैज्ञानिकों, संरक्षणवादियों, नौकरशाहों और वकीलों द्वारा इस संदर्भ में व्यापक जांच की जा रही है. रिपोर्ट के अनुसार हमलावर को इसके मुआवजे के दावे के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है तो वर्तमान में वह रकम 50 बिलियन डॉलर से ज्यादा होगी.
यूक्रेन के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी हालिया रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल को लेकर अनुमान जताया गया है कि :
यूक्रेन को 3 लाख 20 हजार 104 विस्फोटक उपकरणों के प्रभाव को अवशोषित या बेअसर करना पड़ेगा.
देश का लगभग एक तिहाई हिस्सा (1 लाख 74 हजार वर्ग किमी) संभावित रूप से खतरनाक बना हुआ है.
युद्ध के मलबे में 3,000 नष्ट रूसी टैंकों और अन्य सैन्य उपकरणों से 2 लाख 30 हजार टन का मेटल स्क्रैप है.
160 नेचर रिजर्व, 16 आर्द्रभूमि (वेटलैंड) और दो जीवमंडल (biospheres) विनाश के खतरे में हैं.
काले सागर में 'भारी' संख्या में माइनिंग हो रही है जिससे शिपिंग और समुद्री जानवरों को खतरा है.
जानवरों की छह सौ प्रजातियां और पौधों की 880 प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं.
एक तिहाई यूक्रेनी भूमि कृषि के लिए अनुपयुक्त या अनुपलब्ध है.
40% तक खेती योग्य भूमि कृषि के लिए उपलब्ध नहीं है.
अन्य नुकसान
यूक्रेन में रूसी आक्रमण से दिसंबर 2022 तक प्रत्यक्ष तौर पर भौतिक इंफ्रास्ट्रक्चर को जो नुकसान पहुंचा है, स्टैटिस्का रिसर्च डिपार्टमेंट द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार उसका क्षेत्र वार (सेक्टर वाइज) अनुमान कुछ इस तरह से है.
रेसिडेंसियल बिल्डिंग-24 बिलियन डॉलर
इंफ्रास्ट्रक्चर -35.6 बिलियन डॉलर
इनवायर्नमेंट -14 बिलियन डॉलर
इंटरप्राइज एंड इंडस्ट्री एसेट्स -13 बिलियन डॉलर
एजुकेशन -8.6 बिलियन डॉलर
एनर्जी -6.8 बिलियन डॉलर
एग्रीकल्चर एंड लैंड रिर्सोसेस -6.6 बिलियन डॉलर
ट्रांसपोर्टेशन -2.9 बिलियन डॉलर
ट्रेड -2.4 बिलियन डॉलर
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