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एख़्वाब टूटे हैं मगर हौसले ज़िन्दा हैं, हम वो हैं जहां मुश्किलें शर्मिंदा हैं…!!
किसी शायर की यह पंक्तियां आज अपने से कहीं बड़े दुश्मन रूस से लोहा ले रहीं यूक्रेन की (Ukraine) वीरांगनाओं पर पर सटीक बैठती हैं. रूस (Russia) यूक्रेन की राजधानी कीव (Kiev), खार्किव (Kharkiv) सहित कई बड़े शहरों पर मिसाइलों, गोलाबारूद और एयर स्ट्राइक से हमला (Russia Ukraine war) करके इस देश की हिम्मत तोड़ने की भरपूर कोशिश कर रहा है, पर इस देश की सेना में शामिल महिला सोल्जर्स ने रूस के पुरुष लड़ाकों की टुकड़ियों को टक्कर देकर युद्ध का रुख ही बदल दिया है. ये वीर वुमन सोल्जर्स अपने राष्ट्रपति वोलोदमिर ज़ेलेंस्की (volodymyr zelensky) के सुर में सुर मिलाकर कह रही हैं, 'देश छोड़कर जाएंगे नहीं, आखिरी सांस तक यहीं रुकेंगे'. आज वुमंस डे पर पढ़िए यूक्रेन की इन वीरांगनाओं की कहानी.
जब 2014 में क्रीमिया पर मास्को ने कब्जा कर लिया, तब से यूक्रेन में राष्ट्रवाद उबल रहा है. वही दौर था जब यूक्रेनी सेना में लैंगिक असमानताओं को त्यागकर किसी भी आक्रमण का मुकाबला करने के लिए केंद्रीय भूमिकाओं में लाया गया. रूस के क्रीमिया पर हमले के बाद से ही यूक्रेन ने महिलाओं को सेना में भर्ती करने पर गंभीरता से विचार करना शुरू किया. तब से ही यूक्रेन को खुद पर रूस के हमले का अंदेशा था, इसलिए उसने सेना का विस्तार करना शुरू कर दिया. सन 2017 के बाद से महिलाओं को सेना में लार्ज स्केल पर लिया जाने लगा. ज्यादातर फोकस 20 से 35 साल के बीच की युवा महिलाओं पर था. उन्हें कमांडो, पैरा कमांडो, कॉम्बैट सोल्जर जैसी भूमिकाओं के लिए भी कंसीडर किया गया.
यूक्रेन में महिलाओं की आर्मी के बारे में मिलिट्री डॉट कॉम ने विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है. इसमें उल्लेख है कि वर्तमान में यूक्रेन की सेना में महिलाओं की तादाद कुल सेना की एक चौथाई तक आ पहुंची. इसका मतलब यूक्रेन की आर्मी में हर चौथी लड़ाका एक औरत ही है. साल 2020 तक 31 हजार महिला सैनिकों की बड़ी आर्मी यूक्रेन के पास थी. उस दौरान पूरी सेना में महिलाओं की मौजूदगी 15.5% थी. पिछले साल 2021 में जारी आंकड़ों के अनुसार आर्मी में महिलाओं की कुल हिस्सेदारी 23% तक हो गई है. सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के आंकड़े भी मिलिट्री डॉट कॉम की रिपोर्ट की पुष्टि करते हैं. उनके अनुसार भी यूक्रेन आर्मी में महिलाएं 23% तक मौजूद हैं.
सीएस मॉनिटर की रिपोर्ट के अनुसार यूक्रेन की सेना ने 2016 में महिलाओं को युद्ध की स्थिति में लड़ने का अधिकार दिया गया. इससे पहले, वे नर्सों, सेक्रेटरी, सी मिस्ट्रेस और रसोइयों के रूप में काम कर सकती थीं. सोवियत युग के नियमों ने इन महिला को कॉम्बेट भूमिका निभाने से रोका था जिनमें उल्लेख था कि महिलाओं की प्रजनन क्षमता में अवरोध वाले कार्य उनसे नहीं कराए जा सकते. उनकी कॉम्बेट भर्ती करने का भी एक विशेष कारण रहा. यूक्रेन की आबादी ही बाकी के मुल्कों की तुलना में बहुत कम है.
2014 और 2016 के बीच पूर्वी यूक्रेन के कई हॉटस्पॉट्स में वॉलेंटियर्स के रूप में काम करने वाली स्नाइपर ओलेना बिलोज़र्स्का जैसी महिलाओं द्वारा जब युद्ध में महिलाओं को उतारने के लिए आवाज उठाई गई तो नीति में बदलाव आया. बिलोज़र्स्का ने कीव के जंगल में शार्पशूटिंग के कौशल सीखे. उन्हें उनके पति ने यह सब सिखाया, जो सेना में सीनियर थे और एक दशक पहले रूस के साथ संघर्ष में शामिल थे. पहली बार जब वह सैनिक वर्दी में सामने आईं, तो उनके पुरुष सहयोगी ने सोचा कि वह डॉक्टर होंगी. पर कॉम्बेट ट्रेनिंग में अग्रिम पंक्ति में इस महिला लड़ाकू को देखकर वे सभी बहुत आश्चर्यचकित हुए. यूक्रेन में उनके जैैसी वुमन फाइटर्स का बहुत सम्मान है, पर रूसी लोग अक्सर उन्हें ऑनलाइन ट्रोलिंग का टारगेट बनाते हैं.
उत्तरी यूक्रेन के देसना में 30 पुरुषों के साथ तैनात छह महिलाओं में से एक डारिया अपने सीनियर्स को भी फ्रंट-लाइन रोटेशन के लिए लीड कर रही हैं.
आंद्रेई विटालियोविच और पॉलिना पति पत्नी है. दोनों ने आठ साल के युद्ध के दौरान अलग-अलग इकाइयों में दुश्मन से लड़ते हुए समय बिताया है और अभी यूक्रेन की रक्ष के लिए फिर से लोहा ले रहे हैं.
क्रिस्टीन हडमैन पारडी ने अच्छी आर्टिस्ट थीं, पर कोरोना ने उनका सब कुछ छीन लिया. इसके बाद सेना में आकर उन्होंने हथियार थामा.
यूक्रेनी सीमा रक्षक सेवा में तैनात जूनियर हवलदार नादिया बेबी दो बच्चों की मां हैं और पूर्वी यूक्रेन में ज़ोलोट शहर के पास एक चौकी पर डटी खड़ी हुई हैं. रूस के साथ संघर्ष में यह शहर एक अस्थिर क्षेत्र हो चुका है. पर वह यहां अपने देश की रक्षा के लिए डटी हुई हैं
हाल ही में यूक्रेन की एक सांसद कीरा रूडिक द्वारा देश की रक्षा के लिए हथियार उठाए जाने के समाचार ने खासी सुर्खियां बटोरी थीं. ऐसा यूक्रेन की कई और महिलाएं कर रही हैं. यूक्रेन में महिलाओं की रेगुलर आर्मी के अतिरिक्त दूसरे प्रोफेशन की महिलाओं को भी क्विक ट्रेनिंग देकर वॉर में उतारने का इमरजेंसी प्लान तैयार है. इस घोषणा के बाद बड़ी संख्या में अन्य पैसे की महिलाएं जर्नलिस्ट, प्रोफेसर, मॉडल्स, सिंगर आदि रूस से लोहा लेने मैदान में उतर रही हैं.
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