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5वीं बार नेपाल के PM बनने वाले शेर बहादुर देउबा कौन हैं? भारत के लिए संकेत

कौन हैं 10 साल जेल में गुजारने वाले शेर बहादुर देउबा और भारत के लिये यह राहत की खबर क्यों है?

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<div class="paragraphs"><p>नेपाल में Sher Bahadur Deuba 5वीं बार प्रधानमंत्री नियुक्त</p></div>
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नेपाल में Sher Bahadur Deuba 5वीं बार प्रधानमंत्री नियुक्त

(फोटो-PTI )

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नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा (Sher Bahadur Deuba) पांचवीं बार नेपाल (Nepal) के प्रधानमंत्री बने हैं. राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने उन्हें नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 76(5) का उपयोग करते हुए प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त किया है. देउबा 13 जुलाई की शाम शपथ लेंगे.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नियुक्ति

74 वर्षीय शेर बहादुर देउबा की यह नियुक्ति नेपाल सुप्रीम कोर्ट के सोमवार 12 जुलाई के फैसले के बाद हुई. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के 21 मई को लिये प्रतिनिधि सदन भंग करने के फैसले को पलटते हुए देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त करने का आदेश दिया था.

चीफ जस्टिस चोलेन्द्र शमशेर राणा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्य पीठ ने केपी शर्मा के प्रधानमंत्री पद के दावे को असंवैधानिक करार दिया था. संवैधानिक प्रावधान के मुताबिक अगले 30 दिनों के अंदर शेर बहादुर देउबा को संसद का विश्वास मत जीतना जरूरी है.

देउबा नेपाल में अब तक विपक्ष में रही पार्टियों के गठबंधन की सरकार बनाएंगे. इसमें नेपाली कांग्रेस, CPN-UML माधव कुमार नेपाल-झालनाथ खनाल गुट, CPN (माओवादी), जनता समाजवादी पार्टी का उपेंद्र यादव गुट तथा राष्ट्रीय जनमोर्चा शामिल हैं.

कौन हैं पांचवीं बार पीएम पद पर पहुंचने वाले शेर बहादुर देउबा ?

13 जून 1946 को सुदूर पश्चिमी नेपाल के दाडेलहुरा जिले में जन्में शेर बहादुर अभी नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष थे. उन्होंने अपना राजनीतिक करियर 'फॉर वेस्टर्न स्टूडेंट कमेटी' के संस्थापक और चेयरमैन के तौर पर शुरू किया था. 1971 में वो नेपाल स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष बने और इस पद पर वो 1980 तक बने रहे.

1980 के बहुदलीय लोकतंत्र के लिए राष्ट्रीय जनमत संग्रह में उन्होंने आगे बढ़कर प्रतिनिधित्व किया था. 1981 में देउबा सुदूर पश्चिमी क्षेत्र में नेपाली कांग्रेस के पुलिस इंचार्ज नियुक्त किए गए. हालांकि 1986 में पार्टी के अंदर मतभेद के चलते उन्होंने अलग होकर नई पार्टी 'नेपाली कांग्रेस डेमोक्रेटिक पार्टी' बनाने का फैसला किया.

देउबा इससे पहले 4 बार नेपाल के प्रधानमंत्री रह चुके हैं.

  • जून 2017 से फरवरी 2018

  • जून 2004 से फरवरी 2005

  • जुलाई 2001 से अक्टूबर 2002

  • सितंबर 1995 से 1997

देउबा 10 साल जेल में भी गुजार चुके हैं. वो 1986 से 2005 के बीच अलग-अलग समय पर जेल जा चुके हैं. 2005 में नेपाल के राजा ज्ञानेंद्र शाह ने उन्हें कथित तौर पर 'अक्षमता' के लिए पीएम पद से हटा दिया था. देउबा की शादी डॉ. अजरू राणा देउबा से हुई है, जो नेपाली कांग्रेस पार्टी की सक्रिय सदस्य हैं.

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नेपाल संसद में 18 जुलाई तक हो हाउस मीटिंग: सुप्रीम कोर्ट

केपी ओली के 20 दिसंबर 2020 को संसद भंग करने के बाद 23 फरवरी 2021 को भी सुप्रीम कोर्ट ने संसद को बहाल किया था. लेकिन मई 2021 को फिर से ओली ने संसद को भंग कर दिया, अब उनके इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलटते हुए देउबा को प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त करने का फैसला सुनाया.

संवैधानिक पीठ ने कहा कि 18 जुलाई को शाम 5 बजे तक संसद की बैठक होनी चाहिए.

इसी बीच नेपाल के चुनाव आयोग ने 13 जुलाई को, सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिनिधि सभा की बहाली के बाद देश में 12 और 19 नवंबर को होने वाले संसदीय चुनाव को स्थगित कर दिया है .चुनाव आयोग के प्रवक्ता राजकुमार श्रेष्ठ ने कहा कि "प्रतिनिधि सभा के विघटन के बाद नवंबर में होने वाला चुनाव तुरंत नहीं होगा, क्योंकि संसद बहाल कर दी गई है".

वित्त मंत्रालय ने चुनाव के लिए बजट का आवंटन भी कर दिया था और चुनाव आयोग ने इससे संबंधित वित्तीय प्रक्रिया को मंजूरी दे दी थी.

भारत के लिए अच्छी खबर

अब सवाल है कि पड़ोसी देश में इस सत्ता परिवर्तन का भारत पर क्या असर होगा? शेर बहादुर देउबा भारत के समर्थक माने जाते हैं. जून 2017 में प्रधानमंत्री बनने के 2 महीने बाद ही, अगस्त में उन्होंने भारत की यात्रा की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. देउबा भारत के साथ आर्थिक रिश्ते मजबूत करने के पक्षधर हैं.

अब केपी ओली ने पिछले कुछ सालों में भारत को लेकर जो फैसले लिए थे, उनसे नेपाल और भारत के रिश्तों में कहीं न कहीं एक दरार आई थी. लेकिन देउबा का आना इस दरार को भरने का काम कर सकता है. खासतौर पर उत्तर-पूर्वी बॉर्डर पर चीन के आक्रामक रवैया के बीच नेपाल में हुआ ये बदलाव भारत के लिए राहत भरा हो सकता है. पिछले पीएम केपी ओली के नेतृत्व में नेपाल लगातार चीन के करीब गया है.

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