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साउथ अफ्रीका क्यों दहक रहा? 72 मर्डर, सैकड़ों अरेस्ट, भारतीय भी निशाने पर

दक्षिण अफ्रीका में पूर्व राष्ट्रपति Jacob Zuma को जेल भेजे जाने के बाद कुछ हिस्सों में व्यापक हिंसा और लूटपाट शुरू.

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<div class="paragraphs"><p>डरबन: फैक्ट्री में लगी आग, 14 जुलाई 2021</p></div>
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डरबन: फैक्ट्री में लगी आग, 14 जुलाई 2021

(फोटो: PTI)

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दक्षिण अफ्रीका (South Africa) में पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा (Jacob Zuma) को जेल में बंद किए जाने के बाद देश के कुछ हिस्सों में व्यापक हिंसा और लूटपाट देखने को मिल रही है. इस हिंसा में अब तक कम से कम 72 लोगों की मौत हो गई. पुलिस और सेना स्थिति को नियंत्रित करने के लिए रबर की गोलियों का सहारा ले रही है. दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों मूल के लोगों के खिलाफ भी लूट और हिंसा की खबरें सामने आई हैं. भारतीयों की सुरक्षा को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने दक्षिण अफ्रीका में अपने समकक्ष से बात की.

पूर्व राष्ट्रपति पर क्या हैं आरोप?

दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा को कोर्ट कि अवमानना के आरोप पर 15 महीने की जेल हुई है. 2009-2018 तक राष्ट्रपति रहे जुमा पर भ्रष्टाचार के भी आरोप लगे हैं. पूर्व कैबिनेट मंत्रियों, उच्च सरकारी अधिकारियों कहा है कि कैबिनेट मंत्रियों की उनकी नियुक्ति विवादास्पद गुप्ता परिवार से प्रभावित थी.

जुमा पर दक्षिण अफ्रीका के 1999 के हथियार खरीद सौदे के दौरान कथित रूप से रिश्वत लेने के भी आरोप हैं.

भारतीय मूल के गुप्ता बंधुओं की जैकब जुमा से करीबी बताई जाती है. जुमा के कार्यकाल के दौरान, अतुल, राजेश और अजय गुप्ता पर घोटाले में शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं. दक्षिण अफ्रीका की नेशनल प्रोसेक्यूशन अथॉरिटी ने इंटरपोल से मांग की है कि अतुल गुप्ता, राजेश गुप्ता और इनके पत्नियों और बिजनेस सहयोगियों के खिलाफ रेड नोटिस जारी किया जाए.

क्यों मचा है बवाल?

जुमा को जेल भेजे जाने के बाद से ही हिंसा शुरू हो गई है और ये सबसे पहले जुमा के क्षेत्र KwaZulu-Natal में शुरू हुई. देखते ही देखते हिंसा Mpumalanga, Gauteng, KwaZulu-Natal, और उत्तकी तेर में फैल गई. आर्थिक राजधानी जोहान्सबर्ग और डरबन में भी गोदामों और दुकानों में तोड़फोड़ की गई है.

प्रदर्शनकारियों की मांग है कि जुमा को रिहा किया जाए.

प्रदर्शनकारियों ने सड़कें और हाईवे ब्लॉक कर दिए और जगह-जगह आगजनी की. विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने दुकानों और मॉल में लूटपाट भी की.

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1200 से ज्यादा गिरफ्तारियां

दक्षिण अफ्रीका में हिंसा रोकने के लिए पुलिस और सेना को तैनात किया गया है. हालांकि, इसके बावजूद आगजनी और हिंसा की घटनाएं रुक नहीं रही हैं. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने दो प्रांतों में 25,000 सैनिकों को तैनात करने की योजना बनाई है जहां सुरक्षाबल लूटपाट, आगजनी और हिंसा के दिनों को रोकने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने हिंसा भड़काने के लिए 12 लोगों की पहचान की है और अब तक 1200 से ज्यादा गिरफ्तारियां हो चुकी हैं.

हिंसा से कितना नुकसान?

BBC की एक रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि 200 शॉपिंग मॉल को लूटा जा चुका है. सोवेतो शहर के शॉपिंग सेंटर को पूरी तरह से खाली कर दिया गया है. एटीएम, रेस्टोरेंट, शराब की दुकानों में भी लूट की गई है. डरबन में एक ब्लड बैंक लूट लिया गया.

जयशंकर ने की दक्षिण अफ्रीका के विदेश मंत्री से बात

हिंसा की खबरों के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर हालात पर चिंता जताई और बताया कि उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के विदेश मंत्री नालेदी पांडेर से बात की है. 14 जुलाई को, एक ट्वीट में जयशंकर ने लिखा, "उन्होंने आश्वासन दिया कि उनकी सरकार कानून व्यवस्था लागू करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. सामान्य स्थिति और शांति की शीघ्र बहाली प्राथमिकता है."

इसके अलावा, विदेश मंत्रालय के सचिव, संजय भट्टाचार्य ने भारत में दक्षिण अफ्रीका के हाईकमीश्नर Joel Sibusiso Ndebel से भी बात कर हालात की चर्चा की.

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