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थाईलैंड: कोच ने निभाया अपना वादा,सबसे आगे गया, सबसे आखिर में निकला

17 दिन बाद गुफा से निकाले गए सभी 12 बच्चे और कोच

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दुनिया
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जूनियर फुटबॉल टीम वाइल्ड बोर के कोच एक्कापोल एके चैंटावॉन्ग
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जूनियर फुटबॉल टीम वाइल्ड बोर के कोच एक्कापोल एके चैंटावॉन्ग
(फोटो: Twitter)

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उसने अपना वादा निभाया, कहा था कि सबके सुरक्षित निकलने के बाद ही गुफा के बाहर आऊंगा. वो सबसे अंत में ही गुफा के बाहर आया.

कौन है वो, पूरी दुनिया जिन्हें सलाम कर रही है. 25 साल के एक्कापोल एके चैंटावॉन्ग उसी जूनियर फुटबॉल टीम वाइल्ड बोर के कोच थे, जो पूरी टीम के साथ 17 दिन से गुफा के अंदर थे. लेकिन तमाम बुरे हालात के बावजूद एक पल के लिए भी उन्होंने जिंदगी की, उम्मीद की डोर नहीं छोड़ी.

जब बच्चे गुफा में थे, तो लोग एक्कापोल को ताने मार रहे थे, लापरवाह करार दे रहे थे, जिसने 12 बच्चों की जिंदगी मुश्किल में डाल दी. लेकिन अब एक्कापोल थाईलैंड के ही नहीं, पूरी दुनिया के हीरो हैं.

मुसीबत का मुकाबला

पानी के घिरे, पत्थरों के बीच संकरी गुफा में ऑक्सीजन की कमी, खाने-पीने की कमी और घनघोर अंधेरे में भी इस कोच ने 12 बच्चों को संभाले रखा, उन्हें निराश नहीं होने दिया.

अब जबकि सब बच्चे सुरक्षित बाहर निकल आए हैं, तो मौका है गजब की इच्छाशक्ति वाले इस कोच के बारे में जानने का, जिसकी बहादुरी लोगों का मनोबल बढ़ाएगी.

कौन हैं कोच एक्कापोल?

इनके सिर्फ दो रिश्तेदार ही जीवित हैं. एक उनकी दादी हैं और एक रिश्ते की बहन. उनके रिश्तेदार बताते हैं कि एक्कापोल के माता-पिता की मौत बचपन में ही हो गई थी. मां के गुजरने की तो शायद उन्हें याद भी न हो. वो 10 साल के होंगे, तब पिता की भी मौत हो गई. कुछ सालों बाद उनके भाई की भी मौत हो गई.

इतनी मुसीबतों के बाद थाईलैंड के दूसरे अनाथ बच्चों की तरह एक्का भी बौद्ध भिक्षु बन गए और लुम फुन की बौद्ध मोनेस्ट्री में रहने लगे. ज्यादातर वक्त वो मोनेस्ट्री में रहते थे, लेकिन बीच-बीच में अपनी दादी से मिलने आते रहते. शायद इन्हीं मुश्किलों ने उन्हें अंदर से बहुत मजबूत बना दिया.

लंबा वक्त मोनेस्ट्री में बिताने के बाद एक्का ने फैसला किया कि अब वो नए सिरे से अपनी जिंदगी जिएंगे. उनके शहर मी साई में रहने वाले लोग बताते हैं कि एक्का हर किसी की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. बच्चे बताते हैं कि गुफा के अंदर उन्होंने कई दिन खुद खाने के बजाए अपनी टीम के लोगों में खाना शेयर किया.

कल्पना कीजिए, नौ दिन जब ये सभी 13 लोग पूरी दुनिया से कटे अंधेरी गुफा में फंसे थे, तब भी उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी थी. उन्हें जानने वाले कहते हैं कि एक्का पर बच्चों के मां-बाप को बहुत भरोसा होता है कि उनकी निगरानी में बच्चे पूरी तरह सुरक्षित हैं.

एक्का को कोचिंग के ज्यादा पैसे नहीं मिलते, फिर भी उसके उत्साह में कोई कमी नहीं आती. लोग बताते हैं कि जब पता चला कि एक्का पूरी टीम के साथ गुफा के अंदर गए हैं, लेकिन गुम गए हैं, तो शहर के ज्यादातर लोग परेशान हो गए. उनके क्लब वाइल्ड बोर के लोगों ने भी तलाश शुरू कर दी.

गुफा में फंसे बच्चों के मां-बाप शुरुआत के कुछ दिन बहुत परेशान थे. वो कोच एक्का को ताने मार रहे थे कि उनकी लापरवाही की वजह से बच्चे मुसीबत में फंस गए. लेकिन नौ दिन बाद जब ब्रिटिश गोताखोर ने इन बच्चों के सुरक्षित होने की खबर दी, तो एक्का के लिए उनका नजरिया बदल गया.

एक्का अब विलेन नहीं, सबका हीरो बन गया. लोग इस बात की मिसाल देने लगे कि नौ दिन से अंधेरी गुफा में बच्चे सुरक्षित हैं, मतलब एक्का ने उनको बहुत अच्छे से संभाले रखा.

पूरी दुनिया में इस युवा कोच एक्का के बारे में जानने की उत्सुकता है. एक्का अब इंटरनेशनल सुपरस्टार हैं, मुसीबत से मुकाबले का उनका ये अंदाज लंबे वक्त तक याद किया जाएगा.

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