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थाईलैंड मिशन इंपॉसिबल: सबसे अद्भुत रेस्क्यू ऑपरेशन की खास बातें

थाईलैंड की थाम लुआंग गुफा में 23 जून से फंसे 12 बच्चों और उनके कोच को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है.

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थाईलैंड की थाम लुआंग गुफा में 23 जून से फंसे 12 बच्चों और उनके कोच को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. 8 जुलाई से बच्चों को बाहर निकालने का मिशन शुरू हुआ, जिसे 3 दिन में पूरा कर लिया गया. 18 दिन के इस 'मिशन इंपॉसिबल' पर दुनियाभर की निगाहें थीं. 40 थाईलैंड के और 50 दूसरे देशों के गोताखोरों ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया.

आइए जानते हैं मिशन इंपॉसिबल के हर सवाल का जवाब

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गुफा में कैसे फंसे थे ये बच्चे?

थाईलैंड की अंडर 16 फुटबॉल टीम के 11 से 16 साल की उम्र के 12 बच्चे और उनके 25 साल के कोच घूमने के लिए गुफा के अंदर गए थे. अचानक आई जबरदस्त बारिश की वजह से गुफा का बाहरी रास्ता बंद हो गया. ‘वाइल्ड बोर ‘ फुटबॉल टीम के इन बच्चों के लापता होने की खबर के बाद शुरू हुआ सर्च ऑपरेशन.

थाईलैंड के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, चीन और सिंगापुर के गोताखोरों की टीम समेत 1,000 लोग इस ऑपरेशन से जुड़े. ब्रिटेन के 3 केव एक्सपर्ट्स को भी इस काम के लिए बुलाया गया. इनमें से ही एक केव एक्सपर्ट ने 9 दिन बाद यानी 2 जुलाई को बच्चों को इस गुफा में ढूंढ निकाला. 

गुफा के अंदर कितना जोखिम था?

इन बच्चों को तैराकी नहीं आती थी. पूरी गुफा पानी से भरी थी और ये बच्चे गुफा के प्रवेश द्वार से करीब 4 किलोमीटर अंदर एक चेंबर में फंसे थे, जहां चारों तरफ अंधेरा और आसपास लबालब भरा हुआ पानी था. ऑक्सीजन की कमी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि रेस्क्यू में जुटे एक थाई गोताखोर की ऑपरेशन के दौरान ही मौत हो गई थी. समन गुनान नाम के ये गोताखोर जरूरी सामान पहुंचाकर गुफा से बाहर आ रहे थे कि ऑक्सीजन की कमी से उनकी मौत हो गई.

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कितनी टीमें इस ऑपरेशन में जुटी हुई थीं?

करीब 1,000 से ज्यादा लोग इस ऑपरेशन में जुटे हुए थे. गोताखोरों की कुल संख्या 90 थी, जिनमें 40 थाईलैंड के थे. अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, चीन, सिंगापुर और कुछ यूरोपीय देशों की टीमें भी मिशन इंपॉसिबल को पॉसिबल करने में जुटी हुई थीं. ऑपरेशन को लीड कर रहा था थाई नेवी सील.

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गुफा से कैसे निकाले गए बच्चे?

सबसे पहले गुफा के अंदर एक बेस बनाया गया, जहां से फाइनल रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा था. 8 जुलाई को ये तय किया गया कि हर बच्चे को बाहर निकालते वक्त दो गोताखोर होंगे. एक गोताखोर बच्चे को अपने साथ लिए होगा और दूसरा उनके पीछे होगा.

सबसे पहले गोताखोर पानी भरे संकरे रास्तों से बच्चों तक पहुंचेंगे, गोताखोरों के पास ऑक्सीजन का टैंक भी होगा. गुफा से बाहर निकलने के रास्ते में एक जगह ऐसी भी थी, जो महज 40 सेंटीमीटर ही चौड़ी थी. ऐसे में गोताखोर टैंक को अपने अलग कर देगा.

इसके बाद बच्चे और टैंक, दोनों को साथ तैर रहे गोताखोर को सौंपा जाएगा, जिससे 40 सेंटीमीटर की उस जगह से निकला जा सके. शुरुआत में कहा जा रहा था कि बच्चों को निकालने में 4 महीने का वक्त भी लग सकता था, लेकिन गोताखोरों और एक्सपर्ट ने थोड़ा जोखिम उठाकर उन्हें 3 दिन में निकाल लिया.

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सबसे अच्छी बात क्या रही?

इस ऑपरेशन को पूरी दुनिया का सपोर्ट मिलने के साथ ही सबसे अच्छी बात ये रही कि 17 दिन तक गुफा में रहने के बावजूद बच्चों का मेंटल हेल्थ बड़ा ही बैलेंस था. बच्‍चों के लापता होने के 9 दिन बाद जब पहला वीडियो सामने आया, उसमें बच्चे मदद को देखकर काफी खुश नजर आए. बच्चों की इस मुस्कान से परिवारवालों और  बचावकर्मियों ने राहत की सांस ली.

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