दशकों से हिंदी सिनेमा देश और समाज का आईना दिखाते आ रहा है. हमें फिल्मों में वैसा ही देखने को मिलता है, जैसा समाज में घटित होता है. हिंदी फिल्मों ने महिलाओं के हर रूप को दिखाया है. फिल्मों की एक्ट्रेस सिर्फ अबला नारी के तौर पर नजर नहीं आती है, बल्कि वो अन्याय और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाना भी जानती है. वो अपने और अपनों की आत्मसम्मान के लिए लड़ना जानती है. खास कर अधिकारों की बात हो तो, महिला अपने, समाज और दुनिया से संघर्ष करने में भी पीछे नहीं हटती है. फिल्मों ने नारी के इस संघर्ष को बखूबी दिखाया है. खासतौर पर समय के साथ बदलती समस्याओं को फोकस कर फिल्मों का निर्माण किया गया है. फिर चाहें वो समस्या घरेलू हिंसा की हो या फिर आज के दौर में करियर बनाने के लिए महिलाओं की संघर्ष की. कला से लेकर कहानी तक और मदर इंडिया से लेकर बैडिंट क्वीन तक, हिंदी सिनेमा ने हर उस बदलते दौर को दिखाया है जिससे महिलाएं गुजरती आ रही है.
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