दशकों से हिंदी सिनेमा देश और समाज का आईना दिखाते आ रहा है. हमें फिल्मों में वैसा ही देखने को मिलता है, जैसा समाज में घटित होता है. हिंदी फिल्मों ने महिलाओं के हर रूप को दिखाया है. फिल्मों की एक्ट्रेस सिर्फ अबला नारी के तौर पर नजर नहीं आती है, बल्कि वो अन्याय और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाना भी जानती है. वो अपने और अपनों की आत्मसम्मान के लिए लड़ना जानती है. खास कर अधिकारों की बात हो तो, महिला अपने, समाज और दुनिया से संघर्ष करने में भी पीछे नहीं हटती है. फिल्मों ने नारी के इस संघर्ष को बखूबी दिखाया है. खासतौर पर समय के साथ बदलती समस्याओं को फोकस कर फिल्मों का निर्माण किया गया है. फिर चाहें वो समस्या घरेलू हिंसा की हो या फिर आज के दौर में करियर बनाने के लिए महिलाओं की संघर्ष की. कला से लेकर कहानी तक और मदर इंडिया से लेकर बैडिंट क्वीन तक, हिंदी सिनेमा ने हर उस बदलते दौर को दिखाया है जिससे महिलाएं गुजरती आ रही है.

<div class="paragraphs"><p>(फोटोः ट्विटर)</p></div>

कलाः अन्विता दत्ता की फिल्म कला जिसमें कला के गाने-जीने की हक को कुचले जाने के खिलाफ गुस्से का इजहार है. कला' के जरिए औरत और मर्द के बीच फर्क करने वाली सोच, लड़कों को हर तरह की छूट देकर लड़की की ख्वाहिशों को सामाजिक और निजी सलाखों के पीछे धकेल देने की फितरत को भाई-बहन की ऐसी संगीतमय कहानी के जरिए पेश किया गया है. कला की मां उसे संगीत का वरदान नहीं देना चाहती क्योंकि उसके लिए लड़के विरासत संभालते हैं, लड़कियां नहीं. कला का विरोध वहीं से शुरू होता है. इसके बाद खुद को संगीत की दुनिया में जमाने के लिए वो दुनिया और घरवालों से लड़ती है. जब पेशा चुनने का प्राकृतिक हक अपने आप नहीं मिलेगा, तो उसे छीनने का तरीका भी कला या उसकी जैसी लड़कियां खुद तय करेंगी.

(फोटोः ट्विटर)

गंगूबाई काठियावाड़ी: फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी की कहानी कमाठीपुरा की गंगूबाई की जिंदगी पर आधारित है, जिसे कभी उसके पति ने मात्र 1000 रुपये में बेच दिया था और फिर वह सेक्स वर्कर बन गई थी. फिल्म में गंगूबाई का किरदार आलिया भट्ट ने निभाया है. गंगूबाई सेक्स वर्कर्स को समाज में इज्जत दिलवाने, उनके बच्चों को शिक्षा का अधिकार और अपने कानूनी अधिकारों के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ती है. इसके लिए वो देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से भी जा मिलती है.

(फोटोःट्विटर)

थप्पड़ः साल 2020 में अनुभव सिन्हा के निर्देशन में बनी फिल्म 'थप्पड़' शादीशुदा महिला और उसके अधिकारों के ऊपर आधारित है. फिल्म में अमृता अपने पति के साथ खुशी-खुशी रहती है, लेकिन एक दिन पार्टी में उसका पति सबके सामने उसे थप्पड़ मार देता है. इसके बाद अमृता अपने आत्मसम्मान की लड़ाई लड़ती है. इस फिल्म में तापसी पन्नू, पवैल गुलाटी, माया सराओ और दिया मिर्जा मुख्य भूमिकाओं में हैं.

(फोटोःयूट्यूब)

पैडमैनः आर. बल्की की फिल्म 'पैडमैन' महिलाओं की मूलभूत आवश्यकता सेनेटरी पैड के ऊपर आधारित है. फिल्म में लक्ष्मीकान्त की कहानी है, जो माहवारी के दौरान अपनी पत्नी को गंदे कपड़े का इस्तेमाल करते देख परेशान हो जाता है. इसके बाद वो सस्ते सेनेटरी पैड बनाने में लग जाता है और समाज में जागरूकता फैलाता है. इस फिल्म में अक्षय कुमार, राधिका आप्टे और सोनम कपूर मुख्य भूमिकाओं में हैं.

(फोटोः ट्विटर)

पिंकः अनिरुद्ध रॉय चौधरी के निर्देशन में बनी फिल्म 'पिंक' महिलाओं के साथ छेड़छाड़ के ऊपर आधारित है. फिल्म में एक राजनेता के भतीजे द्वारा छेड़छाड़ किए जाने के बाद मीनल पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराती है. इस दौरान मीनल को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसमें मीनल की मदद रिटायर्ड वकील दीपक करते हैं. इस फिल्म में तापसी पन्नू, अमिताभ बच्चन और कृति कुलकर्णी मुख्य भूमिकाओं में हैं.

(फोटोः ट्विटर)

मैरी कॉमः ओमंग कुमार की फिल्म 'मैरी कॉम' महिला मुक्केबाज मैरी कॉम के जीवन पर आधारित है. फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह इस समाज में एक लड़की को अपने सपने पूरे करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है. मैरी कॉम को भी मुक्केबाज बनने के दौरान कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा था. इस फिल्म में प्रियंका चोपड़ा, दर्शन कुमार, सुनील थापा और जैकरी कॉफिन मुख्य भूमिकाओं में हैं.

(फोटोः ट्विटर)

क्वीनः फिल्म की कहानी रानी नाम की एक ऐसी लड़की पर आधारित थी जिसका घरेलू होना ही उसके लिए अभिशाप बन जाता है और उसका मंगेतर शादी से ठीक पहले शादी तोड़ देता है. ऐसे में कैसे लड़की और उसका परिवार स्ट्रगल करता है. इस फिल्म में रानी की किरदार कंगना रनौत ने निभाया है. और विजय का किरदार राजकुमार राव ने निभाया था. रानी, जो कि स्मॉल टाउन गर्ल होती है, जो शादी टूटने की खबर से पूरी तरह टूट जाती है. लेकिन फिर वो खुद अपने पैरों पर खड़े होने का फैसला करती है. इसके बाद वो अकेले ही हनीमून पर जाने का फैसला कर लेती है. अपने सफर के दौरान रानी नए दोस्तों से मिलती है, दुनिया और जिंदगी की तलाश करती है. इसके बाद जब वो घर वापस लौटकर आती है तो, उसका नया रूप देखने को मिलता है.  दरअसल, हनीमून से लौटने के बाद रानी अपनी जिंदगी को अपनी शर्तों और तरीकों से जीती है.

(फोटोः ट्विटर)

मॉमः फिल्म  मॉम आधुनिक मां के संघर्ष को दिखाने वाली कहानी है. इस फिल्म में एक मां अपनी बेटी के रेप और हत्या का बदला लेने के लिए संघर्ष करती है. ये सब कुछ तब होता है, जब कानून उसकी मदद करने से इंकार कर देता है. इस फिल्म में दिवंगत अभिनेत्री श्रीदेवी ने एक सामान्य मां की भूमिका निभाई थी जो बाद में न्याय दिलाने के लिए सख्त होकर दुनिया से लड़ती है.

(फोटोः ट्विटर)

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कहानीः सुजॉय घोष की फिल्म 'कहानी' साल 2012 में रिलीज हुई. ये फिल्म एक ऐसी सश्क्त महिला की कहानी पर आधारित है जो बड़ी ही हिम्मत और समझदारी से अपने पति की मौत का न सिर्फ बदला लेती है बल्कि सिस्टम में फैली गंदगी और अपने पति के अधूरे काम को भी पूरा करती है. इस फिल्म में विद्या बालन मुख्य भूमिका  में थी.

(फोटोः ट्विटर)

हाइवेः साल 2014 में रिलीज हुई फिल्म 'हाइवे' ने एक ऐसे मसले को उठाया जो अक्सर किसी से साझा करने में हिचकते हैं. बचपन में बच्चे शोषण का अर्थ नहीं समझते, ऐसे में कई बार आपके आस-पास के लोग उनकी मासूमियत का फायदा उठाने लगते हैं. हमारे समाज के इस बेहद काले सच को इम्तियाज अली बड़े पर्दे पर लेकर आए. इस फिल्म में आलिया भट्ट के अलावा रणदीप हुड्डा मुख्य भूमिका में थे.

(फोटोः ट्विटर)

नीरजाः एयर होस्टेस नीरजा भनोट की असल कहानी पर आधारित इस फिल्म का निर्देशक राम माधवानी है. फिल्म में नीरजा भनोट का किरदार सोनम कपूर ने निभाया था. ये फिल्म भी औरत की उस छुपी हुई ताकत की बात करती है जिसे अक्सर वो खुद ही नहीं समझ पाती.

(फोटोः ट्विटर)

इंग्लिश विंग्लिशः साल 2012 में आई दिवंगत अभिनेत्री श्रीदेवी की फिल्म 'इंग्लिश विंग्लिश' की भी जमकर तारीफ हुई थी. ये फिल्म एक ऐसी मां की कहानी पर आधारित है जो अपने एडवांस बच्चों से थोड़ा पिछड़ जाती है और श्रीदेवी के सामने सबसे बड़ा रोड़ा आता है इंग्लिश भाषा का. वो किस तरह अपनी इस अड़चन को पार पाती है ये कहानी इसी पर आधारित है.

(फोटोः ट्विटर)

चक दे इंडियाः बड़े पर्दे पर आई शाहरुख खान की ये फिल्‍म 2002 की कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स में भारतीय महिला हॉकी टीम को मिली गोल्‍डन जीत से प्रेरित है. जयदीप साहनी ने महिला हॉकी टीम पर कहानी लिखा और फिल्‍म को शमिती आमिन ने डायरेक्‍ट किया है. शाहरुख खान ने इस फिल्‍म में कोच कबीर खान की भूमिका निभाई है. ये फिल्‍म 15 अगस्‍त 2007 को फिल्‍म रिलीज हुई.

(फोटोः ट्विटर)

बैडिंट क्वीनः ये फिल्म भारतीय महिला डकैत फूलन देवी की जिंदगी पर आधारित है. इस फिल्म में फूलन देवी का किरदार सीमा बिस्वास ने निभाया था. फूलन देवी को साल 1983 में आत्मसमर्पण करने के बाद जेल भेज दिया गया था. लेकिन बाद में लोगों ने उन्हें अपना नेता मान लिया. ये फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है. इस फिल्म में फूलन का शोषण न सिर्फ उनका पति, बल्कि एक गांव और गुंडे तक करते हैं. लेकिन बाद में वो उन सभी का मुकाबला करती है और कामयाब भी होती है. इस फिल्म का निर्देशन शेखर कपूर ने किया था.

(फोटोःयूट्यूब)

दामिनी (1993): फिल्म दामिनी में मुख्य भूमिका ​मीनाक्षी शेषाद्रि ने निभाया था. इस फिल्म में ऐसी महिला के संघर्ष को दिखाया गया था, जिसकी शादी बेहद संपन्न परिवार में हो जाती है. दामिनी इस फिल्म में अपने देवर को घर की नौकरानी का रेप करते हुए देख लेती है. हालांकि, दामिनी का पूरा परिवार उसके खिलाफ हो जाता है. लेकिन इसके बावजूद अपने रास्ते पर टिकी रहती है और घर छोड़ देती है. इंसाफ पाने में दामिनी की मदद एक वकील करता है.

(फोटोःयूट्यूब)

मदर इंडिया (1957): मदर इंडिया भारतीय सिनेमा के शुरुआती और क्लासिक दौर की फिल्म है. ये महिलाओं को नई राह दिखाने वाली फिल्म थी. इस फिल्म में नरगिस गरीब किसान राधा के किरदार में नजर आई थी. राधा अपने दो बेटों को बड़ा करने के लिए पूरी दुनिया से लड़ जाती है. गांव वाले उसे न्याय और सत्य की देवी की तरह देखते हैं. यहां तक कि अपने सिद्धांतों पर अडिग रहते हुए वो अपने विद्रोही बेटे को गोली तक मार देती है.

(फोटोःयूट्यूब)

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