Home Photos Bonbibi Puja: सुंदरबन में आदिवासी करते हैं मां बोनबीबी की पूजा, जानें खासियत
Bonbibi Puja: सुंदरबन में आदिवासी करते हैं मां बोनबीबी की पूजा, जानें खासियत
प्रत्येक घर में बोनबीबी की पूजा आम तौर पर 3-4 घंटे तक चलती है.
रितायन मुखर्जी
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Bonbibi Puja: सुंदरबन में आदिवासी करते हैं मां बोनबीबी की पूजा, जानें खासियत
(फोटो: रितायन मुखर्जी)
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पश्चिम बंगाल (West Bengal) में मां बोनबीबी की पूजा की जाती है. हर साल माघ महीने के पहले दिन ये पूजा की जाती है और यहां रहनेवाले ग्रामीण मां बोनबीबी से अपनी रक्षा की कामना करते हैं. इस दिन गांवों में पाठ किया जाता है. इसके साथ, सूजी से बना हलवा और पारंपरिक मिठाई, फल और मुरमुरे की प्रसाद दी जाती है. चलिए तस्वीरें देखते हैं कैसे की जाती है ये पूजा...
पश्चिम बंगाल के रजत जुबली गांव में बोनबीबी पूजा की तैयारी में जुटी हुईं एक वनवासी परिवार की महिलाएं.
(फोटो: रितायन मुखर्जी)
जो लोग सुंदरबन में रहते हैं, वे खतरनाक इलाके में अपनी सुरक्षा के लिए बोनबीबी की पूजा करते हैं. हर साल, ग्रामीण बोनबीबी को मनाने के लिए माघ महीने के पहले दिन पूजा करते हैं.
(फोटो: रितायन मुखर्जी)
बोनबीबी जोहुरानामा की हार्ड कॉपी - जो ऐतिहासिक शख्सियतों के बारे में बताती है. किताब फारसी, अरबी, उर्दू, बंगाली और आम भाषा के शब्दों को मिलाकर लिखी गई है.
(फोटो: रितायन मुखर्जी)
रीति-रिवाजों के तहत, रसोइये सूजी का हलवा तैयार करते हैं. यह एक प्रकार का मीठा व्यंजन है जिसे सूजी को तेल या घी में भूनकर और फिर गुड़ पाउडर, चीनी की चाशनी या शहद जैसे स्वीटनर मिलाकर तैयार किया जाता है.
(फोटो: रितायन मुखर्जी)
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उत्सव में स्थानीय संगीतकारों द्वारा संगीत बजाया जाता है. इस तस्वीर में एक कलाकार ढोल बजाने का इंतजार करता हुआ.
(फोटो: रितायन मुखर्जी)
शांति से सोता हुआ कुत्ता वहीं, श्रद्धालु बोनबीबी की पूजा करने में व्यस्त होते हैं. प्रत्येक घर में पूजा आम तौर पर 3-4 घंटे तक चलती है.
(फोटो: रितायन मुखर्जी)
परिवार के बुजुर्ग सदस्य बोनबीबी जोहुरानामा का पाठ पढ़कर सुनाते हुए.
(फोटो: रितायन मुखर्जी)
पूजा करने के बाद, एक श्रद्धालु महिला प्रसाद ले जाती हुंई. प्रसाद में पारंपरिक मिठाइयां, फल और मुरमुरे होते हैं.