World Cancer Day 2023: कैंसर जैसी भयानक बीमारी न सिर्फ बड़ों में देखी जाती है बल्कि कई बार बच्चों में भी देखने को मिलती है. हालांकि बच्चों में होने वाले कैंसर के ठीक होने की संभावना बड़ों के मुकाबले कही अधिक होती है. कैंसर जैसे जानलेवा बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है.

फिट हिंदी ने बच्चों में होने वाले कैंसर के कारण, लक्षण और इलाज के बारे में डॉ. सत्य प्रकाश यादव, निदेशक - पीडियाट्रिक, हेमेटो ऑन्कोलॉजी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट, कैंसर इंस्टीट्यूट, मेदांता हॉस्पिटल, गुरुग्राम से बात की.

ल्यूकेमिया (Leukemia)- यह बच्चों में सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है, जिसे ब्लड कैंसर भी कहा जाता है. ल्यूकेमिया विभिन्न प्रकार के लक्षण पैदा कर सकता है जैसे कि बुखार, वजन घटना, पीला रंग, थकान, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, खून बहना या चोट लगना. एक्यूट ल्यूकेमिया तेजी से फैलता है, इसलिए इसका जल्द से जल्द निदान और उपचार करना आवश्यक है. ल्यूकेमिया के इलाज के लिए कीमोथेरेपी, टार्गेटिड थेरेपी, बोन मेरो ट्रांसप्लांट, इम्यूनोथेरेपी और सीएआर टी सेल थेरेपी जैसे उपचारों का उपयोग किया जाता है.

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ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड कैंसर(Brain and Spinal cord Tumor)- यह बच्चों में होने वाला कैंसर का दूसरा सबसे आम रूप है. ये सेरिबैलम या ब्रेन स्टेम सहित मस्तिष्क के निचले क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं, जहां अधिकांश बच्चों के ब्रेन ट्यूमर पहले विकसित होते हैं. इसके लक्षणों में  सिरदर्द, मतली, उल्टी, चक्कर आना, धुंधली या दोहरी दृष्टि, दौरे, चलने में या वस्तुओं को संभालने में कठिनाई होना शामिल हैं. इसका इलाज सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी और टार्गेटिड थेरेपी हैं.

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रेटिनोब्लास्टोमा (Retinoblastoma)- 

रेटिनोब्लास्टोमा आंख का कैंसर है. इसमें आंख की पुतली पर रोशनी देने पर (डॉक्टर द्वारा)  बीच का काला धब्बा सामान्य लाल रंग के बजाय सफेद या गुलाबी दिखाई दे सकता है. इसके लिए सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और लेजर थेरेपी इलाज के रूप हैं. दूसरा विकल्प कीमोथेरेपी है और तीसरा क्रायोथेरेपी, जिसमें सेल्स को फ्रीज करके कैंसर का इलाज किया जाता है.

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नॉन हॉजकिन लिंफोमा (Non-Hodgkin’s lymphoma)- नॉन हॉजकिन लिंफोमा बच्चों में अधिक आम है और यह शरीर में कहीं भी दिखाई दे सकता है. कमर, बगल या गले में गांठ, बुखार और पसीना आना इसके सामान्य लक्षण हैं. इलाज में कीमोथेरेपी, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट, रेडिएशन, इम्यूनोथेरेपी, टार्गेटेड थेरेपी और सीएआर टी सेल थेरेपी शामिल हो सकते हैं.

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विल्म्स ट्यूमर (WILMS TUMOR)- विल्म्स ट्यूमर एक प्रकार का बच्चों में होने वाला किडनी कैंसर है, जिसे नेफ्रोबलास्टोमा भी कहा जाता है. विल्म्स ट्यूमर संभावित रूप से कुछ जन्म असामान्यताओं से जुड़ा हो सकता है. इसका इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी से किया जाता है. फूला हुआ पेट इस स्थिति का संकेत है. दूसरे लक्षणों में बुखार, जी मचलना और भूख न लगना शामिल हैं. साथ ही पेशाब में खून आना या कब्ज होना.

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ओस्टियोसारकोमा (Osteosarcoma)- ओस्टियोसारकोमा किशोरों में सबसे आम है और आमतौर पर उन क्षेत्रों में विकसित होता है, जहां हड्डी तेजी से बढ़ रही होती है, जैसे पैर या हाथ की हड्डियों के सिरों के पास. यह अक्सर हड्डी के दर्द का कारण बनता है, जो रात में या फिजिकल एक्टिविटी करने पर बढ़ जाता है. यह हड्डी के आसपास की जगहों में सूजन भी पैदा कर सकता है. ओस्टियोसारकोमा के लिए सर्जरी और कीमोथेरेपी उपचार हैं.

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न्यूरोब्लास्टोमा (Neuroblastoma)- 

यह एम्ब्र्यो और फीटस के नर्व सेल्स में पाया जाता है.  इस प्रकार का कैंसर शिशुओं और छोटे बच्चों में विकसित होता है. यह 10 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों में बहुत कम देखा जाता है. यह आमतौर पर पेट में शुरू होता है, जिससे पेट में सूजन रहती है. हड्डियों में दर्द और बुखार जैसे लक्षण भी पैदा कर सकता है. इलाज में सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी शामिल हैं. कुछ मामलों में ऑटोलॉगस स्टेम सेल ट्रांसप्लांट एक विकल्प है. कई बार डॉक्टर रेटिनोइड्स नामक रसायनों के साथ इलाज का सुझाव भी दे सकते हैं.

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रबडोमायोसरकोमा (Rhabdomyosarcoma)- रबडोमायोसरकोमा सेल्स में शुरू होता है, जो मांसपेशियों को जन्म देती हैं. ये कैंसर शरीर के किसी भी भाग में हो सकता है जैसे कि सिर, गर्दन, क्रॉच, पेट, हाथ या पैर. इसकी वजह से दर्द और सूजन (एक गांठ) हो सकता है. रबडोमायोसारकोमा के इलाज में रेडिएशन, कीमोथेरेपी, सर्जरी, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट और कीमोथेरेपी शामिल हैं.

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