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Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Podcast Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019उर्दू शायरी की संगत, ‘तन्हाई’ की एकमात्र दवाई 

उर्दू शायरी की संगत, ‘तन्हाई’ की एकमात्र दवाई 

उर्दूनामा के इस एपिसोड में हम ‘तन्हा’ शब्द के हवाले से उर्दू कविता में अकेलेपन के विषय को समझेंगे

फ़बेहा सय्यद
पॉडकास्ट
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इस एपिसोड में हम ‘तन्हा’ शब्द के हवाले से उर्दू कविता में अकेलेपन के विषय को समझेंगे.
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इस एपिसोड में हम ‘तन्हा’ शब्द के हवाले से उर्दू कविता में अकेलेपन के विषय को समझेंगे.
(फोटो: अरूप मिश्रा/क्विंट हिंदी)

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'तन्हाई' का विषय उर्दू शायरी में महबूब से दूरी के हवाले से ज्यादा इस्तेमाल किया है. शायर और उसके महबूब के बीच के फासले को दरअसल 'हिज्र' कहते हैं, और जब फासला खत्म हो जाता है तो उस यूनियन को 'वस्ल' कहते हैं.

महबूब के साथ फासला ही है जो 'तन्हाई' बन के बार-बार चुभता रहता है. परवीन शाकिर की ये ग़ज़ल इस बात की एक बेहतरीन मिसाल है:

पूरा दुख और आधा चांद

हिज्र की शब और ऐसा चांद

दिन में वहशत बहल गई

रात हुई और निकला चांद

किस मक़्तल से गुज़रा होगा

इतना सहमा सहमा चाँद

यादों की आबाद गली में

घूम रहा है तन्हा चांद

मेरी करवट पर जाग उठ्ठे

नींद का कितना कच्चा चांद

इतने घने बादल के पीछे

कितना तन्हा होगा चांद

उर्दूनामा के इस एपिसोड में जानिए उर्दू शायरी में 'तन्हाई' के थीम के बारे में.

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