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ईरान में हिजाब (Iran Hijab Protest) पर हल्ला मचा है. बड़ी संख्या में महिलाएं सड़कों पर उतर आई हैं, हिजाब जला रही हैं और बाल कटवा रही हैं. अब तक 30 से ज्यादा प्रदर्शनाकारियों की मौत की खबर है. आपको याद होगा कुछ वक्त पहले भारत के कई हिस्सों में भी हिजाब पर हल्ला मचा था. हमारे देश में भी कई कॉलेजों में लड़कियां हिजाब को लेकर प्रदर्शन कर रही थीं. अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है, और कई लड़कियों का कॉलेज फिलहाल छूट गया है.
ईरान और भारत दोनों देशों में महिलाएं हिजाब को लेकर प्रदर्शन कर रही हैं. लेकिन इसमें एक फर्क है...ईरान की महिलाएं हिजाब ना पहनने के लिए सड़कों पर उतरी हैं और भारत की महिलाएं हिजाब पहनने के लिए कॉलेज छोड़ने को तैयार हैं.
करीब दो हफ्ते पहले महसा अमीनी जिन्हें उनके घरवाले जीना के नाम से भी पुकारते थे, अपने परिवार के साथ कुर्दिस्तान से तेहरान आई थीं. लेकिन उन्हें ईरान की पुलिस ने हिजाब लॉ को तोड़ने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. ये करीब दो हफ्ते पहले की बात है.
22 साल की महसा अमीनी की गिरफ्तारी के तीन दिन बाद पुलिस कस्टडी में मौत हो गई. जिसके बाद ईरान पुलिस ने एक स्टेटमेंट जारी कर कहा कि, अमीनी की मौत एक हार्ट अटैक के कारण हुई है जो हिजाब की ट्रेनिंग लेते वक्त मोरालिटी पुलिस की कस्टडी में उन्हें आया था. लेकिन महसा अमीनी के परिवार ने इस बात को नकार दिया और कहा कि जब उन्हें हिरासत में लिया गया तब वो एकदम फिट थीं.
इसके बाद महसा अमीनी की मौत ईरान में नेशनल मुद्दा बन गई और उन लोगों को बाहर सड़कों पर लाकर खड़ा कर दिया जो लंबे वक्त से सख्त इस्लामिक कानूनों का विरोध कर रहे हैं. धीरे-धीरे ईरान के कई शहरों में ये प्रदर्शन फैल गये और हिजाब का विरोध होने लगा. कई महिलाओं ने अपने हिजाब उतारकर जला दिये और विरोध में बाल भी कटवा लिये.
भारत में हिजाब पर विवाद 31 दिसंबर 2021 से शुरू हुआ, जब कर्नाटक के एक स्कूल में हिजाब पहनकर आई 6 छात्राओं को क्लास में जाने से रोक दिया गया. इसके बाद उन लड़कियों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया. उसके बाद धीरे-धीरे ये विवाद पूरे देश में फैल गया. कर्नाटक सरकार ने इसके पीछे तर्क दिया कि राज्य में लड़कियों के लिए एक ड्रेस कोड है, जिसे पहनकर ही स्कूल-कॉलेज में आया जा सकता है. जबकि प्रदर्शनकारी लड़कियों का कहना है कि वो तो पहले से ही हिजाब पहनकर आ रही हैं तो अब क्यों रोका जा रहा है. साथ ही उनका एक तर्क ये भी है कि संविधान में अपने धर्म को मानने की और उसके हिसाब से रहने की स्वतंत्रता दी गई है तो फिर उन्हें हिजाब पहनने से क्यों रोका जा रहा है.
इसके बाद तो देश में बहस छिड़ गई कि हिजाब पहनना चाहिए या नहीं, लड़कियां हिजाब ही क्यों पहनना चाहती हैं. बहरहाल मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है और अदालत ने मैराथन सुनवाई करके फैसला सुरक्षित रख लिया है.
सर्वोच्च अदालत जो भी फैसला देगी, वो सबको मान्य होगा. यही दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का तकाजा है. और यही बेहतर तरीका है.
लेकिन ईरान और भारत के प्रदर्शनों में हिजाब के अलावा भी कुछ कॉमन है और वो है, महिलाओं के अधिकार. एक तरफ महिलाओं को बताया जा रहा है कि आपको क्या पहनना है. दूसरी तरफ समझाया जा रहा है कि आपको क्या नहीं पहनना है. तरीके, भाषा और कानून अलग हो सकते हैं लेकिन सवाल एक ही है कि...जिसे पहनना है उसके अधिकार का क्या? ये कोई और क्यों तय करे कि एक लड़की क्या पहनेगी और क्या नहीं.
एक सवाल मर्दों को भी सोचनी चाहिए कि क्या अपनी मर्जी चलाने वाली लड़कियों से आपको कोफ्त होती है? अगर हां तो बॉस...ईरान हो या भारत हम सब एक ही हैं...पितृसत्तात्मक समाज के गिरगिट.
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