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इस बार हमको ईद मुबारक का मैसेज पोस्ट करने से पहले सोचियेगा कि क्या आप सच में हमारी खुशी और गम में हमारे साथ हैं ? अगर ऐसा नहीं है तो औपचारिकता में मत भेजिएगा, लगभग सभी लोग सोशल मीडिया पर पोस्ट कर ही देते हैं.
इस बार ऐसा करने से पहले खुद से पूछियेगा कि क्या मुसलमानों को बदनाम करने वाले मैसेज और विडियो जो आपने लाइक , कमेंट और शेयर किये हैं , ऐसा करने से पहले क्या आपने एक बार भी सोचा कि क्या ये मैसेज और विडियो विश्वसनीय हैं? क्या लाइक और शेयर करने से पहले आपने इसकी विश्वसनीयता की जांच करना जरूरी समझा ?
हो सकता है के आपकी अंतरात्मा ने आपको सचेत किया हो, मगर मुसलमानों के प्रति जो प्रचार संस्थागत तरीके से चारों तरफ स्थापित करा जा चुका है- ( अगर इनको कठोरता से नियंत्रित करके नहीं रखा गया, तो ये भारत में हिन्दुओं के लिए बहुत बड़ा खतरा बन जाएंगे"), उसने आपकी चेतना को काफी ज्यादा काबू में कर रखा है.
क्या आपने अपने मुसलमान भाई बहनों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति जानने का कोई प्रयास किया कभी ? तकरीबन 80 प्रतिशत से अधिक समाज के हाशिये पर हैं, इनकी स्थिति अब, सदियों से शोषित दलितों से भी बद्तर है, दलित और मुसलमानों की बदहाली की बात इसी बीजेपी सरकार की वरिष्ठ नेता और मंत्री रहीं उमा भारती जी सार्वजनिक वक्तव्य में कह चुकी हैं, जो बाबरी मस्जिद विध्वंस में अभियुक्त हैं.
मगर अभी शायद करोना और आर्थिक मंदी से ज्यादा खतरा भूखे नंगे मुसलमानों से है, जो कि सोशल मीडिया और पारंपरिक मीडिया के मुताबिक हिन्दू अस्तित्व के लिए कहीं ज्यादा ही बड़ा खतरा हैं, मानो ये रोजाना की दाल रोटी का संघर्ष छोड़कर दिन रात सिर्फ जिहाद की रणनीति में लगे हों.
"तबलीगी जमात द्वारा कोरोना वायरस जान बूझकर फैलाया जा रहा है" इस प्रचार का हिस्सा बनने से पहले क्या आपने एक बार भी सोचा ? वैसे तबलीगी जमात तो प्रचार का मुखौटा भर था निशाने पर तो भारत का मुसलमान था और वो भी गरीब मुसलमान जो कॉलोनियों में भाजी फल बेचता हुआ बर्बरता से पीटा गया या फिर रास्ते में लिंच तक कर दिया गया, और ये सिलसिला बढ़ता ही दिख रहा है.
खैर छोड़िये तर्क पर रहते हैं, क्या आपने ये जानने का प्रयास किया के, संक्रमण से उत्पन्न और किन किन गंभीर रोग से देश में प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में लोग मर जाते हैं ? जी टीबी या तपेदिक से प्रतिदिन लगभग 1400 मृत्यु होती है, ये दशकों से बहुत गंभीर और तेजी से संक्रमित होने वाला रोग है, मगर हमने कभी भी ये जानने का प्रयास नहीं किया के कौन सा समुदाय टीबी के संक्रमण का दोषी है, ऐसा जानने का प्रयास करना या ऐसी बात प्रकाशित करना शायद मानवता और नैतिकता के विरुद्ध होगा, और होना भी चाहिए.
हमारे देश के अनगिनत चाल, झुग्गी झोपड़ी, और संकीर्ण आवासीय परिसरों में जिसमें जीवन का स्तर लगभग अमानवीय है, इन जगहों पर संक्रमण की बीमारियां सबसे अधिक फलती फूलती हैं, हर साल जापानी बुखार या जैपनीज एन्सिफेलिटिस का कहर पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के छेत्र में बुरी तरह फूटता है, इसी तरह लीची के मौसम में एक रहस्मय बुखार के प्रकोप से सैकड़ों जाने चली जाती हैं. इन रोगों का संक्रमण अधिकतर गरीब आबादी के छेत्रों में ही होता है.
HIV /एड्स से संक्रमित देशों में विश्व में हमारा तीसरा स्थान है, 2017 के आंकड़ों अनुसार भारत में ड्स के 20 लाख से ज्यादा मरीज हैं, हमारे डेढ़ लाख लोग हर साल हेपेटाइटिस के संक्रमण से मर जाते हैं, और लगभग 5 करोड़ से अधिक लोग पिछले साल तक हेपेटाइटिस से संक्रमित हो चुके हैं.
संक्रमण से उत्पन्न रोगों और उनसे होने वाली छति की काफी लम्बी सूची बन सकती है. बहरहाल तबलीगी जमात के कारण कोरोना वायरस संक्रमण की बात को हम अधिकतम लापरवाही तो कह सकते हैं. मगर जान बूझकर संक्रमण या रोग को फैलाने वाली बात सरासर बेहूदा ही है, दुनिया का कोई भी रोगी अपना रोग जानबूझकर फैला ही नहीं सकता क्योंकि वो सिर्फ अपने रोग की पीड़ा से मुक्त होना चाहता है, जो की हर एक इंसान के लिए स्वाभाविक है.
सरकार का काम है कि वो जनता को संक्रमण के प्रति जागरूक करे, विश्वास पैदा करे और भ्रान्तियों को दूर करे ना कि रोगियों के प्रति होने वाले दुष्प्रचार का हिस्सा स्वयं ही बन जाये, और उनकी रोग ग्रसित होने की पीड़ा और मुसीबत को और भी अधिक बढ़ा दे, जो कि सरकार ने करने में देर कर दी, और इसके परिणाम सबके सामने हैं.
क्या आप सच में भारत के मुसलमानों को सबके बराबर का अधिकार देने के पक्ष में हैं ? अगर ऐसा है तो क्या गलत था, जब लोग धार्मिक आधार पर किये गए सविंधान संशोधन का विरोध कर रहे थे ? हमारा सविंधान बिना किसी भेदभाव के सबको बराबर अधिकार और न्याय देने के लिए वचनबद्ध तो है ना ? धर्म को आधार बनाकर भेदभाव ना किया जाए, और देश का संविधान समस्त देशवासियों के लिए अक्षरशः लागू हो इसी बात का प्रदर्शन ही तो हो रहा था, आप इसमें साथ क्यों नहीं खड़े हुए ?
सिर्फ किसी एक समुदाय के लिए किसी विशेष व्यवस्था की तो कोई भी मांग नहीं कर रहा था, देश के सभी वासियों को बिना किसी भेदभाव के बराबर अधिकार मिले इस बात का तो आपको स्वागत करना चाहिए.
देश में कोई प्रताड़ित व्यक्ति चाहे वो किसी भी समुदाय का हो क्या उसको नागरिकता देने का किसी ने कभी भी विरोध किया है ? क्या ऐसे जनमानस को नागरिकता देने के लिए सविंधान में पर्याप्त प्रावधान नहीं है ? इन सब सवालों का जवाब आपको स्वयं ही खोजना चाहिए.
अब रही बात अवैध रूप से देश में रह रहे लोगों की, हमारे देश में काफी मजबूत, विस्तृत और सक्षम खुफिया तंत्र है, जो की वर्षों से बहुत ही कुशलता से अपना काम करता है, इस विस्तृत तंत्र में पुलिस विभाग, मुखबिर तंत्र वगैरह सुचारु रूप से काम करते हैं, और उनके लिए अनधिकृत लोगों को ढूंढ़ना बिलकुल संभव है, ऐसी विस्तृत और सक्षम व्यवस्था के रहते क्या आपको सही लगता है कि अनधिकृत व्यक्तियों को खोजने के लिए देश के हर व्यक्ति की नागरिकता की जघन्य जांच की जाए? और फिर एक ऐसा कानून जो एक समुदाय को छोड़कर बाकी सबकी नागरिकता की रक्षा कर सके इसमें अगर आपको भेदभाव नहीं नजर आता तो आप समझ लीजिए कि उस समुदाय के प्रति सिर्फ दुष्प्रचार और नफरत ही है, जो आपके भीतर तक जगह बना चुकी है, अब अगर ऐसा है तो इन लोगों को आप ईद मुबारक का मैसेज सोशल मीडिया पर क्यों पोस्ट करना चाहते हैं ? क्या ये दोगलापन नहीं है ?
अब विडंबना ये भी है के इन लोगों के साथ आपने अपना जीवन भी बिताया है और साथ में सब कुछ अच्छा बुरा देखा है, और ये भी सच है के इस देश की विविधता और भाईचारा ही हम सबको प्रगति की रह पर ले जा सकता है, इसके लिए देश के बहुसंख्यकों को अल्पसंखयकों के अधिकार की रक्षा करना ही पड़ेगा, और सबको मिलकर देश के गरीब, मज़दूर, दलित, आदिवासी, महिला और तमाम कुचले वर्ग के अधिकारों को सुनिश्चित करना ही पड़ेगा, और ऐसा तब ही संभव है जब हम हमारी सरकार से देश का संविधान जमीनी स्तर पर अक्षरशः लागू करवाने के लिए आवाज उठायें.
देश वासियों को ईद मुबारक ! ईद हमारे देश का पर्व है, ये सौहार्द और भाईचारे का पर्व है, ये हम सबको कटुता मिटाकर गले लगाना सिखाता है, हमारे देश की विविधता में एकता बनी रहेगी तो प्रत्येक दिन ईद ही है.
(लेखक एक इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया प्रैक्टिशनर, डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर और नेशनल जियोग्राफिक, बीबीसी समेत कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों के साथ काम कर चुके टीवी प्रोड्यूसर हैं।)
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