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Nupur Sharma को धमकी देने वाले सलमान चिश्ती का दरगाह कनेक्शन और परिवार का इतिहास

सलमान चिश्ती का परिवार ही अजमेर की दरगाह पर जायरीन को चादर चढ़वाता है. सलमान का क्रिमिनल बैकग्राउंड भी है.

पंकज सोनी
ब्लॉग
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<div class="paragraphs"><p>दरगाह में जियारत करने वाले जायरीन करोड़ों रुपया खादिम को भेंट करते हैं.</p></div>
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दरगाह में जियारत करने वाले जायरीन करोड़ों रुपया खादिम को भेंट करते हैं.

Image-Social Media

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उदयपुर में तालिबानी (Udaipur Killing) तरीके से हत्या कर वीडियो वायरल की घटना ने देश भर को हिला कर रख दिया है. इस मामले में जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है इस घटना का अजमेर कनेक्शन भी सामने आ रहा है. कनेक्शन के मुख्य नाम विश्व प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के आस-पास तक जा रहे हैं. इसके चलते दरगाह की सुरक्षा और यहां आने वाले बेहिसाब पैसे का हिसाब रखे जाने की मांग भी उठने लगी है. दरगाह में जियारत करने वाले जायरीन करोड़ों रुपया खादिम को भेंट करते हैं. आश्चर्यजनक बात यह कि वीआईपी मूवमेंट और देश-विदेश से यहां जायरीनों आना-जाना रहता है जिन्हें केवल खादिम ही जियारत करवा सकते हैं.

अभी तक अजमेर में नूपुर शर्मा के खिलाफ आपत्तिजनक वीडियो जारी करने, आपत्तिजनक नारे लगाने में दरगाह के खादिम गौहर चिश्ती और सलमान चिश्ती के नाम सामने आए थे. सलमान के खिलाफ तो थाने में 12 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं. पुलिस के मुताबिक यह दरगाह थाना इलाके का हिस्ट्रीशीटर भी है. बावजूद इसके भी सलमान को दरगाह के संबंध में वह सारे अधिकार मिले हुए हैं जो एक खादिम को होनी चाहिए.

उदयपुर घटना के मुख्य आरोपी कन्हैयालाल हत्याकांड मामले को लेकर एनआईए की टीम उदयपुर में है. टीम लगातार उदयपुर हत्याकांड के मुख्य आरोपी रियाज अत्तारी, गौस मोहम्मद समेत सभी गिरफ्तार आरोपियों से संबंधित जानकारियां जुटा रही. ये सभी कार्रवाई आरोपियों से की जा रही पूछताछ के हिसाब से की जा रही है. एनआईए छोटी से छोटी सूचना या जानकारी को भी गंभीरता से ले रही है. रियाज और गौस के नेटवर्क से जुड़ी हर जानकारी को खंगाला जा रहा है.

वहीं टीम अजमेर से फरार हुए गौहर चिश्ती के बारे में पूछताछ कर सकती है. गौहर के 17 जून को उदयपुर आने और रियाज और गौस के साथ मुलाकात करने के जांच एजेंसी को पुख्ता सबूत मिले हैं. उदयपुर में उसने रियाज और गौस के अलावा किस-किस से मुलाकात की, इस बारे में भी पता किया जा रहा है. यानि जांच एजेंसियों को उदयपुर की आतंक पैदा करने वाली घटना का कनेक्शन अजमेर तक जाता दिखाई दे रहा है.

नूपुर शर्मा को लेकर भड़काऊ और विवादित वीडियो बनाकर उसे वायरल करने के मामले में गिरफ्तार हिस्ट्रीशीटर खादिम सलमान चिश्ती को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. सलमान चिश्ती का वीडियो वायरल हुआ था जिसमें उसने नूपुर शर्मा की गर्दन लाने वाले को ईनाम देने का ऐलान किया था.

आरोपी खादिम सलमान चिश्ती दरगाह थाने का हिस्ट्रीशीटर भी है और आदतन नशेड़ी भी है. हालांकि चिश्ती के परिवार वाले इस बात का दांवा कर रहे हैं कि उसकी दिमागी हालत ठीक नहीं है. पुलिस इस एंगल से भी मामले को देख रही है. सिर कलम करने पर अपना मकान देने का ऐलान करने वाले सलमान की अजमेर में दो प्रोपटी हैं.

इससे पहले भी सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह की सीढ़ियों पर खड़े होकर दरगाह के खादिम गौहर चिश्ती ने अपने साथियों के साथ मिलकर आपत्तिजनक नारेबाजी की थी और नूपुर शर्मा का सर कलम किए जाने संबंधी नारे लगाए थे. इस मामले में दरगाह पुलिस थाने में एक मुकदमा भी दर्ज हुआ जिसमें 4 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई लेकिन गौहर चिश्ती फरार होने में कामयाब हो गया.

ऐसा नहीं है कि अजमेर खादिम परिवार का अपराध से ताल्लुक रखने वाला यह पहला मामला हो. तीस साल पहले भी अजमेर ब्लैकमेल कांड के मामले में भी मुख्य अभियुक्त दरगाह से जुड़े परिवार से ही था. खादिमों के नाम से धार्मिक, सामाजिक रसूख तो मिलता ही है और पैसे के साथ राजनीतिक ताकत भी दिखाई देती है. 1992 में हुए ब्लैकमेल कांड के मुख्य आरोपियों में दो फारूक चिश्ती और नफीस भी चिश्ती परिवार से ताल्लुक रखते हैं. यह दोनों अभी जमानत पर जेल से बाहर हैं. अजमेर के चिश्ती परिवार के सदस्य ही ख्वाजा साहब की दरगाह में खादिम बनने का अधिकार रखते हैं. अभी अजमेर में दरगाह के आस-पास के करीब डेढ हजार मकान चिश्तियों के हैं और यह सब ही यहां खादिम हैं. अजमेर में खादिम विशेष रसूख रखते हैं.

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1800 खादिम सभी एक ही परिवार से रखते हैं ताल्लुक

सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में जियारत करवाने वाले खादिमों की संख्या 1800 के करीब है और यह सभी एक ही परिवार 'चिश्ती' से ताल्लुक रखते हैं. ऐतिहासिक तथ्यों में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन के साथ उनके दो भाइयों के भी 800 साल पहले अजमेर आना बताया गया है. इन दोनों के भाइयों का यही परिवार आज भी खादिम के रूप में दरगाह में अपनी सेवाएं दे रहा है. इन्हीं खादिमों का दरगाह में जियारत करवाने की छूट है.

जियारत के एवज में इन खादिमों को जो भी मिलता है यह उनका खुद का होता है लेकिन दरगाह में आने वाले चढ़ावे को भी इन परिवारों में बांटा जाता है. दरगाह में आने वाले चढ़ावा कितना होता है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जात सकता है कि कोर्ट में चढ़ावे को लेकर चले विवाद के बाद दरगाह दिवान को हर साल आने वाली राशि में से दो कराड़ रुपए सालाना दिया जाता है. कोर्ट ने 1993 में यह निर्णय किया था.

सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में आने वाले चढ़ावे के बंटवारे का दशकों तक विवाद चला. अगस्त 2014 में इस विवाद का हल कोर्ट के जरिए निकल सका. दरगाह दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन और खादिमों के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हो गया है. खादिम दरगाह दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन अली खां को 2 करोड़ रुपए सालाना देंगे. हालांकि दरगाह में आने वाले चढ़ावे की अकूत रकम में से यह हिस्सा कुछ भी नहीं है. दरगाह दीवान जैनुअल 1975 से यहां इस पद पर है.

राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की चादर भी खादिमों के बिना नहीं चढ़ सकती

दरगाह में जियारत करवाने का अधिकार खादिमों के पास माना जाता है. राष्ट्रपति हों या प्रधानमंत्री या फिर सीमा पार से जियारत करने आने वाले सभी के खादिम तय होते हैं. वो ही खादिम संबंधित व्यक्ति की जियारत करवाता है. बिना खादिम यहां जियारत नहीं की जा सकती है.

'सांप्रदायिक सद्भभावना की मिसाल है ख्वाजा की दरगाह'

अजमेर की दरगाह शरीफ दुनिया में सांप्रदायिक सद्भभावना की मिसाल है. खादिम परिवार में शामिल अफसान चिश्ती बताते हैं कि यहां हिन्दू सहित अन्य धर्म को मानने वाले बड़ी संख्या में आते हैं. इसलिए यहां पकाई जाने वाली देग यानि विशेष कढ़ाई की खासियत यह है कि इसमें केवल शाकाहारी भोजन ही पकाया जाता है.

यहां तक लहसुन और प्याज भी नहीं डाले जाते. देग में पकने वाली सामग्री निर्धारित है. इसकी बाकायदा दरगाह कमेटी में सूची उपलब्ध है. सूची के अनुसार देग में सामग्री डाली जाती है. यह प्रसाद मीठे चावल और खिचड़ी की तरह ही होता है. चिश्ती बताते हैं कि हर समुदाय में अलग—अलग तरीके के लोग होते हैं. अपराध को किसी समुदाय से जोड़ना ठीक नहीं है. अफसान चिश्ती ने बताया कि अंजुमन सैयदजागदान नाम की एक कमेटी है जो चिश्ती परिवार के आंतरिक मामलों पर नजर रखती है. उसे कई तरह के अधिकार हासिल हैं.

दरगाह की सुरक्षा CISF को देने की कई बार चर्चा

ख्वाजा साहब की दरगाह सुरक्षा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) या केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF ) तैनात किए जाने की मांग कई बार उठी है. दरगाह कमेटी (dargah committee) के अध्यक्ष पद से हाल ही में हटे अमीन पठान ने कई बार केन्द्र को इसे लेकर पत्र लिखा लेकिन खादिमों के दबाव में फैसला लागू नहीं सका.

पठान ने केन्द्र सरकार को अपने पत्र में कहा था कि दरगाह में अतिक्रमण बढ़ रहा है दूसरा सुरक्षा को लेकर भी हमेशा खतरा रहता है. लेकिन इस मांग पर अभी तक निर्णय नहीं हुआ. पठान का मानना है था कि सीआईएसएफ की तैनाती से दरगाह में अतिक्रमण होने से रुक सकेगा. उन्होंने कहा कि जो अतिक्रमण पहले से उन्हें हटाया जाना चाहिए. नया अतिक्रमण नहीं हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा दरगाह की सुरक्षा को लेकर भी यह एक गंभीर कदम होगा कि यहां केंद्रीय सुरक्षा बलों को तैनात किया जाए.

हर दिन 25 हजार जायरीन

दरगाह में रोजाना 20 से 25 हजार, गुरुवार, शुक्रवार और रविवार को 50 हजार, महाना छठी पर करीब एक लाख और उर्स के दौरान करीब 10 लाख जायरीन आते हैं. दरगाह में प्रवेश के 10 दरवाजे हैं, जिसमें से 6 दरवाजे खुले हुए हैं जहां जिला पुलिस के जवान तैनात रहते हैं.

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