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कॉमनवेल्थ खेल (Commonwealth Games) हों या ओलंपिक (Olympic). हरियाणा (Haryana) सबसे ज्यादा मेडल लेकर आता है? हरियाणा ऐसा क्या खास कर रहा है? क्या दूसरे राज्य इसी मॉडल को अपना सकते हैं?
मैं धनंजय कुमार, हर हफ्ते की तरह हम एक बार फिर खेल, खिलाडी और किस्से लेकर आए हैं. बर्मिंघम (Birmingham) कॉमनवेल्थ खेलों में भारत ने इस बार 61 मेडल जीते लेकिन एक छोटा सा राज्य हरियाणा जो आबादी के लिहाज से भारत का सिर्फ 2 प्रतिशत है वो अकेले एक तिहाई यानी 20 मेडल ले आया. अगर हम इसी को एक देश मान लें तो हरियाणा सबसे ज्यादा मेडल जीतने के मामले में 11वें नंबर पर होता.
2018 के कॉमनवेल्थ में भारत ने 66 मेडल जीते जिसमें 22 अकेले हरियाणा से थे. 2014 CWG में 64 में से 22 मेडल, 2010 के कॉमनवेल्थ खेलों में भारत ने 101 मेडल जीते, इसमें से 27 अकेले सिर्फ इसी राज्य से थे. ऐसे ही 2010 के एशियन गेम्स में 65 में से 21 मेडल. शायद आपको याद होगा कि पिछले साल टोक्यो ओलंपिक्स में भारत ने 7 मेडल जीते थे, इसमें से 4 खिलाड़ी सिर्फ हरियाणा से थे. आखिर ये स्टेट ऐसा क्या कर रहा है कि अकेले भारत के एक तिहाई मेडल्स यहां से आते हैं? हमने जब इसका जवाब तलाशने की कोशिश की तो कई कारण सामने आते गए. हम ये सभी कारण एक-एक कर आपके सामने रखते हैं.
हरियाणा सरकार ओलंपिक, पैरालंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई करने वाले खिलाड़ियों को केवल तैयारी के लिए 5 लाख एडवांस राशि देती है. हरियाणा ने हर अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के हिसाब से इनामी राशि खिलाड़ियों के लिए तय की हुई है. ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों में स्वर्ण पदक विजेता को 6 करोड़, रजत पदक विजेता को 4 करोड़ और कांस्य पदक विजेता को ढाई करोड़ की नकद राशि दी जाती है.
इतना ही नहीं ओलंपिक में शामिल होने वाले खिलाड़ियों को भी सरकार 15-15 लाख की राशि देती है. एशियाई खेलों में राज्य सरकार स्वर्ण पदक विजेता को 3 करोड़, रजत पदक विजेता को डेढ़ करोड़ और कांस्य पदक विजेता को 75 लाख का इनाम देती है. वहीं कॉमनवेल्थ खेलों की बात करें तो इसमें स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ी को राज्य सरकार डेढ़ करोड़, रजत पदक विजेता को 75 लाख और कांस्य पदक विजेता को 50 लाख रुपये नकद राशि देती है.
इंटरनेशनल पैरा एथलीट विकास डागर कहते हैं कि इनाम की राशि पहले से तय होना खिलाड़ियों को काफी प्रेरित करती है. इसमें कनफ्यूजन नहीं है, मेडल जीते तो राशि मिलने की गारंटी है.
खिलाड़ियों को नौकरी देने की हरियाणा सरकार की नीति पूरे देश के लिए एक मिसाल है. साल 2001 में ही हरियाणा की कैबिनेट ने एक प्रस्ताव पास किया जिसमें गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज जीतने वाले खिलाड़ियों को हरियाणा पुलिस सर्विस और सिविल सर्विस में आउट-ऑफ-टर्न अपॉइंटमेंट की व्यवस्था की. जॉब सिक्योरिटी मिलने से खिलाड़ी ट्रेनिंग पर ज्यादा ध्यान दे पाए. आप ये बिल्कुल कह सकते हैं कि नौकरी तो हर राज्य दे देता है, बिल्कुल सही है लेकिन हरियाणा के पास एक सेट पॉलिसी है. खिलाड़ी को पहले से पता है कि इस मेडल के बाद इस रैंक की नौकरी पक्की है. खिलाड़ियों को ग्रेड A और B की नौकरी तो मिलती ही है साथ ही ग्रुप C और D में भी 3 प्रतिशत और 10 प्रतिशत का रिजर्वेशन सिर्फ स्पोर्ट्स के लिए है. हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार,
एक स्कूल में फिजिकल एजुकेशन टीचर हरीश कहते हैं कि नौकरी मिलने की गारंटी बच्चों और उनके अभिभावकों को बहुत प्रोत्साहित करती है. जिन अभिभावकों को पता है कि उनके बच्चे पढ़ाई में अच्छे नहीं हैं, वो अपने बच्चों को स्पोर्टस में जाने के कहते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि इस रास्ते भी सरकारी नौकरी मिलेगी.
हरियाणा के मेडल लाने का एक और कारण है खेलों में ज्यादा से ज्यादा भागीदारी. हम आपको शुरू में ही बता चुके हैं कि किसी भी खेल में ये राज्य सबसे ज्यादा खिलाड़ी भेज रहा है. बर्मिंघम में ही हरियाणा से 43 खिलाड़ी गए, जो पूरे देश का लगभग 23 प्रतिशत है. जाहिर सी बात है कि अगर कहीं 100 खिलाड़ी खेल रहे हैं तो कम से कम 10 के मेडल लाने की संभावना तो होगी, लेकिन कहीं खेल ही 10 खिलाड़ी रहे हैं तो मेडल की संभावना अपने आप कम हो जाती है.
हरियाणा का स्पोर्टस इंफ्रास्ट्रक्चर आज पूरे देश को रास्ता दिखा सकता है. इस राज्य ने खेल इफ्रास्ट्रकचर को गांवों तक पहुंचाया है. हरियाणा में कम से कम 400 खेल नर्सरी चल रही हैं. इनकी खायियत ये है कि एक ही जगह पर कई तरह की खेल सुविधाएं मिलती हैं. राज्य में लगभग 250 मिनी स्टेडियम और 20 से ज्यादा जिला स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स हैं. इनके पास 2 अंतरराष्ट्रीय स्तर के कॉम्प्लेक्स हैं, जहां 350 से ज्यादा कोच तैनात हैं.
हरियाणा के कच्लर को मेडल के कारणों में से बाहर बिल्कुल नहीं किया जा सकता. आज भी हरियाणा के हर तीसरे गांव में छोटा या बड़ा एक अखाड़ा मौजूद है. वही अखाड़ा जहां कुश्ती होती है और वही कुश्ती जिसमें भारत बर्मिंघम से 12 मेडल लेकर आया है. इसके अलावा आपने दूध-दही का खाणा, ये है हरियाणा वाली बात तो सुनी ही होगी.
ये सिर्फ कहने की बात नहीं है. हरियाणा तुलनात्मक रूप से अमीर राज्य है. यहां खाने पीने की दिक्कत नहीं है. इससे ये बात भी समझ आती है कि जब लोगों को बुनियादी सुविधाएं और ठीक खाना-पीना भी नहीं मिलेगा तो खेलेंगे कैसे और मेडल कैसे जीतेंगे. तो मेडल की गिनती बढ़ानी है तो हर राज्य को गरीबी भी दूर करनी होगी.
एंकर/प्रोड्यूसर- धनंजय कुमार
स्क्रिप्ट- धनंजय कुमार
एडिटिंग- धनंजय कुमार
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