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IAAF चैंपियनशिपः भारत की फिर वही कहानी, लेकिन मिले कुछ नए सितारे

भारत की उम्मीद कुछ बड़े नाम अपनी क्षमता के मुताबिक प्रदर्शन करने में नाकाम रहे

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अविनाश साबले ने 3000 मीटर स्टीपलचेज में ओलंपिक कोटा हासिल किया
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अविनाश साबले ने 3000 मीटर स्टीपलचेज में ओलंपिक कोटा हासिल किया
(फोटोः ट्विटर/@Media_SAI)

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वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2019 भी खत्म हो गई, लेकिन जो खत्म नहीं हुआ, वो है भारत का इंतजार. बीते कई सालों की तरह इस साल भी भारत की झोली खाली रही. 2003 में अंजू बॉबी जॉर्ज ने जो खुशी भारतीय खेल जगत को दी थी, वो 16 साल बाद भी नहीं लौटी.

अगले साल टोक्यो में होने वाले ओलंपिक खेलों को ध्यान में रखते हुए ये चैंपियनशिप सबसे बड़ा टेस्ट थी. इतना ही नहीं, ओलंपिक में पहुंचने के लिए ये सबसे बड़ा क्वालीफायर इवेंट भी था.

इसके बावजूद पिछली कई चैंपियनशिप की तरह इस बार भी भारत को सिर्फ निराशा मिली. वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत का इकलौता मेडल अभी भी सिर्फ 2003 में अंजू बॉबी जॉर्ज का जीता हुआ ब्रॉन्ज ही है.

हालाकिं भारत को इस चैंपियनशिप से दो ओलंपिक कोटा जरूर मिले, जो कि इस चैंपियनशिप में भारत के लिए सबसे बड़ा पॉजिटिव रहा. लेकिन कई ऐसे एथलीट्स भी थे, जिनसे उम्मीद तो बहुत थी लेकिन वो सही मौके पर चूक गए.

अविनाश साबले

भारत के किसी एथलीट ने अगर दोहा 2019 वर्ल्ड चैंपियनशिप में सबसे ज्यादा प्रभावित किया, तो वो हैं अविनाश साबले. स्टीपलचेज से ज्यादातर भारतीय अनजान ही रहे हैं. कई भारतीयों को स्टीपलचेज के बारे में इरफान खान की फिल्म ‘पान सिंह तोमर’ से ही पता चला.

लेकिन अविनाश के रूप में भारत को इस इवेंट से जुड़ा नया नाम मिला है. अविनाश वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाने में कामयाब रहे. हालांकि फाइनल में वो कोई मेडल तो नहीं जीत सके, लेकिन अपने प्रदर्शन से उन्होंने सबका ध्यान अपनी ओर खींच दिया.

वर्ल्ड चैंपियनशिप में जाने से पहले इस इवेंट का नेशनल रिकॉर्ड अविनाश के ही नाम था, जो उन्होंने इसी साल मार्च में 8.28.94 मिनट का समय निकालकर पटियाला में बनाया था. अविनाश ने अपनी पहली ही क्वालिफाइंग हीट में इस रिकॉर्ड को तोड़ दिया. वो अभी अच्छा-खासे अंतर से.
दोहा में 3000 मीटर स्टीपलचेज इवेंट के दौरान अविनाश साबले (नीली जर्सी में)(फोटोः AP)

अविनाश ने 8.25.23 मिनट में अपनी हीट पूरी की. एथलेटिक्स फेडरेशन की अपील के बाद उन्हें फाइनल में जगह मिली, जहां उन्होंने अपना सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया.

फाइनल में तो अविनाश ने और भी अच्छा प्रदर्शन किया और लगातार दूसरी बार बड़े अंतर से नेशनल रिकॉर्ड तोड़ दिया.

8:21.37 मिनट का समय निकालकर अविनाश 13वें स्थान पर रहे, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने ओलंपिक क्वालिफिकेशन का मार्क (8.22.00 मिनट) पार कर टोक्यो का टिकट हासिल किया.

4x400 मिक्स टीम रिले

भारत की सबसे बड़ी उम्मीद इस चैंपियनशिप में 4x400 मीटर मिक्स रिले टीम ही थी. इसका कारण था मिक्स रिले टीम में भारत ने 2018 के जकार्ता एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था. इस जीत के साथ ही नेशनल रिकॉर्ड भी बनाया था.

हालांकि दोहा वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल की उम्मीदें तो पूरी नहीं हो सकीं लेकिन ये टीम अपने पिछले प्रदर्शन के बेहद करीब रही. मिक्स्ड रिले टीम ने क्वालिफाइंग हीट में तो अपने सर्वश्रेष्ठ से दूर रही, इसके बावजूद टीम ने न सिर्फ फाइनल में जगह बनाई बल्कि ओलंपिक कोटा भी हासिल कर लिया.

फाइनल में भी टीम का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक अच्छा नहीं रहा, लेकिन क्वालिफाइंग हीट के मुकाबले टीम ने बेहतर समय निकाला और सातवें स्थान पर रही. इसके बावजूद अपने नेशनल रिकॉर्ड को तोड़ने से सिर्फ 00.06 सेकंड से चूक गए. उन्होने फाइनल में 3.15.77 मिनट का समय निकाला.

हालांकि यहां पर याद रखने वाली सबसे जरूरी बात ये है कि जकार्ता में गोल्ड जीतने वाली टीम के दो मुख्य सदस्य हिमा दास और अरोकिया राजीव इस टीम में मौजूद नहीं थे, नहीं तो टीम का प्रदर्शन और बेहतर हो सकता था.

इसके बावजूद ओलंपिक कोटा हासिल करना टीम के लिए बड़ी उपलब्धि रही और अब ये टीम अपना ज्यादातर वक्त ओलंपिक की तैयारियों में लगा सकती है.

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अन्नू रानी

भारतीय एथलीटों में अन्नू रानी ने भी अपने प्रदर्शन से प्रभावित किया. महिलाओं के भाला फेंक (जेवलिन थ्रो) में अन्नू रानी ने वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाई.

इसके साथ ही इस इवेंट के फाइनल में पहुंचने वाली वो भारत की पहली महिला एथलीट बन गईं. फाइनल में वह आठवें स्थान पर रहीं, लेकिन ओलंपिक कोटा हासिल नहीं कर पाईं.

इसके बावजूद अन्नू का प्रदर्शन बेहद खास था. 2014 की एशियाई खेलों की गोल्ड मेडलिस्ट अन्नू ने चैंपियनशिप में अपना पिछले सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन में सुधार किया. उन्होंने इसी साल बनाए अपने 62.34 मीटर के नेशनल रिकॉर्ड को तोड़ते हुए क्वालीफायर में 62.43 मीटर का थ्रो फेंककर नया नेशनल रिकॉर्ड बनाया था.
अपने इवेंट के दौरान अन्नू रानी(फोटोः AP)

मेडल नहीं हासिल करने के बावजूद पिछले प्रदर्शन में सुधार के लिहाज से अन्नू के लिए ये चैंपियनशिप बेहतर रही.

इनका प्रदर्शन रहा फीका

इन तीनों इवेंट्स के अलावा भारत को निराशा ही हाथ लगी. इनमें कुछ सितारे ऐसे थे, जिनसे वर्ल्ड चैंपियनशिप के साथ ही टोक्यो ओलंपिक के लिए बड़ी उम्मीदें जुड़ी थी. हालांकि दोहा में वो अपनी क्षमता के मुताबिक प्रदर्शन करने में नाकाम रहे.

दुती चंद

एक बड़ी निराशा भारत की शीर्ष स्प्रिंटर दुती चंद की असफलता रही. 100 मीटर में नेशनल रिकॉर्ड अपने नाम करने वाली दुती से इस प्रदर्शन को और भी सुधारने की उम्मीद थी. दुती ने वर्ल्ड यूनिवर्सिटी खेलों में गोल्ड जीतकर दिखाया भी था कि वो भारत की बड़ी स्टार बन सकती हैं.

हालांकि दुती इसमें कामयाब नहीं हो सकी. 100 मीटर में दुती क्वालिफाइंग हीट में ही हारकर बाहर हो गई. सबसे ज्यादा निराशा इस बात की रही कि दुती अपने नेशनल रिकॉर्ड समय के आस-पास भी नहीं पहुंच सकीं.

दुती ने अपनी हीट में 11.48 सेकेंड का समय निकाला, जो इस साल उनका अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन रहा.

जिनसन जॉनसन

पुरुषों की 1500 मीटर दौड़ में जिनसन जॉनसन से भी काफी उम्मीदें थीं. जिनसन ने इस साल 2 बार अपना ही नेशनल रिकॉर्ड तोड़ा था. उसमें भी सितंबर में ही बर्लिन में उन्होंने करीब ढ़ाई सेकेंड के सुधार के साथ नया रिकॉर्ड (3:35:24 मिनट) बनाया था.

ऐसे में उम्मीद थी कि वो वर्ल्ड चैंपियनशिप में इसमें और भी सुधार करेंगे. लेकिन जिनसन को भी निराशा ही हाथ लगी. वो अपनी हीट में 10वें पायदान पर रहे. दुती की तरह ही जिनसन भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से बेहद दूर रहे और 3:39:86 मिनट का समय निकाला.

इनके अलावा चैंपियनशिप में हिस्सा ले रहेऔर भी कई भारतीय एथलीटों को निराशा ही हाथ लगी और वो भी अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनके पास नहीं पहुंच सके.

पुरुषों की 4x400 मीटर रिले स्पर्धा में भारतीय टीम फाइनल में जगह नहीं बना पाई. अमोज जैकब, मोहम्मद अनस, जीवन केएस और निर्मल की टीम ने हीट-2 में हिस्सा लिया और सातवें पायदान पर रही. भारतीय टीम ने 3:03:09 मिनट में रेस पूरी की, जो नेशनल रिकॉर्ड के पास भी नहीं था.

इसी तरह एशियाई खेलों के गोल्ड मेडलिस्ट तेजिंदर पाल तूर शॉट पुट में भारत को सफलता दिलाने में नाकाम रहे.

हालांकि तूर ने इस सीजन में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन क्वालिफाइंग में निकाला, लेकिन वो फाइनल तक पहुंचाने के लिए काफी नहीं रहा. साथ ही उनके नेशनल रिकॉर्ड में भी कोई सुधार नहीं हुआ.

टी. गोपी ने मैराथन में निराश किया. जबीर मदारी पिलयालिल पुरुषों की 400 मीटर बाधा दौड़ स्पर्धा के सेमीफाइनल तक तो पहुंचे लेकिन फाइनल की इस बाधा को वह पार नहीं कर पाए. जबीर सेमीफाइनल की हीट-3 में पांचवें स्थान पर रहे. जबीर ने 49.71 सेकेंड का समय निकाला.

पुरुषों की 20 किलोमीटर पैदल चाल में के.टी. इरफान और देवेंद्र सिंह ने भी निराश किया. इसी तरह पुरुष मैराथन में एशियाई खेलों के गोल्ड विजेता कोनाकल गोपी 21वें स्थान पर रहे. गोपी अपना इस सीजन का श्रेष्ठ समय भी नहीं निकाल सके.

ओलंपिक में एक साल से भी कम का समय बचा है. ऐसे में तीन स्पर्धाओं को छोड़कर भारत को जो प्रदर्शन बाकी स्पर्धाओं में रहा है वो निराशाभर है.

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