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भारत ने जर्मनी को हराकर बनाया रिकॉर्ड, सबसे ज्यादा हॉकी ओलंपिक पदक हमारे पास

Tokyo Olympics में मेडल के मौके पर जान लीजिए कैसे थे भारत के आठ स्वर्णिम ओलंपिक पल

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<div class="paragraphs"><p>भारत ने जर्मनी को पछाड़कर ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया</p></div>
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भारत ने जर्मनी को पछाड़कर ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया

फोटो : हॉकी इंडिया से साभार अल्टर्ड बाई क्विंट हिंदी 

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टोक्यो ओलंपिक्स (Tokyo Olympics) में 5 अगस्त का दिन भारतीय हॉकी (Indian Hockey) के लिए दो मायनों में बहुत खास रहा. एक ओर जहां भारत ने जर्मनी को 5-4 के स्कोर से हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया, वहीं ओलंपिक खेलों के इतिहास में पुरुष हॉकी में सबसे ज्यादा पदक जीतने का कीर्तिमान भी स्थापित किया. टोक्यो में आखिरकार 41 साल बाद वह पल आ ही गया जिसका भारतीय हॉकी प्रेमियों को लंबे समय से इंतजार था. भारत ने एक बार फिर पोडियम में अपनी जगह बनाई है. आइए भारतीय हॉकी के स्वर्णिम पलों पर एक नजर दौड़ाते हैं...

41 साल बाद आया ऐतिहासिक पल

टोक्यो ओलंपिक में कांस्य

फोटो :Altered By Quint Hindi

भारत की पुरुष हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक में जर्मनी को 5-4 से हराते हुए ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया है. भारतीय हॉकी टीम ने 1980 के बाद ओलंपिक में 41 साल बाद कोई मेडल हासिल किया है.

इसके साथ ही अब ओलंपिक्स में भारतीय पुरुष हॉकी टीम के नाम कुल 12 पदक (8 स्वर्ण, 1 रजत और 3 कांस्य) हो गए हैं. भारत ने कुल पदकों के मामले में भी जर्मनी (11 पदक) को मात दी है. जर्मनी के पास फिलहाल 4 स्वर्ण, 3 रजत और 4 कांस्य पदक हैं.

आज से पहले तक हमारी युवा पीढ़ी ने हॉकी में पदक जीतने की कहानियां सुनी थीं. लेकिन हमारे खिलाड़ियों ने ओलंपिक में 41 साल के सूखे को समाप्त कर एक बार फिर पदक दिलाया है. आइए हम आपको भारतीय पुरुष हॉकी के अब तक के स्वर्णिम सफर की सैर कराते हैं.

  • 1928 से 1956 तक भारत ने ओलंपिक्स में लगातार 6 गोल्ड अपने नाम किए थे.

  • 1956 के बाद 1964 और 1980 में भी भारत ने स्वर्ण का स्वाद चखा था.

  • पाकिस्तान ने 1960 में भारत को हराकर हॉकी की विजय यात्रा को रोका था.

भारतीय पुरुष हॉकी का पहला गोल्ड 1928

फोटो :Altered By Quint Hindi

एम्सटर्मड ओलंपिक 1928 में भारतीय हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद का जादू जमकर चला था. 14 गोल के साथ वे पूरी प्रतियोगिता में टॉप स्कोरर थे. भारतीय टीम ने पांच मैचों में बिना गोल खाए विपक्षी टीम पर कुल 29 गोल बरसाए थे. फाइनल में ध्यानचंद की हैट्रिक की बदौलत भारत ने 3-0 से नीदरलैंड्स को मात दी थी.

भारतीय पुरुष हॉकी का दूसरा गोल्ड 1932

फोटो :Altered By Quint Hindi

लॉस एंजेलेस ओलंपिक्स 1932 में हुए थे. इस बार भारतीय टीम में इंडियन और एंग्लो इंडियन के बीच तकरार भी साफ तौर पर देखी गई थी. लेकिन इस ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने अमेरिका के विरुद्ध 1 के मुकाबले 24 गोल दागकर दुनियाभर में नाम कमाया था. 11 अगस्त 1932 को खेले गए इस ऐतिहासिक मैच में भारतीय खिलाड़ी रूप सिंह ने सबसे अधिक दस गोल किए थे. रुप सिंह घ्यानचंद के छोटे भाई हैं. वहीं फाइनल मुकाबले में भारत ने जापान को 11-1 से मात देकर लगातार दूसरा गोल्ड अपने नाम किया था.

भारतीय पुरुष हॉकी का तीसरा गोल्ड 1936

फोटो :Altered By Quint Hindi

1936 का बर्लिन ओलंपिक ध्यानचंद का अंतिम ओलंपिक था. इसके बाद उन्होंने रियाटरमेंट की घोषणा कर दी थी. इस ओलंपिक में ध्यानचंद के गोलों का बोलबाला था, उन्होंने कुल 30 गोल स्कोर किए थे. फाइनल मैच में भारत ने जर्मनी को 8-1 से बुरी तरह पछाड़ा था. फाइनल में मुकाबले में लगभग 40,000 दर्शक स्टेडियम में थे. इन दर्शकों में हिटलर भी शामिल था. जर्मन टीम की बुरी स्थिति देखते उसने बीच में मैच छाेड़कर वहां से निकलने का फैसला लिया था.

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भारतीय पुरुष हॉकी का चौथा गोल्ड 1948

फोटो :Altered By Quint Hindi

आजादी के बाद भारत ने लंदन 1948 में का अपना पहला ओलंपिक खेला. आजाद भारत में कई खिलाड़ी अलग हो गए जिसकी वजह से टीम में काफी बदलाव हुए थे, लेकिन कम अनुभवी प्लेयर्स ने भी गोल्डन चांस बनाया. इस ओलंपिक में बलवीर सिंह जैसे हॉकी स्टार उभरकर सामने आए. उन्होंने अर्जेंटीना 9-1, ऑस्ट्रेलिया 8-0 और स्पेन 2-0 को पछाड़ते हुए भारत को फाइनल में पहुंचाया. महामुकाबला 25 हजार दर्शकों की उपस्थित में ब्रिटेन के साथ था, जहां एक बार फिर बलवीर की स्टिक ने जादू दिखाया और भारतीय टीम 4-0 से मैच अपने नाम किया. बॉलीवुड फिल्म "गोल्ड" इसी स्वर्णिम घटना पर आधारित है.

भारतीय पुरुष हॉकी का पांचवां गोल्ड 1952

फोटो :Altered By Quint Hindi

चार साल बाद हेलसिंकी ओलंपिक 1952 में एक बार फिर बलवीर सिंह सीनियर ने अपना जादू दिखाया, उन्होंने तीन मैचों में नौ गोल किए थे. इस ओलंपिक में भारत ने ऑस्ट्रिया को 4-0 से पटखनी दी थी. वहीं ब्रिटेन को 3-1 से मात दी थी. जिसमें बलवीर की हैट्रिक भी शामिल थी. फाइनल में भारत ने नीदरलैंड्स को 6-1 से हराया था. इसमें बलवीर सिंह के पांच गोल शामिल थे.

भारतीय पुरुष हॉकी का छठवां गोल्ड 1956

फोटो :Altered By Quint Hindi

मेलबर्न ओलंपिक 1956 में भारतीय पुरुष हॉकी ने गोल्ड की डबल हैट्रिक लगाई थी. वहीं आजाद देश के तौर हमारी हैट्रिक थी. यह वाकई में भारतीय हॉकी के लिए गौरव का वर्ष था. भारत ने सिंगापुर को 6-0, अफगानिस्तान को 14-0 और अमेरिका 16-0 से मात देते हुए फाइनल तक का सफर किया. वहीं इसी दौरान बलवीर सिंह के दाहिने हाथ में फैक्चर हो जाने के कारण स्थिति गंभीर हो गई, लेकिन उन्होंने एक सच्चे कप्तान के तौर पर दर्द की परवाह किए बगैर प्रदर्शन किया और फाइनल में पाकिस्तान को 1-0 से हराकर ऐतिहासिक छठवां स्वर्ण पदक अपने नाम किया.

भारतीय पुरुष हॉकी का सातवां गोल्ड 1964

फोटो :Altered By Quint Hindi

1960 रोम ओलंपिक में भारत की लगातार चली आ रही जीत का सिलसिला पाकिस्तान ने तोड़ दिया था. तब फाइनल में पाकिस्तान ने भारत को 1-0 से हराकर अपना पहला गोल्ड मेडल जीता था. लेकिन चार साल बाद 1964 में टोक्यो ओलंपिक में एक बार फिर भारत ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पूल मैचों में सबसे ज्यादा 12 अंक हासिल किए. भारत ने बेल्जियम को हराया और जर्मनी तथा स्पेन के के साथ मैच ड्रा कराते हुए हांगकांग, मलेशिया, कनाडा और हॉलैंड को भी धूल चटाई. सेमीफाइनल में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 3-1 से हराकर फाइनल में जगह बनाई, जहां एक बार फिर पाकिस्तान से सामना हुआ, लेकिन इस बार भारत ने पाकिस्तान को हराकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया.

भारतीय पुरुष हॉकी का आठवां गोल्ड 1980

फोटो :Altered By Quint Hindi

1964 टोक्यो ओलंपिक के बाद तीन ओलंपिक में भारत ने दो कांस्य पदक 1968 मैक्सिको और 1972 म्यूनिख में अपने नाम किए वहीं 1976 में भारत सातवें पायदान पर था. लेकिन 1980 मॉस्को ओलंपिक में भारत ने एक बार फिर स्वर्णिम प्रदर्शन किया. फाइनल में स्पेन ने भारत को कड़ी टक्कर दी थी लेकिन भारत ने 4-3 से मैच अपनी मुट्ठी में किया था. इस मैच के हीरो मोहम्मद शाहिद थे.

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