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सुपर मॉम एलिसन की कहानी- कठिन प्रेगनेंसी के बाद बोल्ट को पछाड़ा, अब ओलंपिक में

Tokyo Olympics : प्रीमेच्योर बेबी की वजह से हुई थीं दिक्कतें, फिर भी बनीं वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियन, बोल्ट को पछाड़ा

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<div class="paragraphs"><p>Tokyo olympics से&nbsp;एलिसन फेलिक्स की कहानी</p></div>
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Tokyo olympics से एलिसन फेलिक्स की कहानी

(फोटो: अलटर्ड बाइ क्विंट)

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टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में अमेरिकी एथलीट एलिसन फेलिक्स (Allyson Felix) पर सबकी निगाहें रहेंगी. छह बार की ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट फेलिक्स का यह पांचवां ओलंपिक है. टोक्यो के लिए क्वॉलिफाई करने से पहले उन्हें प्रेग्नेंसी के दौरान काफी समस्या हुई थी. इससे उनकी जान तक जाने का खतरा हो गया था. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और दोगुनी मेहनत के साथ आगे बढ़ रही हैं. इनसे हम अपने जीवन में बहुत कुछ सीख सकते हैं. आइए जानते हैं उनकी प्रेरणादायी कहानी...

वर्ल्ड चैंपियनशिप के पहले प्रेग्नेंसी की जटिलता

2018 के अंत में एलिसन फेलिक्स डेट्रायट के एक अस्पताल में नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (INCU) के बाहर बैठी थीं. जहां वे अपनी 32 सप्ताह की प्रीमेच्योर बेटी को जिंदगी से जंग करते हुए देख रही थीं. वहां चारों ओर मशीनों की आवाज गूंज रही थी. कुछ जगह से मांओं की चीखें भी सुनाई दे रही थीं. वहां मौजूद अन्य मांओं की तरह फेलिक्स को भी नहीं पता था कि उनकी बेटी केमरीन के साथ क्या हो रहा है या क्या होने वाला है? उनके मन में तरह-तरह की शंकाएं पैदा हो रही थीं. आज केमरीन दो साल से ज्यादा की है और पूरी तरह स्वस्थ है. लेकिन एलिसन के दिमाग से 2018 की वे याद कभी नहीं मिटी.

जब फेलिक्स 2018 में प्रेग्नेंट थीं तब उनमें प्रीक्लेम्पसिया (preeclampsia) डेवलव हो गया था. यह एक ऐसी स्थिति है जो हाईब्लड प्रेशर और प्रसव के लिए प्रतिकूल प्रभावों को दर्शाती है.

जब फेलिक्स का बेबी शॉवर हुआ था उसके 10 दिन बाद वे डॉक्टर के पास रूटीन चेकअप के लिए गईं और कहा कि उनके पैरों में सूजन है. तब उन्हें पता नहीं था कि ये प्रीक्लेम्पसिया का संकेत है. उसके बाद डॉक्टर ने उन्हें अस्पताल भेजा जहां उनसे कहा गया कि आपको तुरंत डिलिवरी करवानी होगी. ऐसे में जब ऑक्सीजन सपोर्ट और सी सेक्शन की तैयारी पूरी तरह से थी तब फेलिक्स ने अपनी बहन वेस को कॉल करके लॉस एंजेलिस से मिशिगन आने को कहा. जहां फेलिक्स अपने पति केनेथ फर्ग्यूसन के साथ रह रही थी.

वेस ने एक इंटरव्यू में कहा है कि जब मैं मिशिगन के लिए फ्लाइट में चढ़ रही थी तब मैं भगवान से प्रर्थना कर रही थी कि मैं वहां अपनी भतीजी के जन्म के लिए जा रही हूं न कि अपनी बहन की मौत के लिए. पूरी यात्रा के दौरान मेरा हाथ मेरी मां के हाथों में था.

तमाम जटिलताओं के बीच 28 नवंबर 2018 को केमरीन का जन्म हुआ. उस समय वे 7 सप्ताह की प्रीमेच्योर बेबी थी, इसलिए लगभग एक महीने उसे अस्पताल में ही विशेष निगरानी में बिताना पड़ा था.

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मां बनने के बाद बोल्ट को पछाड़ा

2018 में मां बनने के 6 सप्ताह बाद ही फेलिक्स को 2019 वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए क्ववॉलिफिकेशन के लिए ट्रेनिंग करनी थी. लेकिन यह इतना आसान नहीं था. सी सेक्शन की वजह से आसान प्रैक्टिस जैसे घुटनों को छाती तक ले जाने में ही उनको काफी तकलीफ होती थी. लेकिन उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और जज्बे की बदौलत प्रैक्टिस जारी रखी मन को कभी भारी नहीं होने दिया, निराशा और अवसाद को खुद से दूर रखते हुए जमकर अभ्यास किया जिसका नतीजा दुनिया के सामने है. उन्होंने ट्रैक एंड फील्ड वर्ल्ड चैंपियनशिप, दोहा में अपने कॅरियर का 12 वां और 13वां मेडल जीता. इसके साथ ही उन्होंने उसेन बोल्ट जैसे महान धावक को चैंपियनशिप्स गोल्ड के मामले में पीछे छोड़ दिया. बतौर मां यह फेलिक्स के लिए पहला बड़ा पदक और टूर्नामेंट रहा था.

प्रेग्नेंसी की समस्याओं से जूझ रही फेलिक्स उस समय नाइकी (NIKE) के साथ भी संघर्ष कर रहीं थीं. उनके और नाइकी के बीच ब्रांड इंडोर्समेंट व मैटरनिटी को लेकर विवाद हो रहा था.

फेलिक्स के इस प्रदर्शन से हमें यह सीख लेनी चाहिए कि जीवन में कितना कुछ भी खराब क्यों न चल रहा हो. हमें खुद पर निराशा को हावी नहीं होने देना चाहिए. आप बस मेहनत करें परिणाम खुद-ब-खुद दुनिया के सामने होंगे.

कोरोनाकाल और मां बनने के बाद पहला ओलंपिक

कोविड 19 महामारी के दौरान जब एथलेटिक्स सेंटर बंद हो गए थे तब फेलिक्स ने अपनी प्रैक्टिस जारी रखने के लिए समुद्र तट पर स्थित घास के मैदान, UCLA पॉवेलियन, पड़ोस की सड़कों, सीमेंट रोड आदि जगहों पर प्रैक्टिस की थी. उनके अनुसार यह गोरिल्ला टेकनीक वाली ट्रेनिंग थी.

35 वर्षीय एथलीट फेलिक्स ने एनबीसी को दिए गए इंटरव्यू में कहा है कि "यहां पहुंचने के लिए मैंने काफी लड़ाई लड़ी है. आज भी मैं उन सभी चीजों के बारे में सोच रही हूं. मैं सोच रही हूं कि हम NICU में लड़ रहे थे, अपने जीवन के लिए लड़ रहे थे और अब इस ट्रैक पर आने के लिए लड़ रहे हैं.
मां बनने के दौरान फेलिक्स ने काफी संघर्ष किया है. यह संघर्ष किसी और महिला एथलीट को न करना पड़े इसके लिए उन्होंने एक ग्रांट प्रोग्राम डिजाइन किया है जिसका नाम “The Power of She Fund: Child Care Grants” है. इस फंड से टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली प्रोफेशनल मॉम-एथलीट्स को चाइल्ड केयर सहायता दी जाएगी.

टाइम मैग्जीन ने फेलिक्स और उनके संघर्ष पर एक विस्तृत स्टोरी की है. इसके साथ ही उनको कवर पर जगह दी है.

टाइम कवर पर फेलिक्स

फोटो : ट्विटर से साभार

फेलिक्स ने अपनी एक इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा है कि "यहां मैं अपनी आवाज का उपयोग महिलाओं के रूप में, मुझ जैसी मांओं के रूप में और उन सभी महिलाओं के लिए बदलाव लाने के लिए कर रही हूं, जो मां बनना चाहती हैं."

2004 ओलंपिक गेम्स से हिस्सा लेती आ रही फेलिक्स का यह पांचवां ओलंपिक्स है. लेकिन मां बनने के बाद यह उनका पहला ओलंपिक इवेंट है. वे महिलाओं की 400 मीटर रेस में चुनौती पेश करेंगी. फेलिक्स ने ओलंपिक चैनल से बात करते हुए कहा है कि "मुझे लगता है कि मेरी बेटी मेरी प्रेरणा है. अब मैं ऐसा करने के बारे में सोचती हूं जिससे मेरी बेटी उन्हें देख सके और उन उपलब्धियों को उदाहरण मान सके."

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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