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ओलंपिक पदक विजेता पहलवानों के दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन (Wrestlers Protest) को एक महीने से भी लंबा वक्त हो गया है, लेकिन इस मामले में जल्दी कोई हल निकलता नजर नहीं आ रहा. इसके साथ ही आए दिन कोई न कोई नया नाम इसके समर्थन या विरोध में सामने आ जाता है. इस कड़ी में अब नया नाम है स्वामी रामदेव (Ramdev) का.
पहले रामदेव बीजेपी सांसद और कुश्ती संघ (WFI) अध्यक्ष बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी की मांग का समर्थन करते नजर आए और जब करणी सेना ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया तो बैक फुट पर जाकर सफाई दी और पहलवानों को ही सलाह देने लगे.
स्वामी रामदेव ने भीलवाड़ा में मीडिया से बात करते हुए बृजभूषण सिंह को यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे डालने की बात कही थी. उन्होंने कहा था,
स्वामी रामदेव के इस बयान पर राजपूत करणी सेना के पदाधिकारियों ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए रामदेव से इस बयान पर माफी मांगने की बात कही. इसके राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य विश्व बंधु सिंह राठौड़ ने कहा कि "रामदेव के भीलवाड़ा आने पर मैं उनका स्वागत करता हूं, लेकिन उनका स्टेटमेंट हमारे दिल को ठेस पहुंचा गया है. स्वामी रामदेव तो न्यायाधीश बन कर आए हैं. मैं उनसे कहना चाहता हूं कि उनसे भी पहले कई बाबा हुए हैं... आप कैसे कह सकते हो बृजभूषण सिंह को उठाकर जेल में डाल दो. वे अपनी बात कहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं."
उन्होंने आगे कहा, "मैं फिर आप से (रामदेव से) अर्ज कर रहा हूं इस बयान का खंडन नहीं किया तो आप भीलवाड़ा के अंदर अपना कार्यक्रम करके दिखा देना. यह राजपूत समाज है, करणी सेना है. मेरा हाथ जोड़कर निवेदन है आप दिल जोड़ने निकले हो, दिल मत तोड़ो."
इस बयानबाजी के बाद करणी सेना के प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेंद्र पांसल और महासचिव सुरेंद्र मोटरास ने आरसी व्यास कॉलोनी स्थित रामदेव के अस्थाई निवास पर मुलाकात की. मुलाकात के बाद स्वामी रामदेव का एक वीडियो सामने आया जिसमें वे राजपूत समाज के शौर्य और बहादुरी की बात कह रहे हैं.
वीडियो में स्वामी रामदेव ने कहा कि "मैंने राजपूत समाज का विरोध किया है, यह बात सरासर गलत है. साधु होने के बाद कोई जाति नहीं रहती है. मैं भी क्षत्रिय कुल में जन्मा हूं. मैं क्षत्रिय धर्म शौर्य और वीरता को समझता हूं, जो अन्याय के खिलाफ लड़ता है. महाराणा प्रताप के शौर्य और बलिदान की जो बहुत बड़ी विरासत हमें राजपूत समाज से मिली है, उसका अनादर करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है."
28 मई को आंदोलनकारी पहलवानों के नए संसद भवन के घेराव की बात भी स्पष्टीकरण देते हुए स्वामी रामदेव ने कहा कि
उन्होंने कहा कि "इस तरह के आंदोलन से खिलाड़ियों को दूर रहना चाहिए और मैं आशा करता हूं कि दूर रहेंगे. नए संसद भवन का जब उद्घाटन हो रहा है उस समय संसद भवन का घेराव या कार्यक्रम का बहिष्कार, लोकतंत्र, संविधान, देश की आजादी और शहीदों का अपमान होगा. जो भी लोग इसके बहिष्कार की बात कर रहे हैं वे पुनर्विचार करें और जो घेराव की बात कर रहे हैं मेरा उनसे विनम्र निवेदन है कि वे इस प्रकार की गतिविधियों से दूर रहें."
इनपुट- प्रिया तिवारी
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