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CWG 2022: 'चूरमा' शौकीन बजरंग पुनिया ने रचा इतिहास, 7 साल की उम्र से की पहलवानी

CWG 2022: Bajrang Punia ने पुरुषों के 65 किलो वर्ग के फाइनल में कनाडा के एल मैकलीन को 9-2 से धूल चटाई.

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CWG 2022: बजरंग पुनिया

PTI

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कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 (CWG 2022) में पहलवान बजरंग पूनिया (Bajrang Punia) ने गोल्ड मेडल जीता है. पुरुषों की फ्रीस्टाइल 65 किलो वर्ग के फाइनल में बजरंग पुनिया ने कनाडा के एल मैकलीन को 9-2 से धूल चटाई. पहले हाफ में बजरंग पुनिया ने चार अंक लिए. दूसरे हाफ में मैकलीन ने दो प्वाइंट लेकर वापसी की कोशिश की, लेकिन बजरंग पुनिया ने पलटवार करते हुए देश के नाम एक और गोल्ड मेडल जीत लिया.

7 साल की उम्र में शुरू की पहलवानी

आज बजरंग पुनिया देश के सबसे बड़े पहलवानों में गिने जाते हैं और लगभग हर खेलप्रेमी की जुबान पर बजरंग पुनिया का नाम है, लेकिन ये मुकाम उन्हें ऐसे ही नहीं मिल गया. इसके लिए उन्होंने बड़ी मेहनत की है. 65 किलोग्राम वर्ग में विश्व के नंबर वन पहलवान रहे बजरंग पुनिया ने पहलवानी की शुरूआत 7 साल की उम्र में झज्जर जिले के एक छोटे से गांव खुदन से की थी. एक साधारण किसान परिवार में जन्में बजरंग शुरू से ही बेहद मेहनती रहे हैं.

बजरंग पुनिया के पिता और भाई भी पहलवानी करते थे, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के चलते केवल बजरंग को ही पहलवानी में आगे बढ़ाया. उनके पिता ने बताया कि वो भी पहलवानी करते थे. इसलिए उनकी इच्छा थी कि उनका एक बेटा पहलवान जरूर बनें.

चूरमा खाने के शौकीन हैं पुनिया

बजरंग पुनिया हरियाणवी खाने के भी बेहद शौकीन हैं. बजरंग बचपन से ही प्रैक्टिस के बाद अपनी मां से गुड़ का चूरमा बनवाकर खाते थे. टोक्यो ओलंपिक के लिए जाने से पहले भी वो घर से जाते समय चूरमा खाकर ही निकले थे. तब बजरंग की मां ओम प्यारी ने कहा था कि बजरंग को पराठे और गुड़ का चूरमा ज्यादा पसंद है. टोक्यो ओलंपिक में जब बजरंग पुनिया ब्रॉन्ज मेडल जीतकर लौटे थे तो उनकी मां ने चूरमे के साथ बजरंग का स्वागत किया था.

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अर्जुन पुरस्कार, खेल रत्न और पद्म श्री से सम्मानित वर्ल्ड चैंपियन रेसलर बजरंग पुनिया की कहानी भले ही एक छोटे से गांव के दंगल से शुरू हुई थी, पर उनकी कड़ी मेहनत और जुनून उन्हें उस मुकाम पर लेकर आया, जहां वो बजरंग बन चुके हैं. 130 करोड़ भारतीयों की सबसे बड़ी उम्मीदों पर खरा उतरते हुए बजरंग पुनिया ने कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा है.

इनपुट- नरेश मजोका

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