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साउथ अफ्रीका में अंडर-19 वर्ल्ड कप अपने आखिरी पड़ाव पर पहुंच चुका है. रविवार 9 फरवरी को टूर्नामेंट का फाइनल है. फाइनल में पहुंचना अपने आप में बड़ी उपलब्धि है, लेकिन ये फाइनल में कई मायनों में खास है. पहली बार बांग्लादेश वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचा है. भारत लगातार तीसरी बार फाइनल में पहुंचा है और वर्ल्ड कप एक बार फिर एशिया में ही रहेगा.
भारत की जूनियर टीम को इस वर्ल्ड कप में ज्यादा किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा. ग्रुप स्टेज से लेकर नॉक आउट स्टेज तक, भारत के इन युवा क्रिकेटरों ने किसी भी टीम को अपने पर हावी होने का मौका नहीं दिया.
ऐसे मे जब भारतीय टीम अपने पांचवे खिताब पर नजर गड़ाए हुए है, हम एक नजर डालते हैं साउथ अफ्रीका में भारत के अब तक के सफर पर-
टूर्नामेंट के पहले मैच में 4 बार की चैंपियन भारतीय टीम के सामने चुनौती थी श्रीलंका की. वर्ल्ड कप के पहले ही मैच में भारतीय टीम ने बेहतरीन ऑलराउंड खेल का प्रदर्शन किया. टीम का कोई भी बल्लेबाज बहुत बड़ा स्कोर नहीं बना पाया, लेकिन टॉप और मिडिल ऑर्डर ने बराबर योगदान दिया.
टीम को ओपनर यशस्वी जायसवाल ने 59 रन बनाए. तिलक वर्मा ने भी 46 रन का योगदान दिया, जबकि कप्तान प्रियम गर्ग ने भी अर्धशतक (56) जड़ा.
भारत ने बॉलिंग में भी अच्छी शुरुआत की. चौथे ओवर में ही भारत ने श्रीलंका का पहला विकेट 19 रन पर गिरा दिया. हालांकि इसके बाद श्रीलंकाई मिडिल ऑर्डर ने बेहतर बल्लेबाजी की. कमिल मिश्रा (39), रविंदु रसंथा (49) और निपुन परेरा (50) ने अच्छे रन बनाए.
तेज गेंदबाज कार्तिक त्यागी और आकाश सिंह ने मिडिल ऑर्डर की साझेदारियों को तोड़कर श्रीलंका को लक्ष्य तक नहीं पहुंचने दिया. सिद्धेश वीर ने बैटिंग के बाद बॉलिंग में भी कमाल दिखाया और 2 विकेट लिए. भारत ने 90 रन से मैच जीत शानदार शुरुआत की.
पहली बार वर्ल्ड कप का हिस्सा बन रही जापान की टीम का हश्र उम्मीद के मुताबिक रहा. भारत जैसी मजबूत टीम के सामने जापान की टीम करीब 23 ओवर तक टिकी रही, लेकिन सिर्फ 41 रन ही बना सकी. ये अंडर-19 वर्ल्ड कप के सबसे छोटे स्कोर में से है.
कार्तिक त्यागी ने अपनी तेज रफ्तार और यॉर्कर गेंदों से कहर बरपाना शुरू किया. फिर रवि बिश्नोई ने अपनी पहली 2 गेंदों में ही 2 विकेट लेकर जापान की किसी भी उम्मीद को खत्म कर दिया.
जवाब में यशस्वी जायसवाल (29) और कुमार कुशाग्र (13) ने सिर्फ 4.5 ओवर में ही मैच खत्म कर दिया. भारत 10 विकेट से जीत गया.
भारतीय टीम के सामने ये मैच बड़ी चुनौती था. हालांकि एक बार फिर भारतीय ओपनर यशस्वी जायसवाल और दिव्यांश सक्सेना ने टीम को गजब की शुरुआत दिलाई. दोनों ने न्यूजीलैंड के गेंदबाजों को कोई मौका नहीं दिया.
दोनों ने अपने-अपने अर्धशतक पूरे किए और सिर्फ 23 ओवर में 115 रन बना डाले. इसी दौरान बारिश के कारण मैच रोकना पड़ा और भारतीय पारी को वहीं खत्म कर दिया गया.
यहां से भारतीय स्पिनर रवि बिश्नोई और अथर्व अंकोलेकर ने न्यूजीलैंड को सरेंडर करने पर मजबूर कर दिया. दोनों की स्पिन का न्यूजीलैंड के बल्लेबाजों के पास कोई जवाब नहीं था. पूरी टीम 21 ओवर में सिर्फ 147 रन पर ढेर हो गई.
बिश्नोई ने 4 विकेट और अथर्व ने 3 विकेट लिए और भारत ने 41 रन (डकवर्थ-लुइस नियम) से न्यूजीलैंड को हराया और अपने ग्रुप में टॉप पर रहा.
नॉकआउट स्टेज में भारत के सामने थी ऑस्ट्रेलियाई टीम. ऑस्ट्रेलिया का प्रदर्शन भी वर्ल्ड कप में बेहतर था. 3 बार की वर्ल्ड चैंपियन ऑस्ट्रेलिया के सामने भारतीय बल्लबाजों को संघर्ष करना पड़ा.
ओपनर दिव्याशं सक्सेना, कप्तान प्रियम गर्ग समेत टॉप और मिडिल ऑर्डर बिखर गया. हालांकि टीम के सबसे सफल बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल इस बार भी जमे रहे और टीम को आगे बढ़ाते रहे. यशस्वी ने टूर्नामेंट में अपना तीसरा अर्धशतक (62) जड़ा, लेकिन वो इसे बड़े स्कोर में नहीं बदल सके.
अथर्व ने आखिर में रनरेट तेज करने की कोशिश की और अपना अर्धशतक (55) पूरा किया. इन पारियों की मदद से भारत ने 233 रन बनाए.
जवाब में एक बार फिर कार्तिक त्यागी ने अपनी रफ्तार और सटीक बॉलिंग से ऑस्ट्रेलिया को तहस-नहस कर दिया. कार्तिक (4/24) और आकाश सिंह (3/30) के सामने ऑस्ट्रेलियाई टीम सिर्फ 159 रन पर ढेर हो गई और भारत ने छोटे स्कोर के बावजूद आसानी से मैच जीत लिया.
इस मैच को लेकर बहुत उम्मीदें थीं. अच्छे मुकाबले का इंतजार था, लेकिन हाल कुछ वैसा ही रहा जैसे 2019 के सीनियर वर्ल्ड कप में भारत ने पाकिस्तान का किया. 2018 के अंडर-19 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में भी भारत ने पाकिस्तान को बुरी तरह हराया था और नतीजा इस बार भी नहीं बदला.
इस बार भारतीय गेंदबाजी के हीरो रहे सुशांत मिश्रा. बाएं हाथ के इस तेज गेंदबाज ने टूर्नामेंट का अपना सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया और सिर्फ 28 रन देकर 3 विकेट हासिल किए.
यशस्वी ने 105 रन बनाए और दिव्यांश सक्सेना ने भी 59 रन बनाए. भारत ने 10 विकेट से मैच जीतकर लगातार तीसरी और कुल सातवीं बार वर्ल्ड कप के फाइनल में जगह बनाई.
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