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आईपीएल का एक और सीजन खत्म हो गया है और एक बार फिर मुंबई इंडियंस लीग की चैंपियन बनकर सामने आई है. कई नजदीकी मैच देखने को मिले और बैंगलोर-कोलकाता जैसी बड़े सितारों से भरी टीमों को लगातार हारते भी देखा.
हमने डेविड वॉर्नर की शानदार वापसी देखी, तो सुरेश रैना जैसे दिग्गज का संघर्ष भी. कई बड़े नाम इस बार असर छोड़ने में नाकाम रहे, लेकिन इनके बीच कई नए खिलाड़ी अपना नाम बनाने में कामयाब हुए.
हर सीजन की तरह इस बार भी कुछ ऐसे खिलाड़ी आए, जिन्होंने अपने ‘गेम से नेम’ बनाया.
सबसे पहले बात सीजन के एमर्जिंग प्लेयर की. 2018 में अंडर-19 वर्ल्ड कप से नाम बनाने वाले गिल ने पिछले साल आईपीएल के कुछ मैचों में अपनी प्रतिभा दिखाई. हालांकि, इस सीजन में गिल ने सही मायनों में टीम में अपनी जगह बनाई और दिखा भी दिया कि क्यों उन्हें इतना हाई रेट किया जाता है.
केकेआर के लिए खेलते हुए गिल ने ज्यादातर तीसरे या चौथे नंबर पर बैटिंग की लेकिन सफलता नहीं मिली. हालांकि, जब ओपनिंग में गिल को मौका मिला तो उन्होंने खुद को साबित किया.
राजस्थान रॉयल्स के 26 साल के लेग स्पिनर गोपाल वैसे तो 2014 से IPL का हिस्सा हैं, लेकिन उन्हें पिछले 2 सीजन में अच्छा नाम मिला है. खासतौर पर, 2019 का ये सीजन उनके करियर का टर्निंग प्वॉइंट साबित हो सकता है.
राजस्थान का प्रदर्शन भले ही उम्मीद के मुताबिक नहीं था, लेकिन गोपाल इस पूरे सीजन में एक चमकती हुई उम्मीद की तरह सामने आए. 14 मैच में 20 विकेट लेकर गोपाल चौथे स्थान पर रहे.
खलील यूं तो टीम इंडिया के लिए डेब्यू कर चुके हैं और ज्यादा प्रभावित करने में असफल रहे, लेकिन इसका हिसाब उन्होंने आईपीएल में निकाला. खलील ने हैदराबाद की ओर से सीजन में सिर्फ 9 मैच खेले, लेकिन प्रदर्शन ऐसा कि दिग्गज भी चौंक जाएं. खलील ने सिर्फ 11 के स्ट्राइक रेट से 19 विकेट लिए और हैदराबाद के नंबर एक गेंदबाज रहे.
21 साल के खलील का नाम वर्ल्ड कप के लिए जाने वाली भारतीय टीम में तो नहीं आ पाया, लेकिन उन्होंने अपने प्रदर्शन से दिखाया कि जरुरत पड़ने पर वो टीम इंडिया के लिए जिम्मेदारी निभा सकते हैं.
मुंबई को खिताब तक पहुंचाने में इस स्पिनर के योगदान को नहीं भुलाया जा सकता. सिर्फ 19 साल की उम्र में चेन्नई जैसी दिग्गजों से भरी टीम के सामने एक नहीं बल्कि दो बार, वो भी क्वालीफायर और फाइनल में बिल्कुल परिपक्व प्रदर्शन. चाहर इस सीजन की सबसे बड़ी खोज हैं.
इस दौर में भारतीय क्रिकेट में सबसे प्रतिभाशाली युवा खिलाड़ी. शॉ ने अंडर-19 टीम और फिर आईपीएल 2018 में इसकी झलक दिखाई भी. नतीजा, उन्हें टेस्ट टीम में मौका मिला. हालांकि ये सीजन 2-3 गिनी-चुनी पारियों के अलावा कुछ खास सफलता लेकर नहीं आया.
इसके बावजूद शॉ ने कुछ मौकों पर दिखाया कि उनको सिर्फ सपोर्ट की जरूरत है. हैदराबाद के खिलाफ एलिमिनेटर में शॉ के तेज अर्धशतक की बदौलत दिल्ली ने अच्छी शुरुआत की और मैच जीता.
कई नए खिलाड़ियों के बड़े प्रदर्शन के बीच रियान पराग को भुलाया नहीं जा सकता. राजस्थान के लिए खेलते रहे 17 साल के पराग आईपीएल इतिहास में अर्धशतक लगाने वाले सबसे युवा बल्लेबाज बने. हालांकि, पराग की उपलब्धि सिर्फ ये नहीं है, बल्कि जिन परिस्थितियों में उन्होंने टीम के लिए रन बनाए वो जानना जरूरी है.
सीजन के अपने आखिरी मैच में जब दिल्ली के खिलाफ बल्लेबाज ढेर होते चले गए, रियान अंत तक टिके रहे और फिफ्टी लगाकर टीम को कुछ सम्मानजनक स्तर पर ले गए.
बैंगलोर के खराब सीजन का सबसे बड़ा कारण खराब गेंदबाजी और फील्डिंग रही. इन सबके बीच तेज गेंदबाज नवदीप सैनी ने सबको प्रभावित किया. न सिर्फ अपनी रफ्तार से बल्कि उसके सही इस्तेमाल से. इस सीजन में लीग की सबसे तेज 10 गेंदों में से 4 सैनी के ही हाथों से निकली.
भले ही सैनी को सिर्फ 11 विकेट मिले, लेकिन उन्होंने दिखाया कि अगर सही बॉलिंग पार्टनर और अच्छा सपोर्ट मिले तो वो कहर ढा सकते हैं. यही कारण है कि सैनी को वर्ल्ड कप के लिए स्टैंडबाय पर रखा गया है.
इस खिलाड़ी के बारे में बात करना जरूरी है. राजस्थान के बुरे सीजन के बीच एक और बेहतरीन टैलेंट. आर्चर दुनिया की अलग-अलग लीग में पहले ही अपना नाम बना चुके थे और आईपीएल के पिछले सीजन में भी काफी विकेट लिए, लेकिन इस सीजन में सही मायनों में उनका नाम लोगों की जुबान में चढ़ा. कारण- किसी भी परिस्थिति में सटीक और किफायती गेंदबाजी. विकेट तो मिल ही रहे थे. आर्चर ने 11 मैचों में सिर्फ 6.76 के इकनॉमी से 11 विकेट लिए और अब वो इंग्लैंड के लिए भी अपना सही टैलेंट दिखा पा रहे हैं.
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