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विराट कोहली (Virat Kohli) एक बहादुर खिलाड़ी हैं. वो हर बार दुनिया के कुछ घातक गेंदबाजों के खिलाफ बल्लेबाजी के दौरान अपनी बहादुरी दिखाते हैं. लेकिन बुधवार 15 दिसंबर को मीडिया के सामने उनकी बहादुरी शायद लंबे समय में उनकी मदद नहीं करेगी.
हो सकता है कि विराट ने एक बड़ा गड्ढा खोदा हो जिससे उन्हें निकलने में समय लगे. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की शक्तियों के बारे में बात करने पर किसी भारतीय कप्तान से इस तरह की बहादुरी की उम्मीद नहीं की जाती है.
भारतीय कप्तान परंपरागत रूप से एक स्टैंड लेने या सच बोलने से कतराते रहे हैं, लेकिन इस मामले में कोहली औरों से अलग हैं.
ये कुछ ऐसा है जो कोई भी भारतीय क्रिकेटर नहीं करता है, क्योंकि वे नतीजों से डरते हैं. भारतीय खेल एक सामंती संरचना पर आधारित है, जिसे 1947 में भारत की आजादी से पहले से ही सिद्ध किया गया है, जिसमें सत्ताएं जो शासक हैं और खिलाड़ी उनकी प्रजा हैं.
कोहली के लिए ये भूल जाना शायद सबसे बड़ा पाप होगा. वो जो सच सोचते हैं उसे बोलने के नुकसान को शायद वो नहीं समझ पाए हैं.
यह एक मजेदार घटना है, क्योंकि कोहली एक कप्तान के रूप में अपने भाग्य के बारे में किसी और के फैसले पर बोल रहे हैं. पूरे नाटक में दूसरे लोगों, चयनकर्ताओं या यहां तक कि संयोजक ने भी बात नहीं की है.
हमारे पास बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली की बात थी, लेकिन जिस तरह से उन्होंने बात की, चयनकर्ताओं को शायद कम आंका गया. सारी समस्या तब शुरू हुई जब BCCI ने अपनी प्रेस रिलीज में एक लाइन में लिखा कि रोहित शर्मा अब ODI कप्तान होंगे. गांगुली की 'मजबूर' मीडिया उपस्थिति के कुछ दिनों बाद कोहली मीडिया के सामने आ रहे थे, जिसने शायद इस मुद्दे को और भी बढ़ा दिया.
इसलिए कोहली की प्रतिक्रिया गांगुली की मीडिया से बातचीच की प्रतिक्रिया थी. कोहली अपनी प्रतिक्रिया के लिए भुगत सकते हैं, लेकिन जो लोग उन्हें एकदिवसीय कप्तान के रूप में बर्खास्त करने के लिए गंभीर दृष्टिकोण रखते हैं, वो एक और कहानी बना सकते हैं.
कोई भी इस बात पर विवाद नहीं कर रहा है कि भारत को अपने एकदिवसीय मामलों को चलाने के लिए शायद एक नए चेहरे की जरूरत है. लेकिन निश्चित रूप से वो व्यक्ति जिसने तीनों प्रारूपों में भारत का नेतृत्व किया, वो बेहतर विदाई का हकदार था.
हालांकि, जो अच्छी रोशनी में नहीं है वो है BCCI में क्मयुनिकेशन का मानक. पिछले एक साल के मामलों को ही लें., जब इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में चली गई, तो उसके आसपास की जानकारी कम थी, फिर पूरी रोहित शर्मा की चोट की गाथा, ऑस्ट्रेलिया में चोटिल खिलाड़ियों के आसपास की बातचीत, फिर इस साल की शुरुआत में आईपीएल के आसपास का ड्रामा काटा जा रहा था.
कोचिंग सेट-अप में भी हमारे पास गार्ड ऑफ गार्ड था. नए कोच की नियुक्ति एक टी-20 वर्ल्ड कप मैच के बीच में हुई थी. राहुल द्रविड़ यहां हैं लेकिन उनके बाकी कर्मचारियों का आधिकारिक तौर पर अभी तक नाम नहीं लिया गया है, हालांकि सभी जानते हैं कि वो कौन हैं.
वीवीएस लक्ष्मण ने राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) में द्रविड़ से पदभार संभाला है, लेकिन हमें बीसीसीआई से कोई जानकारी नहीं है, तब निश्चित रूप से आईपीएल रिटेंशन, उसके नियम या तारीख के बारे में बुनियादी जानकारी गायब थी तो शायद कोहली का एकदिवसीय कप्तान के रूप में बर्खास्त होना कोई बड़ी बात नहीं है.
भारतीय खेल और क्रिकेट में प्रशासन से भिड़ने के बाद कोई नहीं बचा है. इसलिए कोहली ने खुद को नोटिस में रखा है. दक्षिण अफ्रीका दौरे पर उनकी ओर से कोई भी गलती शायद उनकी टेस्ट कप्तानी को भी खत्म कर देगी. इसलिए टेस्ट सीरीज में हार कुछ ऐसी है जो कोहली के लिए घातक साबित हो सकती है. इस बार उन्हें अपनी बर्खास्तगी के बारे में जानने के लिए 90 मिनट का समय मिला, शायद अगली बार ये मीडिया से हो!
कोहली को अपने शब्दों को बेहतर ढंग से चुनने की जरूरत थी और शायद इस लड़ाई को नहीं उठाना चाहिए. ये जंग अब कोहली के शब्द और बीसीसीआई के 'सूत्रों' के बीच है. कोहली हमेशा हारेंगे, क्योंकि वो केवल दो आयोजनों या मैचों के बीच प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपलब्ध होते हैं, जबकि हर फोन कॉल पर सूत्र उपलब्ध होते हैं!
कोहली के लिए सीरीज जीतना और बड़ा स्कोर बनाना ही इस मुद्दे का एकमात्र समाधान है. अभी के लिए, मामला शांत हो गया है, क्योंकि टीम दक्षिण अफ्रीका के लिए रवाना हो गई है, लेकिन नाटक अभी शुरू हुआ है.
जहां तक नए कोच द्रविड़ का सवाल है, तो वो शायद सोच रहे होंगे कि भारतीय क्रिकेट में वो हमेशा खुद को ड्रामा के बीच क्यों पाते हैं. जब द्रविड़ कप्तान बने तो ग्रेग चैपल-गांगुली का पूरा विवाद था और अब जब वो कोच बने हैं तो कप्तानी की पूरी गाथा शुरू हो गई है. आश्चर्य है!
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