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भारतीय महिला क्रिकेटर रेणुका सिंह ठाकुर अब वुमेंस प्रीमियर लीग (Women's IPL 2023) में भी जलवा बिखेरती नजर आएंगी. Women's IPL 2023 के लिए 13 फरवरी को हुए ऑक्शन में रेणुका सिंह ठाकुर को RCB ने 1.50 करोड़ रुपये में खरीद लिया. रेणुका ठाकुर के चयन से गांव में जश्न का माहौल है.
रेणुका हिमाचल प्रदेश जिला शिमला के रोहडू के लोअरकोटी गांव की रहने वाली हैं. वह प्रदेश की पहली ऐसी महिला क्रिकेट खिलाड़ी बन गई हैं जो सबसे ज्यादा प्लेइंग फीस लेकर खेलेंगी.
आज रेणुका ठाकुर खूब वाहवाही बटोर रहीं हैं. लेकिन उनका ये सफर इतना आसान नहीं था. रेणुका जब तीन साल की थी तभी उनके पिता का निधन हो गया था.
रेणुका की मां सुनीता सिंह कहती हैं कि बेटी ने पिता के सपने को पूरा किया है. उन्होंने कहा कि रेणुका के पिता को हमेशा से क्रिकेट का शौक था और वह अपने बच्चों को क्रिकेटर बनाना चाहते थे. सुनीता बताती हैं कि पिता के सपने को पूरा करने के लिए रेणुका ने बचपन में ही क्रिकेटर बनने की ठान ली थी. क्रिकेट के प्रति बेटी के शौक को देखते हुए पिता उसे विनोद कांबली कहा करते थे.
रेणुका के पिता केहर सिंह की मौत बाद मां सुनीता सिंह को नौकरी मिल गई. पिता का सपना था कि दोनों बच्चे क्रिकेटर बने. लेकिन सुनीता को इतनी सैलरी नहीं मिलती थी कि वे दोनों बच्चों के क्रिकेट खेलने का खर्च उठा सकें. ऐसे में बहन के सपने को पूरा करने के लिए भाई ने अपने खेल की कुर्बानी दे दी.
रेणुका ठाकुर ने पिता की याद में एक टैटू अपने बाजू पर गुदवाया है. इसमें एक पिता बेटी को हवा में उछाल रहा है. टैटू में रेणुका के पिता की जन्म और निधन की तिथि भी लिखी है. कॉमनवेल्थ गेम्स में भी यह टैटू खूब चर्चा में रहा था.
रेणुका की मां ने बताया कि पिता के सपने को पूरा करने के लिए रेणुका एक छोटे से ग्राउंड में लड़कों के साथ खेलती थी. एक दिन रेणुका के चाचा भूपिंद्र सिंह ने उसे खेलते हुए देखा. इस पर उन्होंने खुद बैट पकड़ा और रेणुका को बॉलिंग करने के लिए कहा. इस दौरान चाचा को रेणुका में स्टार क्रिकेटर की झलक दिखी तो उन्होंने उसे कांगड़ा में क्रिकेट एकेडमी में भेज दिया.
रेणुका HPCA की धर्मशाला एकेडमी के लिए चुनी गई. यहां उन्होंने कोच पवन सेन से क्रिकेट की बारीकियां सीखीं. साल 2019 में रेणुका ने वनडे टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा 23 विकेट लिए थे.
रेणुका के चाचा भूपिंद्र सिंह कहते हैं कि जब पहली बार रेणुका को खेलते हुए देखा तो लगा कि वह अच्छा कर सकती है और आगे खेल सकती है. लिहाजा 13 साल की उम्र में उसे धर्मशाला एकेडमी भेजा था. उन्होंने रेणुका की कामयाबी का श्रेय HPCA के अधिकारी अमिताव शर्मा, विशाल और कोच पवन सेन को दिया है.
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