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कॉमनवेलथ खेलों (Commonwealth Games) में रविवार को वेटलिफ्टिंग में भारत को एक और गोल्ड मिला. 20 साल के अचिंता शेउली (Achinta Sheuli) ने पुरुषों के 73 किग्रा वर्ग में रिकॉर्ड 313 kg (143 kg + 170 kg) का वजन उठाकर भारत की झोली में एक और गोल्ड डाल दिया. शेउली ने पहले स्नैच राउंड में 140 kg और 143 kg भार उठाकर रिकॉर्ड बनाया फिर 166 किग्रा और 170 किग्रा भार उठाकर क्लीन एंड जर्क राउंड में भी रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया.
भारत का नया सितारा चमक रहा है, प्रधानमंत्री से राष्ट्रपति तक सब बधाई दे रहे हैं, लेकिन चमकने से पहले यही सितारा कितने अंधेरों से होकर गुजरा है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है.
आपके जेहन में ये सवाल आ सकता है कि अचिंता ने अपना मेडल अपने भाई को ही क्यों समर्पित किया. दरअसल अचिंता घर की परिस्थितियों से बुरी तरह प्रभावित रहे हैं. उनके पिता मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते थे.
2013 में पिता की मृत्यु हो गई जिसके बाद अचिंता के बड़े भाई आलोक ने परिवार का खर्च चलाने के लिए वेटलिफ्टिंंग छोड़ने का फैसला कर लिया. इससे पहले वे भी वेटलिफ्टिंग करते थे. घर का खर्च चलाने के लिए उनकी मां सिलाई और अन्य काम करती थी. इस तरह परिवार के समर्थन से अचिंता ने वेटलिफ्टिंग पर ध्यान केंद्रित किए रखा. उनके बड़े भाई आलोक ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि
अचिंता के मेडल जीतने के बाद आलोक ने कहा कि "2020 में राज्य सरकार ने एक पुरस्कार दिया था. कोई नहीं जानता कि हमारे गांव का एक लड़का राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लेने गया है. राज्य के खेल मंत्री भी नहीं जानते, हमें सरकारी मदद की जरूरत है. हमें अभी नहीं पता कि वे मेडल जीतने के बाद कितना पैसा देंगे"
अचिंता के बचपन के कोच अस्तम दास ने पुराने दिनों की याद दिलाते हुए कहा कि ''जब मैंने पहली बार अचिंता को देखा, तो वह बहुत दुबले-पतले थे और उनमें वेटलिफ्टिंग की शक्ल बिल्कुल भी नहीं थी. लेकिन उसके स्पीड थी जो किसी भी खेल में एक एथलीट के लिए बहुत महत्वपूर्ण है." उन्होंने आगे कहा कि
अचिंता ने पहली बार 2013 में गुवाहाटी में नेशनल इवेंट में भाग लिया और चौथे स्थान पर रहे. 2018 में उन्होंने खेलो इंडिया यूथ गेम्स में गोल्ड जीता. जुलाई 2019 में कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैंपियनशि में जूनियर और सीनियर दोनों कैटेगिरी में मेडल जीते. अचिंता ने पिछले साल ताशकंद में जूनियर विश्व चैंपियनशिप में भी सिल्वर मेडल जीता था. अब बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में गोल्ड जीतकर अपनी अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि हासिल की है.
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