Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Sports Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Tokyo Olympics छोड़ने पर सिमोन बाइल्स की आलोचना मत कीजिए, सबक लीजिए

Tokyo Olympics छोड़ने पर सिमोन बाइल्स की आलोचना मत कीजिए, सबक लीजिए

simone biles का केस उन लोगों के लिए सबक है जो खिलाड़ियों से व्यक्तिगत जीवन को त्यागने की अपेक्षा रखते हैं

आशुतोष कुमार सिंह
स्पोर्ट्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>सिमोन बाइल्स: मेंटल हेल्थ को महत्व,भारत क्या सीख सकता है&nbsp;</p></div>
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सिमोन बाइल्स: मेंटल हेल्थ को महत्व,भारत क्या सीख सकता है 

(फोटो- अलटर्ड बाई क्विंट)

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चार बार की ओलंपिक गोल्ड मेडल विनर अमेरिकी जिम्नास्ट सिमोन बाइल्स (Simone Biles) ने टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) के फाइनल में मेडिकल कंडीशन के कारण नहीं भाग लेने का निर्णय लिया है. सिमोन बाइल्स ने इसके लिए "ट्वीस्टीज" नामक मेंटल हेल्थ कंडीशन को कारण बताया. कुछ लोग सिमोन की आलोचना कर रहे हैं कि उन्होंने देश से पहले अपनी सेहत का ख्याल रखा. वैसे भारतीयों के लिए यह किस्सा नया नहीं है. खेल के पहले व्यक्तिगत जीवन को तरजीह देने पर भारत के 'ट्विटर वीरों' का एक ही आदेश होता है- "आपको अपनी नेशनल ड्यूटी पहले करनी चाहिए".

सिमोन बाइल्स के फैसले के बाद से ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य और डिप्रेशन के बारे में बहुत चर्चा है, विशेष रूप से एथलीटों से संबंधित. इस मुद्दे पर बड़े सेलिब्रिटी से लेकर आम आदमी तक कमेंट कर रहे हैं. जहां कई ने सिमोन के द्वारा देश के लिए मेडल से पहले अपने मानसिक स्वास्थ्य को रखने की तारीफ की, वहीं कई ने उन्हें 'डरपोक' कहा तथा उनकी देशभक्ति पर भी सवाल उठा दिया.

विराट कोहली के 'पैटरनिटी लीव' से उनके देशभक्ति पर सवाल क्यों ?

भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने नवंबर 2020 में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के दौरान अपने पहले बच्चे के जन्म के समय अपनी पत्नी अनुष्का शर्मा के साथ रहने का निर्णय लिया और अंतिम तीन टेस्ट से छुट्टी ली.यहां भी कुछ फैन ने विराट का खेल के पहले परिवार को महत्त्व देने की तारीफ की वहीं कईयों ने उनकी 'देशभक्ति' और 'प्रोफेशनलिज्म' पर ही सवाल उठा दिया.

एक के अनुसार विराट "नेशनल ड्यूटी" पर थे और इसलिये व्यक्तिगत कारण से छुट्टी नहीं ले सकते.

एक ने कहा "मैं आपका बहुत बड़ा फैन हूं लेकिन जब एक आदमी नेशनल ड्यूटी पर होता है तो और कुछ महत्वपूर्ण नहीं होना चाहिए क्योंकि देश पहले आता है. अगर आर्म्ड फोर्स के लोग भी यही करें तो सोचिए क्या होगा"

धोनी के 'पैटरनिटी लीव' ना लेने के फैसले को मानदंड क्यों माना जाए ?

आईसीसी वर्ल्ड कप 2015 में तब के भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अपने पहले बच्चे के जन्म के समय टीम के साथ बने रहने और 'नेशनल ड्यूटी' को तरजीह देने का विकल्प चुना था. लेकिन यह उनका व्यक्तिगत निर्णय था उसे हर एथलीट के देशभक्ति सिद्ध करने का मानदंड क्यों बनाया जाए?

विराट के देशभक्ति पर सवाल उठाते समय 'ट्विटरजीवी' धोनी की मिसाल देना नहीं भूलते.

सीरीज हारने पर पत्थरों और जलते पुतले से स्वागत

क्या भारतीय क्रिकेट टीम ने अपने फैंस के साथ यह कॉन्ट्रैक्ट किया है कि अगर टीम पिच पर अच्छा प्रदर्शन नहीं करती है तो उन्हें शारीरिक और मानसिक क्षति पहुंचाने की छूट होगी?क्योंकि भारत में ऐसे उदाहरणों की बाढ़ है जब खराब प्रदर्शन के बाद खिलाड़ियों के घर पर पत्थर बरसाए गए और उनके पुतले जलाए गए.

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2014 T20 वर्ल्ड कप के फाइनल में श्रीलंका के हाथों हार के बाद युवराज सिंह के घर पर हमला, 2007 आईसीसी वर्ल्ड कप से जल्द बाहर हो जाने पर महेंद्र सिंह धोनी के घर पर हमला, 1992 वर्ल्ड कप हार के बाद भारतीय कैप्टन मोहम्मद अजरुदीन को निशाना बनाया जाना- उदाहरणों की कमी नहीं है जब खिलाड़ियों को मानसिक तौर पर 'फैंस' द्वारा परेशान किया गया.

भारतीय आर्म्ड फोर्स में बढ़ता सुसाइड - लेकिन मेंटल हेल्थ पर चर्चा नहीं

23 मार्च 2021 को रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने राज्यसभा में लिखित जवाब दिया कि 2014 से अब तक 787 जवानों ने खुदकुशी कर ली है.इसमें आर्मी से 591, नेवी से 36 और एयरफोर्स से 160 सुसाइड मामले थे.

रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक रेगुलर और पैरामिलिट्री बलों के जवानों में आत्महत्या करने वालों की संख्या एक्शन में मरने वालों से ज्यादा है .रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी 1 जनवरी 2014 से 31 मार्च 2017 के बीच सुसाइड के आंकड़े के अनुसार हर 3 दिन में एक आर्म्ड फोर्स का जवान आत्महत्या कर लेता है.

महिला जवानों की स्थिति और खराब है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो और ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट के आंकड़ों के अनुसार 2014 में केंद्र फोर्स में महिला जवानों की हिस्सेदारी मात्र 2% थी जबकि कुल सुसाइड में 40% से भी अधिक.

लेकिन आम जनता के बीच सेना के जवानों की देशभक्ति और 'नायकत्व' की बात ही प्रमुख रूप से मौजूद है. उनके मेंटल हेल्थ पर चर्चा नाम मात्र की है.

सिमोन बाइल्स का यह निर्णय नजीर है

27 जुलाई को पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए सिमोन बाइल्स ने अपने स्थिति के बारे में बताया कि उन्हें "ट्वीस्टीज़" का सामना करना पड़ रहा है. यह एक मेंटल हेल्थ कंडीशन है जो विशेष रूप से जिम्नास्ट को प्रभावित करती है.

इस स्थिति में जिम्नास्ट ग्रेविटी के खिलाफ हवा में छलांग मारता तो है लेकिन लैंडिंग के समय दिमाग उसके आदेश को स्वीकार नहीं करता. यह स्थिति एक एथलीट के लिए खतरनाक है.

शायद सिमोन बाइल्स के द्वारा मानसिक स्वास्थ्य को मेडल और देशभक्ति के समीकरण से ज्यादा महत्व देना उदाहरण बनेगा. खासकर भारत के खेल 'प्रेमियों' के लिए. शायद वह समझने की कोशिश करें कि एथलीट भी आम इंसान ही है- खेल,मेडल तथा देशभक्ति में फर्क है और इन तीनो में से किसी को चुनने की बारी आई तो एथलीट चौथे विकल्प 'मेंटल हेल्थ' को चुन सकता है.

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