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भारत के लिए टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में दूसरा दिन कुछ शानदार जीत के साथ साथ कई निराशाजनक हार से भरा रहा. जहां भारत की तीन महिला एथलीटो- मैरी कॉम (Mary Kom), पीवी सिंधु (PV Sindhu) और मनिका बत्रा (Manika Batra) ने अपने-अपने मुकाबले में शानदार जीत के साथ भारत की उम्मीदों को जीवित रखा, वहीं दूसरी तरफ भारतीय पुरुष हॉकी टीम को ऑस्ट्रेलिया के हाथों 7-1 की करारी शिकस्त झेलनी पड़ी.
टोक्यो ओलंपिक के दूसरे दिन भारतीय पुरुष एथलीटों के लिए एकमात्र सकारात्मक खबर सी फॉरेस्ट वाटरवे के मुकाबले से आई जहां भारत के अर्जुन लाल जाट और अरविंद सिंह की जोड़ी रेपचेज रेस में तीसरे स्थान पर रही और उन्हें सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई करने मे सफलता मिली.
बॉक्सिंग रिंग में, मैरी कॉम हमेशा की तरह शानदार रहीं. उन्होंने 51 किग्रा वर्ग डोमिनिकन रिपब्लिक की 15 साल जूनियर प्रतिद्वंदी मिगुएलिना हर्नांडेज को तीनो राउंड में हराया.
आज पीवी सिंधु का मुकाबला अपने से बहुत कम रैंक वाली इजरायली प्रतिद्वंदी केन्सिया के खिलाफ था. लेकिन उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी को हल्के में नहीं लिया और 21-7 21-10 से हराया.
टेबल टेनिस में मनिका बत्रा ने पहले दो गेम में पिछड़ने के बाद महिला एकल के दूसरे दौर में यूक्रेन की मार्गेरी पेसोत्स्का पर शानदार जीत हासिल की.
टोक्यो ओलंपिक का दूसरा दिन युवा निशानेबाज मनु भाकर के लिए काफी निराशाजनक रहा. बंदूक में खराबी आ जाने के कारण वो वुमन 10 मीटर एयर पिस्टल में 12वें नंबर पर रही और फाइनल में क्वालीफाई नहीं कर पायी. इसी इवेंट में यशस्वी सिंह देसवाल 13वें स्थान पर रही.
मेंस 10 मीटर एयर राइफल में दिव्यांश सिंह पवार और दीपक कुमार क्रमश 26 और 32 वें स्थान पर रहे.
टेनिस कोर्ट से भी भारत के लिए टोक्यो ओलंपिक का दूसरा दिन निराशाजनक रहा. मल्टीपल टाइम ग्रैंड स्लैम विनर सानिया मिर्जा और अंकिता रैना की जोड़ी शुरूआती राउंड में ही बाहर हो गई. अब टेनिस में सिर्फ मेंस सिंगल्स में सुमित नागल ही भारत के अंतिम उम्मीद हैं.
कॉन्टिनेंटल कोटे से ओलंपिक में क्वालीफाई करने वाली जिम्नास्ट प्रणति नायक रविवार को तय किए गए 5 उपकरणों में से किसी में भी 24 खिलाड़ियों के फाइनल में पहुंचने में नाकाम रही.
बॉक्सर मनीष कौशिक, टेबल टेनिस खिलाड़ी जी साथियान और तैराक माना पटेल और श्रीहरि नटराज भी अपने-अपने इवेंट में अगले दौर में जगह बनाने में नाकाम रहे.
यह सारी शिकस्त इस तथ्य की ओर इशारा करती हैं कि भारत को खेल महाशक्ति बनने के लिए एक लंबा सफर तय करना है. यह इस बात का भी संकेत है कि देश में जहां खेल प्रतिभा की अपार संभावनाएं हैं, वहीं इसमे उचित वैज्ञानिक तकनीकों का दुखद रूप से अभाव है.
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