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जेफ बेजोस, रिचर्ड ब्रैनसन और एलन मस्क के बीच स्पेस टूरिज्म रेस की वजह क्या है?

Richard Branson की अंतरिक्ष की ओर उड़ान आज, क्रू में भारतीय मूल की सिरिशा बांदला भी

प्रदीप
साइंस
Updated:
<div class="paragraphs"><p>Richard Branson और क्रू की उड़ान आज</p></div>
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Richard Branson और क्रू की उड़ान आज

(फोटो-वर्जिन गेलेक्टिक)

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वर्जिन गेलेक्टिक (Virgin Galactic) के संस्थापक रिचर्ड ब्रैनसन (Richard Branson) और कंपनी के पांच क्रूमेट आज,रविवार को अंतरिक्ष में एक ऐतिहासिक राइड लेने के लिए तैयार हैं.इस कॉमर्शियल स्पेस फ्लाइट में भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक सिरिशा बांदला भी हैं,जो कंपनी में सरकारी मामलों और अनुसंधान कार्यों की उपाध्यक्षा हैं. यह वर्जिन के VSS यूनिटी स्पेसप्लेन के लिए चौथा पायलटेड स्पेसफ्लाइट होगा और कुल मिलाकर 22वां. लेकिन यह पहली दफा होगा जब 6 लोग ऑनबोर्ड होंगे.

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अंतरिक्ष में सैर करने की इंसान की चाहत बहुत पुरानी है। इसे व्यावहारिक रूप से संभव और सुगम बनाने में दुनिया की दो तीन दिग्गज कंपनियां जुटी हुई हैं.

इन दिनों अंतरिक्ष की सैर करने के लिए दो दिग्गज अरबपतियों के बीच इस कदर होड़ लगी हुई है मानो उनके लिए पृथ्वी पर जमीन कम पड़ गई हो. कुछ समय पहले ही अमेजॉन के संस्थापक जेफ बेजोस ने 20 जुलाई को ब्‍लू ऑरिजिन के न्यू शेपर्ड की पहली स्पेस फ्लाइट में शामिल होने का एलान किया था. अगर ऐसा होता तो इस साल अंतरिक्ष में जाने वाले बेजोस पहले अरबपति होते, लेकिन अब उन्हें एक दूसरे कारोबारी,रिचर्ड ब्रैनसन से चुनौती मिली. प्राइवेट स्पेस एजेंसी वर्जिन गैलेक्टिक के संस्थापक रिचर्ड ब्रैनसन बेजोस से 9 दिन पहले, 11 जुलाई को ही अंतरिक्ष की सैर पर जाने वाले हैं.

पूरी तस्वीर बदल सकती हैं ये उड़ानें

अंतरिक्ष विज्ञानियों की मानें तो अगर रिचर्ड ब्रैनसन और जेफ बेजोस की ये उड़ानें सफल हो जाती हैं तो जल्द ही पूरा परिदृश्य बदल सकता है. वैसे भी अगले साल तक वर्जिन गैलेक्टिक की अमेरिका में कॉमर्शियल स्‍पेस ट्रैवल की शुरुवात करने की योजना है, जिसके तहत लोगों से पैसे लेकर अंतरिक्ष की सैर कराई जाएगी.

जब तक परिभाषा में कोई फेरबदल नहीं होता तब तक प्रत्येक अंतरिक्ष पर्यटक को ‘अंतरिक्ष यात्री’ होने का रुतबा भी हासिल होगा. इस उपलब्धि को पाने के लिए दुनिया भर के रोमांच प्रिय अरबपति लाखों डॉलर खर्च करने में कोई गुरेज नहीं करेंगे. यह तो उन लोगों के लिए एक वैश्विक ‘स्टेटस सिंबल’ हासिल करने जैसा ही होगा.

स्पेस टूरिज्म की शुरुआत

ज्यादातर लोगों के लिए अंतरिक्ष की सैर एक ऐसे सपने के जैसा है, जो कभी भी पूरा नहीं हो सकता. 28 अप्रैल 2001 को डेनिस टीटो को पहला अंतरिक्ष पर्यटक होने का गौरव हासिल हुआ. टीटो कोई पेशेवर अंतरिक्ष यात्री नहीं हैं. टीटो रूस के एक धनी व्यवसायी हैं, उन्होने सोयुज अंतरिक्ष यान में एक सीट के लिए रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस और अमेरिकी कंपनी स्पेस एडवेंचर लिमिटेड को 20 मिलियन अमेरिकी डॉलर का भुगतान किया था. उनकी 10 दिवसीय रोमांचक यात्रा 6 मई 2001 को खत्म हुई और वे सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लौट आए.

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा लंबे समय से अंतरिक्ष पर्यटकों की मेजबानी करने में संकोच करता रहा है, इसलिए रूस ने 1990 और 2000 के दशक में शीत युद्ध के बाद धन के स्रोतों की तलाश में कई दौलतमंद शख्शियतों को पैसे के एवज में अंतरिक्ष की सैर कराई. हालांकि पिछले 20 वर्षों में सिर्फ सात लोगों ने ही पैसे देकर अंतरिक्ष पर्यटन का आनंद लिया है, लेकिन यह संभावना जताई जा रही है कि यह संख्या अगले 12 महीनों में दुगुनी हो सकती है! ऐसा लगता है कि निजी स्पेस कंपनियों के उदय से अमीर लोगों को अंतरिक्ष का अनुभव कराना आसान हो जाएगा.

अंतरिक्ष का सफर करीब

जहां रिचर्ड ब्रैनसन की कंपनी वर्जिन गैलेक्टिक और जेफ बेज़ोस की स्पेस कंपनी ब्‍लू ऑरिजिन पर्यटकों को अंतरिक्ष के छोर तक का सफर कराना चाहती है, वहीं विलियम ई. बोइंग द्वारा स्थापित कंपनी ‘बोइंग’ और इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स नासा के सहयोग से बनाए गए स्पेस कैप्सूलों में टूरिस्टों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर ले जाना चाहती है. 2023 तक स्पेसएक्स पैसे लेकर लोगों को चाँद की सैर कराना चाहती है.

नासा ने भी पर्यटन के उद्देश्य से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को 2021-22 तक खोलने का निर्णय किया है. इस फैसले के पीछे की वजह यह माना जा रहा है कि स्पेस स्टेशन का रख-रखाव (संचालन) नासा के लिए बहुत खर्चीला साबित हो रहा है, लिहाजा वह वहाँ पर कॉमर्शियल एक्टिविटीज को प्रोत्साहित करना चाहती है.

अंतरिक्ष नीति विश्लेषक वेंडी व्हिटमैन कोब्बे के मुताबिक वर्जिन गैलेक्टिक, ब्लू ऑरिजिन और स्पेसएक्स जैसी कंपनियों की हालिया घोषणाएं एक ऐसे युग की शुरुआत हैं जिसमें ज्यादा-ज्यादा लोग अंतरिक्ष पर्यटन का लुत्फ उठा सकते हैं. अंतरिक्ष में मानवता के भविष्य का निर्माण करने की उम्मीद में, ये कंपनियां जनसामान्य के लिए अंतरिक्ष यात्रा को सुरक्षा और विश्वसनीय बता रही हैं.

आसान नहीं है राह

वहीं पर्यावरण पत्रकार और फिक्शन राइटर सिम केर्न इस विषय पर आलोचनात्मक रुख रखती हैं. उनका कहना है कि ब्रैनसन और बेजोस विज्ञान को आगे बढ़ाने या मानवता की सीमा का विस्तार करने के लिए अपने पैसे नहीं खर्च कर रहे हैं, बल्कि उन्होंने अपना पैसा ही एक ऐसी प्रणाली से बनाया है जो उसी ग्रह को तेजी से नष्ट कर रहा है जिस पर हम रहते हैं. केर्न के मुताबिक अन्तरिक्ष में जाना जलवायु परिवर्तन जैसी असल समस्याओं से मुंह मोड़ना है क्योंकि ये अरबपति अपनी अकूत संपत्ति से अंतरिक्ष में पृथ्वी से ज्यादा आरामदायक जगह बनाने में समर्थ नहीं हैं.

इन दिग्गज कारोबारियों द्वारा दिखाए जा रहे सपने को केर्न ‘स्पेस यूटोपिया’ नाम दे रहे हैं. केर्न ने यह सब जानकारी ‘सलोन’ में ‘नो, बिलिनियर्स वोंट ‘इस्केप’ टू स्पेस वाइल द वर्ल्ड बर्न्स’ शीर्षक से प्रकाशित एक लेख में दी है. केर्न बताते हैं कि सिर्फ पांच लोग अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन पर रह सकें इसलिए यहां धरती पर हजारों लोगों को दिन रात एक करना पड़ता है.

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एक सस्ती संभावना : सबऑर्बिटल लॉन्चिंग

पहले स्पेस टूरिस्ट डेनिस टीटो की तरह अंतरिक्ष की उड़ाने (ऑर्बिटल लॉंचिंग) खासा महंगी हैं, इसकी वजह यह है कि एक रॉकेट को पृथ्वी की कक्षा से बाहर दाखिल होने में काफी ईंधन और रफ्तार की दरकार होती है. इसकी बजाय एक सस्ती संभावना सबऑर्बिटल लॉंचिंग है. मतलब आर्टिफ़िशियल सैटेलाइट्स की कक्षा से नीचे की यात्रा.

इसमें यह होगा कि एक रॉकेट अंतरिक्ष के किनारे तक पर्याप्त ऊंचाई हासिल करने के बाद वापस नीचे आ जाएगा. यह उसी तरह का उड़ान है जिसे वर्जिन गैलेक्टिक और ब्लू ऑरिजिन अब पेश कर रही है. सबऑर्बिटल ट्रिप पर जाने वाले यात्रियों को अंतरिक्ष की भारहीनता और अविश्वसनीय दृश्यों का भी अनुभव होगा, और टूरिस्ट नीचे धीरे-धीरे घूमती हुई नीली-भूरी-सुनहरी पृथ्वी को भी निहार सकेंगे.

प्राइवेट स्पेस एजेंसियों को मौका

बात चाहे पृथ्वी की निचली कक्षा में जाने की हो या अंतरिक्ष यात्रियों को क्षुद्रग्रह, चांद या फिर मंगल तक पहुंचाने की. प्राइवेट स्पेस एजेंसियां इसके लिए कमर कस रही हैं. लब्बोलुबाब यह है कि अब अंतरिक्ष की यात्रा सरकारों के कब्जे से धीरे-धीरे बाहर हो रही है और निजी कंपनियों के जरिए अंतरिक्ष में लोगों को ले जाने की घड़ी भी नजदीक आ गई है. वैसे भी नासा का स्पेस शटल प्रोग्राम 2012 में ही पूरी तरह से खत्म हो चुका है. यानी उसके सभी स्पेस शटल रिटायर हो गए हैं. ऐसे में नासा को भी अंतरिक्ष यात्रियों को लाने-ले जाने के लिए निजी कंपनियों के स्पेसक्राफ्ट्स पर निर्भर रहना होगा.

अंतरिक्ष यात्राओं का उद्देश्य क्या है?

अंतरिक्ष की यात्रा हमें बहुत आकर्षित करती है, क्या इसका मकसद अमीरों को अंतरिक्ष के सैर-सपाटे के लिए रिझाकर कमाई करना है, लंबी दूरी की अंतरिक्ष यात्राओं के लिए प्रेरित करना है या फिर भारी वित्तीय संकटों से जूझ रही सरकारी स्पेस एजेंसियों को स्पेस एक्स्प्लोरेशन के लिए आर्थिक और वैज्ञानिक संसाधन जुटाने में सहयोग करना है? आज आलम यह है कि तमाम परेशानियों से पार जाकर, प्रोजेक्ट की देरी को पीछे छोड़कर, कुछ कंपनियां अंतरिक्ष की सैर का सपना दिखा रही हैं.

यहां तक कि स्पेस टूर के पैकेज बेच रही हैं. अंतरिक्ष यात्राओं के मामले में पिछली सदी के उत्तरार्ध में शुरू हुआ हम इंसानों का सफर फिलहाल अपनी पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह- चंद्रमा तक ही ठहरा हुआ है. मौजूदा स्पेसक्राफ्ट्स में इतनी क्षमता ही नहीं है कि वे अपने साथ इंसान को चंद्रमा से पार ले जाकर सकुशल पृथ्वी पर वापस लौट सकें.

स्पेस एक्सप्लोरेशन महज रोमांच और जिज्ञासा का विषय नहीं है

अब तक ज्ञात ब्रह्मांड में केवल हमारी धरती पर ही जीवन है. और मानव जाति ने विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में इतनी प्रगति की है कि आज हम एक सुविधाजनक और सुरक्षित जीवन जीने में भी सक्षम हैं. मगर हमारी वर्तमान दुनिया राजनैतिक, सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टि से उथल-पुथल के दौर में है. ऐसी परिस्थिति में सवाल है कि क्या मानव जाति अपना वजूद अगले दो सौ वर्षों तक कायम रख पाएगी?

हम इंसानों के लिए सबसे डरावना भविष्य वह है, जिसमें मानव सभ्यता के ही खत्म हो जाने की कल्पना की जाती है. ये कल्पनाएं निराधार नहीं हैं. इस समय मानवजाति जलवायु परिवर्तन, परमाणु युद्ध, जैव विविधता का विनाश, ओजोन परत में सुराख, जनसंख्या में बेतहाशा बढ़ोत्तरी आदि समस्याओं के अलावा आसमानी खतरों, जैसे किसी उल्का या धूमकेतु के टकरा जाने के जानलेवा खतरे, का भी सामना कर रही है. और इस समय तो पूरी दुनिया ही कोरोना वायरस नामक एक ऐसे दुष्चक्र में फंसी है, जिससे निकलने के लिए असाधारण कदमों और उपायों की जरूरत है. अगर हालात काबू में न किए गए तो इससे धरती से जीवन के खत्म होने का ही संकट पैदा हो जाएगा.

बीसवीं शताब्दी तक हम सोचते थे कि हम बहुत सुरक्षित जगह पर रह रहे हैं, लेकिन अब स्थिति पूरी तरह से बदल चुकी है. मानव जाति के लुप्त होने के खतरे चिंताजनक रूप से बहुत अधिक और बहुत तरह से बढ़ गए हैं. महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग यह कहकर धरती से रुखसत हो चुके हैं कि महज 200 वर्षों के भीतर मानव जाति का अस्तित्व हमेशा के लिए खत्म हो सकता है और इस संकट का एक ही समाधान है कि हम अंतरिक्ष में कॉलोनियां बसाएं.

इसलिए अब अंतरिक्ष अन्वेषण महज रोमांच और जिज्ञासा का विषय न होकर, असलियत में यह आने वाली पीढ़ी और मानव जाति के वजूद को बचाए रखने के लिए हमारा कर्तव्य है. रिचर्ड ब्रैनसन का भी यह कहना है है कि ‘हम एक नए अंतरिक्ष युग में प्रवेश कर रहे हैं और मुझे विश्वास है कि हमें एक नई वैश्विक एकता बनाने में मदद मिलेगी.’

अंतरिक्ष में होटल लॉन्च करने की तैयारी

स्पेसएक्स के संस्थापक इलॉन मस्क का दावा है कि अगर सबकुछ ठीक ठाक रहा तो 2025 तक स्पेसएक्स इस स्थिति में आ जाएगा कि वह एक ही साल में हजारों अमीर पर्यटकों को अंतरिक्ष की सैर करा सके और इसके बदले भारी-भरकम कमाई कर सके. स्पेस टूरिज़्म की असीम संभावनाओं के मद्देनजर कुछ कंपनियों ने अंतरिक्ष में होटल बनाने की योजनाओं पर भी काम शुरू कर दिया है. ओरायन स्पान नामक कंपनी 2022 तक अपना स्पेस होटल लॉन्च करना चाहती है और 2023 तक उसमें मेहमानों की मेजबानी का इरादा रखती है. गेटवे फाउंडेशन नामक कंपनी चांद पर 2025 तक होटल लॉन्च करना चाहती है.

बहरहाल, हम यह कह सकते हैं कि अंतरिक्ष एक बार फिर इंसान के सपनों की नई मंजिल बन गया है और निजी कंपनियों के कारण मंजिल तक दौड़ तेज होने जा रही है.

(लेखक एक साइंस ब्लॉगर और विज्ञान लेखक हैं. वो लगभग 7 सालों से विज्ञान के विविध विषयों पर देश की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में लिख रहे हैं. उनकी एक किताब और तकरीबन 150 लेख प्रकाशित हो चुके हैं.)

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Published: 11 Jul 2021,11:28 AM IST

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