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भारत में फेसबुक को लेकर ताजा हेट स्पीच विवाद हुआ, जिसमें फेसबुक इंडिया की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर अंखी दास का नाम आया. इस पर गठित फेसबुक ओवरसाइट बोर्ड ने क्विंट को बताया है कि वो इस मामले में फेसबुक की जिम्मेदारी तय करने में कोई संकोच नहीं करेगा.
दुनियाभर के 20 इंडिपेंडेंट एक्सपर्ट वाले ओवरसाइट बोर्ड में भारत से सुधीर कृष्णास्वामी भी शामिल हैं. ये एक ऐसी स्वतंत्र संस्था है जो कंटेट मॉडरेशन से जुड़े मामलों में जांच करती है.
इस बोर्ड का ऐलान 7 मई को फेसबुक ने हेट स्पीच, निजता और फेक न्यूज जैसे मामलों के लिए किया था. इन मामलों में बोर्ड का फैसला आखिरी होता है कि कौन सा कंटेट फेसबुक पर रहेगा और कौन सा कंटेट फेसबुक से हटा लिया जाएगा. इस मामले में बोर्ड ने अब तक सुनवाई शुरू नहीं की है, लेकिन जल्द ही सुनवाई शुरू होगी.
बोर्ड ने इस बात पर जोर दिया कि वो 'अपने यूर्जर को सुरक्षा देने और फेसबुक की जिम्मेदारी तय करने के लिए प्रतिबद्ध' हैं. बोर्ड को ये अधिकार हैं कि फेसबुक और इंस्टाग्राम में कंटेट को लेकर जो भी चुनौतीपूर्ण मुद्दे आएं, उसमें वो अपने स्वतंत्र फैसले ले और उसको लागू कराए.
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में फेसबुक के पुराने और वर्तमान एम्पलॉई को कोट करते हुए लिखा था कि- अंखी दास ने चुनाव संबंधी मामलों में बीजेपी के मन का काम किया था, जिसमें उन्होंने बीजेपी नेताओं के हेट स्पीच पोस्ट को भी फेसबुक पर बने रहने के लिए मंजूरी दी थी.
फेसबुक के राजनीतिक भाषणों और पार्टियों से डील करने की पेचीदगी का संज्ञान लेते हुए बोर्ड ने कहा है- 'ये बेहद ही चुनौतीपूर्ण केस हैं जिसे बोर्ड सुनने वाला है.'
इन चुनौतियों की बात वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में की गई थी कि कैसे अंखी दास ने सरकार को खुश करने के लिए लॉबीइंग की कोशिश की और तभी साथ में वो फेसबुक के नियम बनाए रखने के लिए भी जिम्मेदार थीं.
रिपोर्ट में तीन विवादास्पद बीजेपी नेताओं - टी राजा सिंह, अनंत कुमार हेगड़े, और कपिल मिश्रा के उदाहरणों का हवाला दिया गया है - सभी नफरत भरे भाषण देने के लिए बदनाम हैं. फेसबुक के अपने कम्युनिटी गाइडलाइंस के अनुसार, इन नेताओं के पोस्ट तुरंत ही हटा दिए जाने चाहिए थे और उनके अकाउंट बंद कर दिए जाने चाहिए थे. लेकिन कथित तौर पर ऐसा नहीं हुआ. क्यों?
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