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साल 2014 में इराक में अगवा किए गए भारतीयों को लेकर संसद में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बयान के बाद मृतकों के परिवारों में कोहराम मच गया है. इस खबर से मृतकों के परिजन सकते में हैं. हर किसी का बस एक ही सवाल है कि सरकार ने उन्हें चार साल तक अंधेरे में क्यों रखा?
चार साल से गायब परिजनों के मारे जाने की खबर सुनकर परिवारवालों का रो-रोकर बुरा हाल है.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को राज्यसभा में इराक में अगवा किए गए 39 भारतीयों की मौत की पुष्टि की. स्वराज ने कहा कि आईएसआईएस ने जिन 39 भारतीयों को अगवा किया था, उन्हें मार दिया गया है.
विदेश मंत्री ने कहा कि सभी 39 शवों के डीएनए का मिलान करा लिया गया है. शवों को जल्द ही इराक से भारत लाया जाएगा.
इराक में मारे गए 39 भारतीयों में शामिल पंजाब के मनजिंदर सिंह की बहन गुरपिंदर कौर सदमे में हैं. उन्होंने कहा, ‘चार साल से विदेश मंत्रालय कह रहा है कि वे जिंदा हैं, समझ नहीं आ रहा किस बात पर भरोसा करूं. मैं विदेश मंत्री के साथ बातचीत का इंतजार कर रही हूं. अभी तक हमें कोई जानकारी नहीं दी गई है. हमने भी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का संसद में दिया गया बयान ही सुना.’
जालंधर के रहने वाले दविंदर सिंह भी नौकरी की तलाश में ईराक गए थे. उनकी पत्नी मंजीत कौर कहती हैं, ‘मेरे पति 2011 में इराक गए थे और मैंने उनसे आखिरी बार 15 जून 2014 को बात की थी. उनके अगवा होने के बाद हमें हमेशा यही बताया गया कि वो जिंदा हैं. हमारी सरकार से कोई डिमांड नहीं है.’
अमृतसर की रहने वाली हरजीत कौर के पति गुरचरण सिंह भी साल 2013 में इराक के शहर मोसुल गए थे. हरजीत कौर कहती हैं, ‘वह साल 2013-14 में मोसुल गए थे. वे (सरकार) अब तक कहते रहे कि सब ठीक है और अब यह कह रहे हैं.....कुछ समझ नहीं आ रहा क्या करूं.’
इराक में मारे गए 39 भारतीयों में से 31 पंजाब के रहने वाले थे. सभी परिवारों में मातम पसरा हुआ है. मृतकों के परिवारों को बस एक ही सवाल है कि सरकार ने उन्हें चार साल तक अंधेरे में क्यों रखा?
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