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भारत में अफगानिस्तान दूतावास (Afghanistan Embassy) सितंबर 2023 के अंत तक बंद होने की उम्मीद है. जानकारी के अनुसार, अफगानिस्तान दूतावास भारत में 2001 से चालू था.
रॉयटर्स ने दूतावास के तीन अधिकारियों के हवाले से बताया है कि राजदूत और अन्य वरिष्ठ राजनयिकों के देश छोड़ने के बाद यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में शरण लेने के बाद भारत में अफगान दूतावास ने सभी ऑपरेशन निलंबित कर दिए हैं.
अब सवाल है कि आखिर अफगानिस्तान भारत में अपने दूतावास को क्यों बंद रहा है और इसकी क्या वजह है? आइये यहां हम आपको बताते हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अफगानिस्तान दूतावास पिछले दो साल से आर्थिक रूप से मुश्किलों का सामना रहा था. इसे पिछली अशरफ गनी सरकार द्वारा नियुक्त राजनयिकों द्वारा चलाया जा रहा था, जिसे 2021 में तालिबान ने उखाड़ फेंका था.
ब्लूमबर्ग के अनुसार, ताजा डेवलपमेंट तालिबान राजनयिकों के लिए सत्ता संभालने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है. भारत ने अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा करने वाली तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है.
दो साल पहले अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी से पहले इसने काबुल से अपने कर्मचारियों को निकाल लिया था और अब वहां उसकी कोई राजनयिक उपस्थिति नहीं है.
इस बीच, दूतावास के अधिकारियों ने कहा कि कम से कम पांच अफगान राजनयिक भारत छोड़ चुके हैं.
अफगान अधिकारियों में से एक ने कहा कि भारत सरकार अब कार्यवाहक क्षमता में राजनयिक परिसर का अधिग्रहण करेगी.
विदेश मंत्रालय राजदूत की अनुपस्थिति में दूतावास को बंद करने और दूतावास कर्मियों के बीच अंदरूनी कलह की खबरों के संबंध में प्राप्त पत्र की प्रामाणिकता को सत्यापित करना चाहता है.
एक सरकारी सूत्र ने कहा, "संचार और इसकी सामग्री की प्रामाणिकता की जांच की जा रही है."
राजदूत फरीद मामुंडजे, कई महीनों से विदेश में रह रहे थे, भले ही उन्होंने दूतावास संचालन चलाने का दावा किया था.
अफगान ने दूतावास बंद करने के लिए भारत सरकार से समर्थन की कमी का हवाला दिया है.
दूतवास ने अपने बयान में कहा:
मामुंडजे और अन्य राजनयिकों ने पहले तालिबान द्वारा एक अफगान अधिकारी, कादिर शाह की राजदूत में नियुक्ति को रोक दिया था. अगर उन्हें सत्ता संभालने की अनुमति दी गई होती, तो शाह भारत में तालिबान के पहले दूत होते. हालांकि, मामुंडजे और अन्य लोगों ने शाह को मिशन में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी.
भारत व्यापार, मानवीय सहायता और चिकित्सा सहायता की सुविधा के लिए काबुल में एक छोटे मिशन वाले एक दर्जन देशों में से एक है. 2019-2020 में द्विपक्षीय व्यापार 1.5 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, लेकिन तालिबान सरकार के सत्ता में आने के बाद इसमें भारी गिरावट आई.
इस महीने की शुरुआत में अपने छात्र वीजा की अवधि समाप्त होने के बावजूद भारत में रह रहे सैकड़ों अफगान कॉलेज छात्रों ने भारत सरकार से अपने प्रवास की अवधि बढ़ाने का आग्रह करने के लिए नई दिल्ली में प्रदर्शन किया.
इनपुटः रॉयटर्स, ब्लूमबर्ग
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