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कल्पना कीजिए, आपके देश के कुछ हिस्सों को एक विद्रोही कट्टरपंथी समूह ने कब्जा कर लिया हो. आप बिना पुरुष के अपने घर से बाहर नहीं निकल सकते, हर घर के एक पुरुष को इस समूह में शामिल होना है और हथियार उठाना है, उन्हें अपना खाना देना है, उनके सभी आदेशों का पालन करना है. हर दिन बम विस्फोट, लोगों की मौत, उत्पीड़न. खौफनाक, है ना? यही आज अफगानिस्तान (Afghanistan) की सच्चाई है.
आज लगभग दो दशक बाद अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो सैनिकों की वापसी हो रही है. तालिबान की सेना तेजी से नए क्षेत्रों पर कब्जा करती जा रही है. पूरे अफगानिस्तान में युद्ध जैसी स्थिति बनी हुई है और अफगान नागरिकों की जान हर पल खतरे में हैं. एक वीडियो में फंसे हुए लोगों में से एक नागरिक बताता है कि एक तालिबान कमांडर का भाई अजमल आया और मेरी बेटी को ले गया, उसने मेरे साथ मारपीट की. यहां हमारी कोई सुनने वाला नहीं है,कोई मदद करने वाला नहीं है. जब हम मदद मांगते हैं तो हमारी कोई नहीं सुनता. हमको नहीं समझ आता कि क्या करना है कहां जाना है. यहां हमारी आवाज को सुनने वाला कोई नहीं है.
दिल्ली में ठहरे हुए एक अफगानी शरणार्थी कहते हैं कि आप नहीं जानते अफगानियों के हालात हैं. अफगानी कभी भी मारे जा सकते हैं. वे आज, 10 मिनट, 1 घंटे, एक महीने या एक दिन के बाद मारे जा सकते हैं, उनकी मौत निश्चित है.
अफगान आबादी का 75 फीसदी युवा 35 वर्ष से कम उम्र का हैं. अफगानिस्तान के युवा खुद को सिविल वॉर के लिए तैयार कर रहे हैं.
अफगानिस्तान के एक 25 वर्षीय युवा सलमान कहते हैं कि आप काबुल शहर को देख रहे हैं, यहां सबकुछ सामान्य और सुरक्षित दिखता है लेकिन सामान्य नहीं है. अफगानिस्तान के हर कोने में तालिबान से युद्ध हो रहा है. तालिबान ने कुछ दिन पहले ही काबुल में रक्षामंत्री के घर पर हमला किया था, तो फिर ये शहर अन्य नागरिकों के लिए कैसे सुरक्षित हो सकता है.
जो पीढ़ी आज विरोध कर रही है वो तालिबान के बाद के युग में पली-बढ़ी है. उन्होंने अभिव्यक्ति की आजादी, महिलाओं को नौकरी और शिक्षा हासिल करते देखा है. यहां तक कि उन्होंने चुनाव में भी हिस्सा लिया है, लेकिन पिछले कई हफ्तों के घटनाक्रम, अराजकता के खतरे और पहले जैसे हालात में देश को जाता देख अफगानिस्तान के युवाओं में गुस्सा, निराशा है.
दिल्ली में कई अफगान शरणार्थियों के परिवार अफगानिस्तान में फंसे हैं क्योंकि सीमाएं बंद हैं. भारतीय सरकार केवल मेडिकल वीजा जारी कर रही है. उनके पास जाने के लिए दूसरा देश नहीं है ये बहुत बड़ी समस्या है.
दिल्ली में Afghan Civil Activist निसार अहमद सिरजाई रुके हुए हैं. शिरजई अफगानिस्तान के कुछ हालिया वीडियो से वहां के हालात के बारे में बताते हैं औ कहते हैं तालिबान इस्लाम नहीं है, तालिबान इस्लाम के खिलाफ है.
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