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यूपी के अयोध्या में 6 नवंबर से 3 दिनों तक भव्य दीपोत्सव का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में शामिल होने के लिए साउथ कोरिया के राष्ट्रपति की पत्नी किम जोंग सूक सोमवार को अयोध्या पहुंचीं. ये पहला मौका रहा जब अयोध्या की दिवाली की गवाह किसी देश की प्रथम महिला रहीं.
वैसे तो अयोध्या को भगवान राम की जन्मभूमि के तौर पर जाना जाता है. लेकिन कुछ साउथ कोरियाई लोगों के लिए अयोध्या खास महत्व रखता है. दरअसल, साउथ कोरिया के लोगों का मानना है कि अयोध्या से दो हजार साल पहले अयोध्या की राजकुमारी सुरीरत्ना यानी हौ ह्वांग ओक अयुता (अयोध्या) से साउथ कोरिया के ग्योंगसांग प्रांत के किमहये शहर आई थीं. यहां उनकी शादी कोरिया के कारक वंशी राजा किम सू-रो से हो गया, जिसके बाद वो कोरिया की महारानी बन गईं. कहते हैं कि जिस वक्त राजकुमारी का विवाह हुआ, उस वक्त वे 16 साल की थी. इसके बाद वो कभी अयोध्या नहीं लौटीं.
अयोध्या में महारानी हौ का एक स्मारक भी है. संत तुलसीघाट के पास ये स्मारक एक छोटे पार्क में बनाया गया है.
अयोध्या के पूर्व राजपरिवार के सदस्य बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र यहां आने वाले कारक वंश के लोगों की मेहमाननवाजी करते रहे हैं. पिछले कुछ सालों में वो भी कई बार साउथ कोरिया जा चुके हैं. बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र 1999-2000 के दौरान कोरिया सरकार के मेहमान रह चुके हैं. उनका कहना है कि कोरिया के लोग अयोध्या को अपना ननिहाल मानते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि उनका मानना है कि दो हजार साल पहले अयोध्या की राजकुमारी और राजा सू-रो के पुत्रों ने ही कोरिया बसाया जो आज कोरिया गणराज्य के रूप में विस्तृत है.
2015-16 में भारत और दक्षिण कोरिया की सरकार के बीच एक सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर हुआ था. साल 2016 में कोरिया के प्रतिनिधिमंडल ने उत्तर प्रदेश सरकार को स्मारक का सौंदर्यीकरण कराने के लिए प्रस्ताव भेजा था.
योगी आदित्यनाथ की सरकार ने भी थीम पार्क बनाने का ऐलान किया है.
लोगों का मानना है कि इस बार के दीपोत्सव से भारत-कोरिया के संबंधों को नया आयाम मिलेगा.
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