Breaking Views: 5% GDP, ग्रोथ पर लाठी चार्ज जारी है

जीडीपी ग्रोथ 2019-20 में सिर्फ 5% रहने का अनुमान,11 साल में सबसे कम होगी  

संजय पुगलिया
ब्रेकिंग व्यूज
Updated:
मंदी के बाद इस साल होगी सबसे कम GDP ग्रोथ  
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मंदी के बाद इस साल होगी सबसे कम GDP ग्रोथ  
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: पूर्णेंंदू प्रीतम

विकास पर लाठी चार्ज जारी है! राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने चालू वित्त वर्ष यानी 2019-20 में जीडीपी ग्रोथ सिर्फ 5% रहने का अनुमान लगाया है. ये साल 2008 की अंतरराष्ट्रीय मंदी के दौर के बाद की सबसे कम जीडीपी ग्रोथ हो सकती है.

ये भारी गिरावट है जिसका इकनॉमी और आम जनता पर गहरा असर होगा.

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आप कहेंगे नया क्या है?

नया ये है कि आर्थिक मंदी से जूझ रही अर्थव्यवस्था को रफ्तार पकड़ने में और वक्त लगेगा. 'डॉमिनोज इफेक्ट' की क्रोनोलॉजी को समझिए. प्राइवेट सेक्टर ने सिर्फ 1% का नया निवेश किया है. सरकारी खजाने पर दबाव है क्योंकि टैक्स वसूली कम है. विनिवेश से भी सरकार पैसा नहीं उठा पाई. ऐसे में सरकार अगर फिस्कल डेफिसिट को काबू करने की कोशिश करेगी तो खर्चे काटेगी. कटौती में कम से कम 2 लाख करोड़ रुपये बचाने होंगे तब जाकर भरपाई हो सकेगी. ऐसे में विकास का हाल आप बखूबी समझ लीजिए कि क्या होने जा रहा है!

कंट्रोल्ड इकनॉमी के दिनों में 2-3% की इकनॉमी ग्रोथ को ‘हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ’ कहा जाता था. अब हम पक्का ‘हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ’ वाले राष्ट्र हो गए हैं.

फरवरी में बजट आने वाला है तो उम्मीद है कि मंदी की गिरफ्त से हम निकलेंगे. निवेश बढ़ाने के उपाय और बेहतर टैक्स रेट लाए जाएंगे. खेती, लेबर के क्षेत्र में बड़े आर्थिक सुधार करने पड़ेंगे. लेकिन इन सब से पहले जरूरी है कि सरकार डेटा के मामले में सच का सामना करे. फिस्कल डेफिसिट का आंकड़ा बताए. अगर ये सही होगी तो बेहतर प्लानिंग हो सकेगी.

आरबीआई ने भी चेतावनी दे दी है कि महंगाई बढ़ सकती है. अगले साल एनपीए और बढ़ने जा रहा है. ऐसे में निवेश के लिए पूंजी और कर्ज बड़ी समस्या बने रहने वाले हैं.

दूसरी तरफ, ग्लोबल चैलेंज बरकरार है. ईरान और अमेरिका का टकराव अर्थव्यवस्था के लिए नई चुनौती साबित होगा. तेल महंगा हुआ, रुपया कमजोर हुआ तो देश के लिए सिरदर्दी बढ़ेगी. एक्सपोर्ट बढ़ने के आसार दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं.

हालांकि ग्लोबल संकट का हवाला देने वालों को अब ये समझना जरूरी है कि बीमारी का बड़ा हिस्सा घरेलू है. मूल बात ये है कि देश की अर्थव्यवस्था पर लाठी चार्ज जारी है! और जो फैक्टर बताए गए ये जेएनयू की तरह नकाबपोश नहीं थे. वो बेनकाब आए थे और ऐलान कर के आए थे. पुलिस की तरह बजट जबतक आएगा तबतक लेट होने का खतरा है. विकास का हाल बुरा है!

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Published: 08 Jan 2020,08:13 PM IST

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