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वीडियो एडिटर- वरुण शर्मा
दुनिया कोरोना वायरस से लड़ रही है, लेकिन हम कोरोना के अलावा एक और जानलेवा वायरस की चपेट में हैं. वो है नफरती वायरस.. जी हां. लव के opposite वाला हेट virus.. कहते हैं कोरोना को हराना है तो ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग की जरूरत है. उसी तरह नफरत के वायरस को भी रोकना है तो टेस्टिंग जरूरी है.
चलिए टेस्ट कर देते हैं, अगर आपको टोपी लगाए या टीका लगाए, टीका रखे, नकाब में हो, सिंदूर लगाए या बस आप जैसा ना हो और बिना वजह या सुनी सुनाई बातों की वजह से आपको लगे कि इसी की वजह से दुनिया भर में दिक्कत है, तो समझ लीजिए आप पर नफरती वायरस ने अटैक कर दिया है.
दूसरे देशों की तरह भारत में भी लॉकडाउन लागू है. लेकिन नफरत की दुकानों का ताला खुला हुआ है. महाराष्ट्र के पालघर में संतों की बेरहमी से हत्या हो या गरीब फल बेचने वाले पर थूक लगाने का इल्जाम. हर घटना पर सांप्रदायिकता के इंफेक्शन को फैलाने की कोशिश. ये इंफेकशन ऐसा फैला है कि देश के पीएम से लेकर कई राज्यों के सीएम को आखिरकार कहना ही पड़ा "जनाब ऐसे कैसे"?
देश में 21 अप्रैल तक कोरोना के 18000 से ज्यादा पॉजिटिव मामले सामने आ चुके हैं. जबकि एक अप्रैल को सिर्फ 1600 लोग संक्रमित पाए गए थे. मतलब 20 दिनों में 10 गुना ज्यादा मामले सामने आए. इस महामारी में भले ही लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग की हिदायद दी जा रही है, लेकिन कभी ट्विटर की चिड़ियों के जरिए तो कभी WHATSAPP UNIVERSITY के ऑनलाइन क्लास में नफरती वायरस के कैरियर जमा हो रहे हैं
ये सच है कि तबलीगी मरकज में रुके बहुत से लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं, उनकी वजह से उनके संपर्क में आने वालों में कोरोना फैला है, लेकिन इसमें साजिश और धर्म का एंगल खोजना नफरती वायरस के संक्रमण के लक्षण थे. तबलीगियों का हिसाब ठेली पर फल, सब्जी बेचने वाले से लेकर आम मुसलमानों से मांगने का मतलब है कि टेस्ट में रिपोर्ट पॉजिटिव है.
देश में तबलीगी कार्यक्रम के दौरान कई धार्मिक से लेकर राजनीतिक कार्यक्रम हुए, लेकिन सुविधा अनुसार तबलीगियों के मामले को हर मुसलमान से जोड़कर देश की एकता का ही टेस्ट शुरू हो गया. एक के बाद एक झूठ फैलना शुरू. “फल में थूक से लेकर, जमातियों ने मांगी बिरयानी, फैजाबाद में जमातियों का हमला. मुसलमान ने कोरोना फैलाने के लिए प्लेट पर लगाया थूक, क्वॉरेंटीन में हुए नंगे..” झूठ पर झूठ..
नफरत का वायरस इस कदर फैला कि दिल्ली के एक पॉश इलाके में एक शख्स ने अपने घर के सिक्योरिटी गार्ड की पुलिस में शिकायत कर दी के वो तबलीगी जमात से जुड़ा है. और उसकी वजह से कोरोना फैल गया. हालांकि गार्ड की रिपोर्ट आ चुकी है और वो निगेटिव है.
यही नहीं मेरठ के वेलेंटिस अस्पताल ने तो मुसलमान मरीजों के लिए अखबार में गाइडलाइन छपवा दी, अस्पताल ने कह दिया कि मुसलमान मरीज कोरोना निगेटिव रिपोर्ट दिखाएं तब ही आएं. बाकी किसी धर्म के लोगों के लिए ये फरमान नहीं था. यही नहीं अस्पताल ने तो हिंदू और जैन समाज को कंजूस बता दिया. फिलहाल अस्पताल पर FIR हो चुकी है.
नफरत की आग पर काबू पाने के लिए पीएम मोदी ने लिन्क्डइन पर 'कोविड-19 के दौर में जीवन' टाइटल से एक लेख भी लिखा. जिसमें उन्होंने साफ-साफ कहा,
पीएम ने नफरत रोकने के लिए मंत्र भी दे दिया फिर भी नफरती भूत भागने का नाम नहीं ले रहे.
महाराष्ट्र के पालघर में दो संत और उनके ड्राइवर की हैवान बन चुकी भीड़ ने लाठी-डंडों से हमला कर जान ले ली. इस मॉब लिंचिंग के दौरान पुलिस ऑडियंस की भूमिका में रही. यही नहीं झारखंड में हजारीबाग के गिद्दी में राजू अंसारी नाम के एक शख्स को चोरी के शक में लहूलुहान कर दिया गया. ये जान लेने का खेल सिर्फ इसलिए हो रहा है, क्योंकि लोकतंत्र पर भीड़तंत्र हावी हो रहा है.
नफरती वायरस के फैलने से एक बात तो साफ है कोरोना से बचने के लिए लॉकडाउन, टेस्ट, दवा सब अपना काम करेंगे, लेकिन नफरत के वायरस को हराना है तो गांधी जी की घुट्टी ही काम आएगी, मोहब्बत, अहिंसा.. नहीं तो आने वाली पीढ़ियां हमसें पूछेंगी जरूर..जनाब ऐसे कैसे?
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